सामाजिक समरसता को व्यवहार में लाना मूलभूत आवश्यकता : हरिओम
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से बुधवार की शाम कुटेल खंड के कालरों गांव में महर्षि वाल्मीकि प्रगट दिवस एवं शरद पूर्णिमा को सामाजिक समरसता कार्यक्रम के रूप में मनाया गया।
संवाद सहयोगी, घरौंडा : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से बुधवार की शाम कुटेल खंड के कालरों गांव में महर्षि वाल्मीकि प्रगट दिवस एवं शरद पूर्णिमा को सामाजिक समरसता कार्यक्रम के रूप में मनाया गया। कार्यक्रम की शुरुआत भारत माता व महर्षि वाल्मीकि के चित्र पर पुष्प अर्पित कर की। 9 स्थानों से स्वयंसेवक बंधुओं, गणमान्य व्यक्ति एवं नवयुवकों ने कार्यक्रम में भाग लिया और शरद पूर्णिमा की चांदनी रात में खीर के रूप में प्रसाद ग्रहण किया। खंड प्रमुख स्वामी माधवाचार्य महाराज ने बताया कि भगवान महर्षि वाल्मीकि जी समरसता का एक उदाहरण है। रामायण के अनुसार, माता सीता व श्री राम के पुत्रों को शिक्षा देना उनकी अच्छे से परवरिश करना सही मायनों में सामाजिक समरसता हैं। समरसता का अर्थ है सभी को अपने समान समझना। सृष्टि में सभी मनुष्य एक ही ईश्वर की संतान है और उनमें एक ही चैतन्य विद्यमान है, इस बात को हृदय से स्वीकार करना ही सामाजिक समरता है। मुख्य वक्ता परिवार कुटुम्ब प्रोबोधन प्रमुख हरिओम ने बताया कि सामाजिक समरसता को समाज में ठीक प्रकार से व्यवहार में लाना ही आज समाज एवं राष्ट्र की मूलभूत आवश्यकता है। कार्यक्रम की अध्यक्षता नेशनल यूथ अवार्डी सोमपाल ने की। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विश्व में एक मात्र ऐसा संगठन हैं सामाजिक समरसता बनाए हुए हैं जो बिना किसी जातिगत भेदभाव के काम करता है। इस मौके पर सह खंड कार्यवाह योगेश राणा, शारीरिक प्रमुख संदीप कुमार गढ़ी खजूर, खंड बौद्धिक प्रमुख दीपेंद्र मूनक, मंडल शारीरिक प्रमुख संदीप लोहट, श्री राम कैरवाली, लखविदर, मुकेश सिंह, रामेश्वर, राजकुमार, तेजबीर सिंह, अमित, गौरव, अन्नु राणा, मोनू, सुनील, राजपाल, राजेंद्र मौजूद थे।