निगम चुनाव: फेस पत्नी का, सियासत की पिच पर बैटिंग करेंगे पति
अश्विनी शर्मा, करनाल इस बार नगर निगम में मेयर का पद महिला के लिए आरक्षित है।
अश्विनी शर्मा, करनाल
इस बार नगर निगम में मेयर का पद महिला के लिए आरक्षित है। पहली बार मेयर सीधे मतदाता चुनेंगे। इस वजह से यह चुनाव कुछ ज्यादा खास हो गया है। अभी चुनाव की घोषणा नहीं हुई। फिर भी उम्मीदवार यह मान कर चल रहे है कि दिसंबर के मध्य में चुनाव हो सकते हैं। ऐसे में मेयर पद को लेकर अभी से खासी खींचतान चली हुई है। मेयर चुनाव न सिर्फ दिलचस्प रहने की उम्मीद है, बल्कि मुकाबला भी कड़ा होगा, क्योंकि हर उम्मीदवार अपनी पूरी ताकत लगाने की तैयारी कर रहा है। यही कारण है कि जहां चुनाव के इच्छुक उम्मीदवार अपनी अपनी पत्नी को चुनाव में खड़ा करने की योजना बना रहे हैं, वहीं प्रचार में भी कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। अभी तक हालांकि मेयर पद के लिए संभावित महिला उम्मीदवार सक्रिय नहीं हो रही है, लेकिन उनके परिवार के मेल सदस्य पूरी तरह से सक्रिय हो गए हैं। कहना नहीं होगा फेस पत्नी का है, लेकिन असली सियासत कर पति ही रहा है। यह कितना सही है और कितना गलत, इसी के लिए दैनिक जागरण ने न सिर्फ संभावित महिला उम्मीदवारों से बातचीत की,
बल्कि राजनीति पर पकड़ रखने वाले विशेषज्ञों से भी जानने की कोशिश की इसका राजनीति पर कितना असर पड़ेगा। मेरे कार्य में नहीं रहा कभी परिवार का हस्तक्षेप : रेनू बाला
पूर्व मेयर रेनू बाला गुप्ता मानती हैं कि मेयर बनने के बाद उन्होंने अपने पद के साथ पूरी तरह से न्याय किया। इसके साथ ही पार्टी स्तर और पार्षद पद की जिम्मेदारी को भी निष्ठा से निभाया। उनके कार्य में कभी परिवार का हस्तक्षेप नहीं रहा। जिन महिलाओं को महज चेहरे के तौर पर आगे किया जाता है और नाम और पहचान उनके परिवार की रहती है तो यह महिला सशक्तीकरण के लिए ठीक नहीं है। परिपक्व सोच वाली महिला को ही चुनें : आशा वधवा
मेयर पद की प्रत्याशी आशा वधवा का कहना है कि इस पद के लिए चुनाव में उतरने वाली महिला का अपना विजन होना चाहिए। कम से कम उसका शिक्षित होना जरूरी है। करनाल की जनता को भी देखना होगा कि वह शिक्षित और करनाल के विकास विजन रखने वाली महिला को मेयर बनाएं। ऐसा कतई नहीं होना चाहिए कि चुनाव जीतने के बाद महिला पीछे से अपने परिवार के सदस्यों की सलाह पर ही काम करे। इसलिए परिपक्व सोच रखने वाली महिला का चुना जाना जरूरी है। प्रत्यक्ष चुनाव में मेयर अपनी शक्तियों का करती स्वयं इस्तेमाल : प्रो. रणबीर ¨सह
कुरुक्षेत्र विर्श्वविद्यालय के दर्शनशास्त्र विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. रणबीर ¨सह ने कहा कि महिलाओं के लिए आरक्षित मेयर पद के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष चुनाव में अंतर होता है। प्रत्यक्ष चुनाव में मेयर खुद अपनी शक्ति इस्तेमाल करती है। वह खुद लोगों के बीच में चेहरा बनकर जाती है। जबकि अप्रत्यक्ष चुनाव में परिवार के सदस्यों की भूमिका अहम हो जाती है। अधिकारों के प्रति जागरूक करना होगा : डॉ. कुशपाल
दयाल ¨सह कॉलेज के राजनीति विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ. कुशलपाल का कहना है कि ये सोच नहीं रखी जा सकती कि महिला आरक्षित पदों का पुरुष लाभ उठाते हैं। इस आरक्षण से महिलाओं के रास्ते निश्चित तौर खुलते हैं। हां, यह जरूर है कि प्रदेश राजनीति और सांस्कृतिक तौर पर अभी पिछड़ा हुआ है। आर्य समाज आंदोलन के बाद हरियाणा में कोई बड़ा महिला आंदोलन नहीं खड़ा हो पाया। उसके चलते अभी भी असमानता और सामंतवादी सोच है। इसके लिए महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना होगा।