तड़प रहे मरीज, दो सरकारी ब्लड बैंक भी प्लेटलेट्स की नहीं कर पा रहे पूर्ति

डेंगू को लेकर जिले में हाहाकार मचा हुआ है। सरकारी से लेकर प्राइवेट अस्पतालों में बैड भरे पड़े हैं। कोई डेंगू तो किसी के वायरल के कारण प्लेटलेट्स इतने नीचे आ गए हैं कि यदि नहीं मिले तो जान जा सकती है। कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कालेज की चौथी मंजिल पर कई मरीज तो इस हालात में थे कि उनके प्लेटलेट्स 10 हजार से भी नीचे गए हुए हैं। इतने पैसे नहीं है कि वह बाहर से प्लेटलेट्स लाकर चढ़वा सकें।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 17 Oct 2021 06:16 AM (IST) Updated:Sun, 17 Oct 2021 06:16 AM (IST)
तड़प रहे मरीज, दो सरकारी ब्लड बैंक भी प्लेटलेट्स की नहीं कर पा रहे पूर्ति
तड़प रहे मरीज, दो सरकारी ब्लड बैंक भी प्लेटलेट्स की नहीं कर पा रहे पूर्ति

प्रदीप शर्मा, करनाल

डेंगू को लेकर जिले में हाहाकार मचा हुआ है। सरकारी से लेकर प्राइवेट अस्पतालों में बैड भरे पड़े हैं। कोई डेंगू तो किसी के वायरल के कारण प्लेटलेट्स इतने नीचे आ गए हैं कि यदि नहीं मिले तो जान जा सकती है। कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कालेज की चौथी मंजिल पर कई मरीज तो इस हालात में थे कि उनके प्लेटलेट्स 10 हजार से भी नीचे गए हुए हैं। इतने पैसे नहीं है कि वह बाहर से प्लेटलेट्स लाकर चढ़वा सकें। सरकारी सिस्टम कहता है कि हम जरूरतों को पूरा करने में लगे हैं। लेकिन सच्चाई कुछ ओर ही है। शनिवार को दैनिक जागरण की टीम ने जब कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कालेज के ब्लड बैंक के हालात जाने तो वहां प्लेटलेट्स लेने आए लोग परेशान होकर वापस लौट रहे हैं।जवाब मिलता है कि डोनर लेकर आओ उसके बाद ही प्लेटलेट्स मिलेंगे। इतना सुनते ही कैथल निवासी तिमारदार वीरेंद्र के हाथ पांव फूल जाते हैं। डोनर को ढूंढने में ही कई घंटे का वक्त लग गया। एक जैंबो पैक प्राइवेट ब्लड बैंक से लेना पड़ा, जरूरत पूरी नहीं हुई तो डोनर देकर शाम तक प्लेटलेट्स मिल पाए। हालांकि इस प्रकार से बहुत से तिमारदार परेशान होकर प्राइवेट ब्लड बैंकों में जाने पर मजबूर हैं। मरीजों का आरोप, जरूरत के मुताबिक नहीं बनाए जा रहे प्लेटलेट्स सूत्रों के मुताबिक ब्लड बैंक में तीन मशीनें हैं, लेकिन इसके बाद भी प्लेटलेटस क्षमता के अनुरूप नहीं बनाए जा रहे हैं। कुछ तिमारदारों ने आरोप लगाया कि जान-बूझकर ऐसा किया जा रहा है ताकि वह प्राइवेट ब्लड बैंक में जाने पर विवश हो जाए। सरकारी आंकड़े में 36 डेंगू के मरीज, लेकिन हालात हो रहे खराब जिले में डेंगू ने कोहराम मचाया हुआ है। सरकारी आंकड़े के मुताबिक 36 केस सामने आ चुके हैं, लेकिन हालात खराब हैं। अस्पतालों में मरीज भरे पड़े हैं। क्योंकि प्राइवेट अस्पताल कार्ड टेस्ट कर डेंगू के मरीजों का इलाज कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में प्लेटलेट्स मरीजों की जान बचाने के लिए एक बहुत बड़ा साधन है। कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कालेज हो या फिर नागरिक अस्पताल यहां पर गरीब लोगों को निशुल्क प्लेटलेटस उपलब्ध कराए जाते हैं। सामान्य मरीज को 8500 रुपये जंबो पैक के खर्चने पड़ते हैं। लेकिन केसीजीएमसी में मरीजों के तिमारदार प्लेटलेट्स के लिए जाते हैं तो उनके सामने एक कंडीशन रख दी जाती है कि वह डोनर लेकर आएं। यह सुनते ही उनके हाथ पांव फूल जाते हैं। उनको प्राइवेट ब्लड बैंक में जाने पर विवश किया जाता है। यहां पर उनको 11 से 14 हजार रुपये प्लेटलेट्स के लिए खर्च करने पड़ते हैं।

मेडिकल कालेज में क्या है व्यवस्था इस समय कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कालेज के ब्लड बैंक में ब्लड से प्लेटलेटस को अलग करने की दो मशीनें हैं, लेकिन लोगों की जरूरत के मुताबिक प्लेटलेटस मुहैया नहीं कराए जा रहे हैं। यह भी नहीं है कि मशीने या स्टाफ कम है, मशीनों का सदुपयोग जरूरत के अनुसार किया जाए तो आसानी से प्लेटलेट्स की पूर्ति की जा सकती है, लेकिन ऐसा नही हो रहा है। मेडिकल कालेज प्रबंधन का तर्क है कि वह ज्यादा प्लेटलेट्स नहीं रख सकते क्योंकि उनकी लाइफ कम है।

बढ़ी प्लेटलेटस की डिमांड, संसाधन हैं, लेकिन पूर्ति नहीं कर रहे जिले में बढ़े डेंगू के केसों के कारण अचानक प्लेटलेट्स की डिमांड बहुत अधिक बढ़ गई है। तिमारदार अपने मरीजों का जीवन बचाने के लिए दौड़ रहे हैं, लेकिन सरकारी व्यवस्था ऐसी है कि बदलने को तैयार ही नहीं है। कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कालेज में प्लेटलेट्स की पूर्ति के लिए संसाधन तो पूरे हैं, लेकिन इसके बावजूद प्लेटलेटस की पूर्ति नहीं हो पा रही है। कोई भी तिमारदार प्लेटलेट्स डिमांड करता है तो डोनर पहले लेकर आने को कहता है। ऐसे में सवाल यह है कि क्या ब्लड की कमी है? यदि नहीं है तो ऐसी शर्त क्यों रखी जा रही है। यदि पूरी ईमानदारी के साथ काम किया जाए तो प्लेटलेट्स की डिमांड आसानी से पूरी हो सकती है। वर्जन

ब्लड बैंक इंचार्ज डा. सचिन ने कहा कि हमारे पास रोजाना 35 से 40 फार्म प्लेटलेटस के आ रहे हैं, हमारी कौशिश है कि सभी को प्लेटलेट्स मुहैया कराए जाएं। लोगों से अपील है कि वह वर्किंग डे में सुबह 9 से शाम चार बजे तक ब्लड डोनेट करने के लिए आएं, ताकि मरीजों की प्लेटलेट्स की कमी को पूरा किया जा सके। वर्जन

कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कालेज व नागरिक अस्पताल दोनों ब्लड बैंकों से प्लेटलेट्स मुहैया कराए जा रहे हैं। प्लेटलेटस की पूर्ति नहीं हो पा रही है इस बारे में जानकारी नहीं है। यदि ऐसा है तो इस बारे में ब्लड बैंक के स्टाफ से बात कर उनको निर्देश दिया जाएगा कि वह किसी भी सूरत में प्लेटलेट्स की कमी ना होने दें।

डा. जेसी दुरेजा, निदेशक, केसीजीएमसी करनाल।

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