कोरोना की दूसरी लहर, इस साल पहली बार एक दिन में तीन मौत, 264 नए मामले

कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमण तेजी से फैल रहा है। हालात बहुत तेजी से खराब हो रहे हैं। जिले में इस साल पहली बार एक दिन में तीन मौत हुई हैं। मौत तो लगातार हो रही हैं लेकिन एक दिन में तीन मौत का आंकड़ा बहुत बड़ा है। जिसने स्वास्थ्य विभाग की चिता को बढ़ा दिया है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 12 Apr 2021 05:03 AM (IST) Updated:Mon, 12 Apr 2021 05:03 AM (IST)
कोरोना की दूसरी लहर, इस साल पहली बार एक दिन में तीन मौत, 264 नए मामले
कोरोना की दूसरी लहर, इस साल पहली बार एक दिन में तीन मौत, 264 नए मामले

जागरण संवाददाता, करनाल : कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमण तेजी से फैल रहा है। हालात बहुत तेजी से खराब हो रहे हैं। जिले में इस साल पहली बार एक दिन में तीन मौत हुई हैं। मौत तो लगातार हो रही हैं, लेकिन एक दिन में तीन मौत का आंकड़ा बहुत बड़ा है। जिसने स्वास्थ्य विभाग की चिता को बढ़ा दिया है।

कोरोना का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है और खुदा न करे अगर आप कोरोना से गंभीर हो जाते हैं, आपकी आर्थिक हालत कमजोर है फिर यह लड़ाई जान के लिए खतरा भी बन सकती है। कोरोना के कहर के एक साल बाद स्वास्थ्य विभाग अभी तक शहरी के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में सामुदायिक केंद्रों में रेफर सिस्टम पर आधारित है। जिला के नागरिक अस्पतालों में बाबुओं ने कागजों का पेट भरने मात्र तक के प्रयास किए हुए हैं। जगजाहिर है कि कोरोना मरीज के लिए सरकारी अस्पतालों में 12 माह बाद इमरजेंसी एक गोली तक देने में लाचार है। क्या आप जानते हैं जिले की लगभग 14 लाख आबादी के लिए पर्याप्त चिकित्सक नहीं है, इसलिए पॉजिटिव आने पर मरीज की पूछताछ के लिए आंगनवाड़ी वर्करों को फील्ड में उतारा हुआ है, जबकि मरीज के गंभीर होने पर रेफर आधारित सिस्टम है। ----बॉक्स---- छुट्टियां रद होने के बावजूद नागरिक अस्पताल में रविवार

प्रदेश में कोरोना के बढ़ते मरीजों की संख्या के मद्देनजर चिकित्सकों से लेकर पैरा-मेडिकल स्टाफ की छुट्टियां रद कर दी गई हैं। स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने अस्पतालों में बेडों की पुख्ता व्यवस्था करने के साथ लिए कोरोना गाइड लाइन की सख्ती से पालन कराने की हिदायत दी है। शायद जिले के नागरिक अस्पताल में रविवार को छुट्टी जैसा माहौल दिखा। सरकारी आदेशों का पालन करते हुए जूनियर स्टाफ जहां वैक्सीनेशन करते दिखाई दिया वहीं अधिकारी ढूंढने पर भी परिसर में नहीं मिले। इसके अलावा, अस्पताल में मरीजों को चिकित्सक की तलाश करनी पड़ी या फिर कुछ बिना इलाज बैरंग जाते रहे। आरके पूरम वासी महावीर ने बताया कि रात से तबियत खराब होने के कारण इमरजेंसी में आया था। यहां साफ-सफाई चल रही रही थी, जब स्टाफ कर्मचारी से चिकित्सक की जानकारी जुटाई तो उसने ठीक से जवाब नहीं दिया। यही नहीं उच्चाधिकारियों की कुर्सियां भी खाली दिखाई दी। इलाज न मिलने के कारण बैरंग लौटना पड़ा। ---बॉक्स---- जब अस्पताल परिसर में टूटते हों कोरोना संक्रमण के नियम.. कल्पना चावला मेडिकल कालेज अस्पताल परिसर में सिक्योरिटी सुरक्षा के बावजूद कोरोना संक्रमण बचाव की गाइड लाइन के नियमों का पालना दिखाई नहीं दी। मुख्य एंट्री सहित इमरजेंसी के बाहर स्टाफ बिना मास्क दिखाई दिया और सेनिटाइजर की शीशी भी विश्राम करती दिखाई दी। परिसर में बैठाई गई डेस्क पर सेनिटाइजर रखा हुआ था लेकिन मरीज के साथ तिमारदारों को सेनिटाइज नहीं दिया जा रहा था। ग्राउंड फ्लोर से लेकर छठे फ्लोर तक बिना मास्क लोग जमावड़ा लगाकर बैठे थे और सिक्योरिटी गार्ड मोबाइल फोन पर व्यस्त दिखाई दिए। विभाग के मुख्याधिकारी अगर यहां व्यवस्था संभाल पाने में गंभीर होते तो संक्रमण फैलाव को रोकने पर अहम कदम उठाए जा सकते थे। शायद इन अधिकारियों ने स्वास्थ्य मंत्री के आदेशों को गंभीरता से नहीं पढ़ा है। तभी तो इनकी जिम्मेदारी भी अस्पताल के दरवाजों पर लगे ए-4 साइज पेपर पर लिखी सूचना पूरी कर रही है। -----बॉक्स----- इमरजेंसी होने पर चिकित्सक को बुला लिया जाता है : सिविल सर्जन कोरोना महामारी को रोकने की जिन अधिकारियों पर जिम्मेदारी सौंपी गई हैं वे खुद भी इसे गंभीरता से नहीं लेते हैं। नागरिक अस्पताल के सिविल सर्जन योगेश शर्मा ने माना कि कोरोना के बढ़ते प्रकोप के कारण वैक्सीनेशन में तेजी लाई गई है। इसके लिए विभाग ने सभी चिकित्सकों से लेकर पैरामेडिकल स्टाफ की छुट्टियां रद कर दी हैं। उन्होंने यह भी कहा कि रविवार को छुट्टी का दिन होता है और ओपीडी लगाकर चिकित्सक क्यों बैठेगा। अगर विभाग को इमरजेंसी होती है तो चिकित्सक के बुला लिया जाता है। पीएमओ पीयूष शर्मा ने बताया कि अस्पताल के निरीक्षण के लिए उच्चाधिकारी आए थे इसलिए उनके साथ जांच कर रहे थे। मरीजों की सुविधा के लिए चिकित्सक तैनात किए गए हैं। वहीं, कल्पना चावला मेडिकल कालेज के निदेशक जगदीश चंद दुरेजा ने बताया कि कोरोना से बचाव के लिए टीकाकरण में तेजी लाई गई है। मरीज से मिलने के लिए एक या दो घर के सदस्यों को बैठने के लिए कहा जाता है। अगर इस तरह भीड़ की बात है तो सिक्योरिटी इंचार्ज से जवाब मांगा जाएगा।

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