गांव नगला रोडान में फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर लगाया जागरूकता शिविर

गांव नगला रोडान में फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर जागरूकता शिविर लगाया गया। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय एवं कृषि विज्ञान केंद्र करनाल के कृषि विज्ञानिक डा. महासिंह डा. विजय कौशिक ने मुख्य रूप से शिरकत कर किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन एवं खेत से अधिक पैदावार लेने के बारे जागरूक किया।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 19 Oct 2021 06:35 PM (IST) Updated:Wed, 20 Oct 2021 06:07 AM (IST)
गांव नगला रोडान में फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर लगाया जागरूकता शिविर
गांव नगला रोडान में फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर लगाया जागरूकता शिविर

संवाद सूत्र, गढ़ीबीरबल : गांव नगला रोडान में फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर जागरूकता शिविर लगाया गया। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय एवं कृषि विज्ञान केंद्र करनाल के कृषि विज्ञानिक डा. महासिंह, डा. विजय कौशिक ने मुख्य रूप से शिरकत कर किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन एवं खेत से अधिक पैदावार लेने के बारे जागरूक किया। महासिंह ने कहा कि फसल अवशेष जलाने से हमारा वातावरण दूषित होता है, जिसकी वजह से बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि फसल अवशेष जलाने से हमारी भूमि की उर्वरा शक्ति भी कम हो जाती है। भूमि के लाभदायक जीवाणु व पोषक तत्व जलकर नष्ट हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि फसल अवशेष खेत में जलाने से हमारी पैदावार पर भी असर पड़ता है और हमारी फसल लागत की अपेक्षा फसल उत्पादन कम हो जाता है। उन्होंने कहा कि यदि हम कृषि यंत्रों की सहायता से फसल अवशेषों को खेत की मिटटी में मिला दें, इससे न केवल हमारी पैदावार बढ़ेगी बल्कि खेत की उर्वरा शक्ति में भी इजाफा होगा।कृषि वैज्ञानिक डा. विजय कौशिक ने कहा कि यदि हम फसल अवशेष को आग नहीं लगाते और उन्हें कृषि यंत्रों की सहायता से मिट्टी में ही मिला देते हैं तो उस किसान के खेत की उर्वरा शक्ति बनी रहती है। उन्होंने कहा कि हमें अपनी फसलों में रासायनिक खादों की अपेक्षा हरी एवं गोबर की खाद का अधिक से अधिक प्रयोग करना चाहिए, क्योंकि हरी एवं गोबर की खाद से खेत की उर्वरा शक्ति बरकरार रहती है। यदि हम अपनी फसलों में जैविक खाद का प्रयोग करते हैं उससे न केवल हमारी पैदावारी में बढ़ोतरी होगी बल्कि हमारी फसलों में बीमारियां भी नहीं लगेगी।

किसान जागरूकता शिविर में सहायक तकनीकी प्रबंधक डा. रणबीर सिंह ने रबी के सीजन में उगने वाली फसलों जैसे गेहूं, सरसों इत्यादि के बारे विस्तार से जानकारी दी और इन फसलों में होने वाली बीमारियों से निपटने के लिए भी किसानों को जानकारी दी। किसान जागरूकता शिविर में उन्होंने बताया कि जो किसान अपने खेत में पराली के गटठर बनावाएंगे तो उन्हें सरकार की ओर से 1000 रुपये प्रति एकड़ की दर से प्रोत्साहन राशि भी दी जाएगी, जिसके लिए किसानों को रजिस्ट्रेशन करवाना होगा।

chat bot
आपका साथी