विभाग का दावा : निजी अस्पताल कार्ड टेस्ट से डेंगू बता लूट रहे मरीजों को

जागरण संवाददाता करनाल स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि जिले में सिर्फ 102 डेंगू पॉजिटिव केस स

By JagranEdited By: Publish:Tue, 20 Nov 2018 01:53 AM (IST) Updated:Tue, 20 Nov 2018 01:53 AM (IST)
विभाग का दावा : निजी अस्पताल कार्ड टेस्ट से डेंगू बता लूट रहे मरीजों को
विभाग का दावा : निजी अस्पताल कार्ड टेस्ट से डेंगू बता लूट रहे मरीजों को

जागरण संवाददाता करनाल

स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि जिले में सिर्फ 102 डेंगू पॉजिटिव केस सामने आए हैं। इस दावे के विपरीत शहर के लगभग सभी निजी अस्पताल में डेंगू के मरीजों की भरमार है। ऐसे में सवाल उठता है कि ये कहां से आ रहे हैं। हेल्थ विभाग की डिप्टी सिविल सर्जन डॉ. सरोज का दावा करती हैं कि निजी अस्पताल कार्ड (स्ट्रिप) टेस्ट कर डेंगू डिक्लेयर कर रहे हैं। मरीजों में भय फैलाकर उन्हें अस्पताल में भर्ती किया जा रहा है। दावा तो यहां तक किया जा रहा है कि यह बीमारी कंट्रोल में हैं, जबकि शहरवासी स्वास्थ्य विभाग के इन दावों पर यकीन नहीं कर रहे हैं। उनका कहना है कि मच्छरों की भरमार है। डेंगू तेजी से फैल रहा है। निजी अस्पताल में जाना मजबूरी

शहर निवासी अशोक कुमार, सतबीर ¨सह, हाउ¨सग बोर्ड कॉलोनी निवासी स्वतंत्र ¨सह ने बताया कि सरकारी अस्पताल में खांसी-जुकाम के इलाज का तो सही से इंतजाम नहीं है। डेंगू जैसी खतरनाक बीमारी का इलाज क्या होगा? अशोक कुमार ने बताया कि यही वजह है कि हर कोई थोड़ा सा बीमार होते ही निजी अस्पताल में जाना पड़ता है। स्वतंत्र ¨सह ने बताया कि अब जब सरकारी अस्पताल में मरीज जाएंगे ही नहीं तो उनका आंकड़ा बढ़ेगा कहा से? जब आंकड़ा बढ़ेगा ही नहीं तो बीमारी तो कंट्रोल में ही है। बड़ा सवाल : निजी अस्पताल भ्रम फैला रहे तो कार्रवाई क्यों नहीं?

जब यदि निजी अस्पताल मरीजों में डेंगू का भ्रम फैला रहे हैं तो उन पर कार्रवाई कौन करेगा। क्यों उन्हें मरीजों को लूटने का मौका दिया जा रहा है। समाजिक कार्यकर्ता अमित मल्होत्रा ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग ने आज तक कुछ नहीं किया। लोगों को जागरूक तक नहीं किया गया। होना यह चाहिए था कि सिविल अस्पताल और मेडिकल कॉलेज में डेंगू टेस्ट की जांच के लिए और पुख्ता इंतजाम हों। इससे पहले ही टेस्ट से पता चल सकता था कि बुखार की वजह है क्या? यह है कार्ड टेस्ट

निजी अस्पतालों में डेंगू की रैपिड कार्ड रीडर टेस्ट से जांच की जा रही है। विशेषज्ञों की मानें तो 40 फीसदी मामलों में इन कार्ड टेस्ट की रिपोर्ट सही नहीं होती। इसलिए डेंगू जैसी खतरनाक बीमारी के लिए एलाइजा टेस्ट करने की सलाह दी जाती है। मात्र 20 से 25 रुपये की कीमत वाले इस कार्ड टेस्ट से डॉक्टर 200 से 250 रुपये वसूल लेते हैं। निजी अस्पतालों से मांगी रिपोर्ट

स्वास्थ्य विभाग ने निजी अस्पतालों से सितंबर, अक्टूबर और नवंबर माह की अब तक की रिपोर्ट मांगी है। नोटिस जारी कर पूछा गया है कि अस्पतालों में फीवर के कितने केस आए। उन्होंने फीवर की जांच के लिए कौन-कौन से टेस्ट किए हैं। अब स्वास्थ्य विभाग रिपोर्ट को आधार बनाकर कार्रवाई के मूड में है। हालांकि रिपोर्ट अभी नहीं आई। नवंबर माह के अंत तक सभी अस्पतालों की रिपोर्ट आएगी, उसके बाद रिकार्ड की जांच के बाद ही कार्रवाई की जा सकती है।

वर्जन

डिप्टी सिविल सर्जन डॉ. सरोज बाला ने बताया कि डेंगू पर जिस प्रकार से भ्रम फैलाया गया है, वास्तविकता ऐसी नहीं है। अब तक महज 102 केस ही सामने आए हैं। निजी अस्पतालों से फीवर की रिपोर्ट मांगी गई है। जिले में स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में है। अच्छी बात यह है कि डेंगू के जितने भी केस सामने आए सभी ठीक हैं। लोगों को भी जागरूक होने की जरूरत है। डेंगू की शिकायत है तो वह सरकारी अस्पताल में चेक करा सकते हैं। निजी अस्पतालों को भी निर्देश जारी किए हैं कि वे कार्ड टेस्ट न करें।

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