जाप दुखों से छूटने का है सरल उपाय : मुनि पीयूष
जैन स्थानक हनुमान गली में पीयूष मुनि महाराज ने कहा कि जाप धर्मसाधना का प्रधान अंग है। तपस्या हर व्यक्ति नहीं कर सकता कठोर क्रियाकांडों का पालन करना भी हर इंसान के लिए मुमकिन नहीं है परंतु प्रत्येक व्यक्ति सुगमता से अपने इष्ट देव के जाप को कर सकता है।
करनाल (विज्ञप्ति) : जैन स्थानक हनुमान गली में पीयूष मुनि महाराज ने कहा कि जाप धर्मसाधना का प्रधान अंग है। तपस्या हर व्यक्ति नहीं कर सकता, कठोर क्रियाकांडों का पालन करना भी हर इंसान के लिए मुमकिन नहीं है परंतु प्रत्येक व्यक्ति सुगमता से अपने इष्ट देव के जाप को कर सकता है। निरंतर जप करने से पाप के मलिन संस्कार आत्मा में प्रवेश नहीं करते तथा पहले से किए हुए पाप भी हृदय से पलायन करना प्रारंभ कर देते हैं। जाप से व्यक्ति को मानसिक शांति मिलती है। जाप में श्रद्धा का बहुत भारी स्थान है। जो जाप उच्चारणपूर्वक किया जाता है उसे वाचनिक जाप कहते हैं। जो होंठों से बुदबुदा कर किया जाता है वह उपांशु जप कहलाता है जिसका फल सौ गुना अधिक होता है तथा एकाग्रतापूर्वक मन के साथ किए जाने वाले मानसिक जाप का फल हजार गुणा स्वीकार किया जाता है। जाप दुखों से छूटने का सरल उपाय है। किसी विशेष आसन से स्थिरचित्त होकर जो जाप किया जाता है उससे दिव्य शक्तियां प्राप्त होती हैं।
उन्होंने कहा कि नवकार महामंत्र असांप्रदायिक है और इसमें सभी परंपराओं के महापुरुषों को सभी भेदभावों से ऊपर उठकर नमस्कार किया गया है। यह चौदह पूर्व का सार है तथा श्रद्धा का मेल होने पर बड़े चमत्कार दिखा सकता है, असंभव को संभव बना सकता है। पुराने इतिहास की बात बताते हुए उन्होंने कहा कि भगवान द्वारा प्रतिपादित तथा गणधरों द्वारा ग्रंथित बारह अंगों में बारहवां अंग ²ष्टिवाद था जिसके पांच भाग परिकर्म, सूत्र, पूर्वानुयोग, पूर्वकृत तथा चूर्णिका में से पूर्वकृत भाग में चौदह पूर्वो का समावेश होता है।