मां का दूध सर्वोत्तम आहार : ज्योति
करनाल दूध पिलाने वाली अवस्था वस्तुत वह अवस्था है जिसमें स्त्री नवजात को पिलाती है। यह अवस्था सामान्य रूप से एक साल तक रहती है। नवजात शिशु अपनी शरीर की पौष्टिक जरूरतों को मा के दूध से पूरा करता है। विशेषत पहले छह महीने तक यह प्रक्रिया चलती है। इसलिए दूध पिलाने वाली माता के लिए पौष्टिक आहार का प्रबंधन जरूरी है।
जागरण संवाददाता, करनाल :
दूध पिलाने वाली अवस्था वस्तुत: वह अवस्था है, जिसमें स्त्री नवजात को पिलाती है। यह अवस्था सामान्य रूप से एक साल तक रहती है। नवजात शिशु अपनी शरीर की पौष्टिक जरूरतों को मा के दूध से पूरा करता है। विशेषत: पहले छह महीने तक यह प्रक्रिया चलती है। इसलिए दूध पिलाने वाली माता के लिए पौष्टिक आहार का प्रबंधन जरूरी है।
यह जानकारी प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना की जिला समन्वयक ज्योति ने दी। उन्होंने बताया कि महिला एवं बाल विकास विभाग की तरफ से गर्भवती महिलाओं एवं दूध पिलाने वाली माताओं की जागरूकता के लिए निरंतर कार्यक्रम चलाया जा रहा है ताकि जच्चा-बच्चा दोनों सुरक्षित रहे। प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना भारत सरकार की ऐसी महत्वाकांक्षी योजना है, जिसके तहत गरीब वर्ग की महिलाओं के गर्भ धारण से लेकर बच्चे के जन्म तक के लिए पौष्टिक खुराक के साथ-साथ चिकित्सा व्यवस्था का भी प्रबंधन किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि यह योजना लागू होने से बच्चों व गर्भवती महिलाओं की मृत्यु दर में कमी आई। माता और शिशु, दोनों को स्वस्थ होने में मदद मिल रही है। उन्होंने बताया कि माता का दूध शिशु का जन्मसिद्ध अधिकार है। शिशु को नौ से 12 माह की उम्र तक मां का दूध जरूर मिलना चाहिए। दुनिया में कोई ऐसा पदार्थ नहीं जो मां के दूध का स्थान ले सके। माता का दूध शिशु को अवश्य पिलाना चाहिए। मां दूध बच्चे के लिए सर्वोत्तम आहार है। इससे बच्चों का शारीरिक विकास बेहतर ढंग से होता है। माताएं बच्चों पर ध्यान दें।