खेतों में फसल अवशेषों को जलाने पर पूर्ण प्रतिबंध : एसडीएम

उपमंडलाधीश सुमित सिहाग ने कहा कि फसल अवशेष जलाने से जमीन में पोषक तत्व नष्ट हो जात

By JagranEdited By: Publish:Wed, 22 Sep 2021 01:54 AM (IST) Updated:Wed, 22 Sep 2021 01:54 AM (IST)
खेतों में फसल अवशेषों को जलाने पर पूर्ण प्रतिबंध : एसडीएम
खेतों में फसल अवशेषों को जलाने पर पूर्ण प्रतिबंध : एसडीएम

इंद्री : उपमंडलाधीश सुमित सिहाग ने कहा कि फसल अवशेष जलाने से जमीन में पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। 100 फीसद नाइट्रोजन, 25 फीसद फास्फोरस, 20 फीसद पोटाश, 60 फीसद सल्फर का नुकसान होता है। इसलिए अवशेष जलाने पर पूर्ण प्रतिबंध लागू किया गया है।

उन्होंने बताया कि इससे जैविक पदार्थ नष्ट हो जाते हैं और मिट्टी कीटों का नुक्सान होता है। फसल अवशेष जलाने से कार्बन मोनोआक्साइड, कार्बनडाइ आक्साईड, राख, सल्फर हाइआक्साइड, मीथेन व अन्य अशुद्धियां उत्पन्न होती है। इससे वायु प्रदूषण बढ़ता है। इन्हें जलाने से भूमि की उर्वरा शक्ति कम होने के साथ-साथ भूमण्डलीय तापमान में बढ़ोत्तरी होती है तथा छोटे पौधे व वृक्षों पर आश्रित पक्षी मारे जाते हैं। सुमित सिहाग ने कहा कि फसल अवशेषों के साथ 10-15 किलोग्राम यूरिया खाद डालने से अच्छी जैविक खाद मिलती है। भूमि की उर्वरा शक्ति व जैविक कार्बन में वृद्धि होती है और इससे समय की बचत होती है और उपयुक्त समय पर बिजाई संभव होती है। फसल अवशेष पोटाश व अन्य पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने का महत्वपूर्ण स्त्रोत हैं। इससे रासायनिक खादों पर निर्भरता कम होती है। पानी की बचत होती है तथा फसल अवशेष अत्याधिक गर्मी व ठंड में भूमि के तापमान नियंत्रण में सहायक होते हैं।

उन्होंने बताया कि फसलों की उपज में दो से लेकर चार क्विटल प्रति हेक्टेयर की बढ़ोत्तरी होती है। लम्बे समय में भूमि के भौतिक रासायनिक व जैविक गुणों में सुधार होता है। इसलिए सभी किसान भाइयों से अपील की है कि वे फसली अवशेष न जलाएं बल्कि इनका सदुपयोग कर भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाएं। वे अपने फसल अवशेषों में आग न लगाएं। सरकार द्वारा फसल अवशेष जलाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है।

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