कोरोना ने तोड़ दी भारतीय चावल कारोबार की कमर, 25 फीसद रह गया निर्यात, कई देशों से ऑर्डर रद

कोराेना वायरस की वजह से चावल उद्योग की कमर टूट गई है। हरियाणा के चावल उद्योग को इससे भारी नुकसान हुआ है। कई देशों से चावल के आर्डर रद हो गए हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Tue, 31 Mar 2020 10:20 AM (IST) Updated:Tue, 31 Mar 2020 10:25 AM (IST)
कोरोना ने तोड़ दी भारतीय चावल कारोबार की कमर, 25 फीसद रह गया निर्यात, कई देशों से ऑर्डर रद
कोरोना ने तोड़ दी भारतीय चावल कारोबार की कमर, 25 फीसद रह गया निर्यात, कई देशों से ऑर्डर रद

करनाल, [पवन शर्मा]। कोरोना वायरस के कहर ने हरियाणा ही नहीं, पूरे देश के चावल कारोबार की कमर तोड़ दी है। खाड़ी देशों से लेकर ब्रिटेन और अमेरिका तक यहां से बड़े पैमाने पर निर्यात होने वाले चावल के ऑर्डर लगातार रद हो रहे हैं। ईरान संकट के कारण पहले से ही परेशान चावल कारोबारियों की समझ में नहीं आ रहा कि वे नई क्रॉप की तैयारी करें या गोदामों में सड़ रहे लाखों टन चावल के  स्टॉक को बचाएं।

संकट गहराया, हरियाणा के 1000 राइस मिल प्रभावित, घरेलू सप्लाई भी फिलहाल पूरी तरह ठप

आलम यह है कि बीते पांच माह में छाए वैश्विक गतिरोध के कारण भारत से बामुश्किल 10-12 लाख टन बासमती चावल का ही निर्यात हुआ है। हर वर्ष इसी अवधि में करीब 40-45 लाख टन चावल निर्यात हो जाता था। घरेलू सप्लाई भी फिलहाल ठप है। इससे हरियाणा के लगभग ढाई सौ बड़ी निर्यातकों से लेकर कुल 1000 राइस मिल संचालकों का हाल बेहाल है।

कोरोना वायरस के वैश्विक संकट से जूझ रहे देशों में अब निर्यात तकरीबन पूरी तरह बंद है। इससे हरियाणा सहित देश भर के चावल कारोबारियों के दिल की धड़कन तेज है। भारत और खासकर हरियाणा का बासमती चावल खाड़ी देशों में सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है। इसके अलावा ब्रिटेन, अमेरिका और ईरान सरीखे देशों में भी बड़े पैमाने पर चावल निर्यात किया जाता है। चावल निर्यातकोंका कहना है कि इन देशों में करीब पांच महीने में कुल मिलाकर बमुश्किल 10-12 लाख टन चावल ही निर्यात हुआ है। यानि, सीधे तौर पर करीब 30-35 लाख टन का निर्यात न होने से इस कारोबार की चूलें हिल गई हैं।

हरियाणा राइस मिल एक्सपोर्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष सुशील जैन ने बताया कि पूरे प्रदेश में राइस मिल बंद हैं। हालांकि, सरकार ने आवश्यक वस्तुओं के तहत कार्य करने की छूट दी है, लेकिन न तो ऑर्डर मिल रहे हैं और न ही पुराने ऑर्डर की आपूर्ति सुनिश्चित हो पा रही है। ईरान से लेकर तमाम खाड़ी देशों में आयात बंद कर दिए जाने से काम पूरी तरह ठप है। ऐसे में ङ्क्षचता यह है कि बड़े पैमाने पर पिछली फसल का जो बड़ा स्टॉक बचा है, उसका क्या किया जाए? जीरी का कोई उपयोग नहीं हो रहा। लेबर नहीं है। सितंबर से नई क्रॉप आ जाएगी, तब संकट और बढ़ जाएगा।

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कई देशों ने जारी की एडवाइजरी

कोरोना की दहशत के बीच ईरान, सउदी अरब, ब्रिटेन व खाड़ी देशों सहित दुनिया भर में आयात प्रतिबंध की एडवाइजरी जारी की गई है। इसका भारत के चावल कारोबार पर बेहद प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। उल्लेखनीय है कि भारतीय चावल के टॉप 10 खरीदारों में पांच खाड़ी देश हैं। भारत 25 फीसदी ग्लोबल शेयर के साथ दुनिया का सबसे बड़ा राइस निर्यातक देश है, जिसमें हरियाणा के बासमती चावल की बड़ी भागीदारी शामिल है।

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तो कैसे पूरे होंगे अंतरराष्ट्रीय मानक

हरियाणा राइस मिल एक्सपोर्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष सुशील जैन बताते हैं कि बड़े पैमाने पर धान खुले में पड़ा है, जिससे धूप और पानी का असर होने के चलते इनका अंतरराष्ट्रीय मानकों की कसौटी पर विफल होना तय है। घरेलू आपूर्ति भी ठप है। धान भंडारण इतनी बड़ी समस्या है, जिसका समाधान नहीं हुआ तो चावल कारोबारी पूरी तरह बर्बाद हो जाएंगे।

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बंदरगाहों पर फंसा लाखों टन स्टॉक

निर्यातकों की चिंता यह भी है कि उनका करीब दो से ढाई लाख टन स्टॉक बंदरगाहों पर भी पड़ा है, जिसका निर्यात न होने के चलते कोई इस्तेमाल नहीं हो रहा। लॉकडाउन में इस स्टॉक की न देखरेख हो पा रही है और न ही इसे निर्यात किया जा सकता है।

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