संक्रमण का खतरा बढ़ने से ग्रामीण क्षेत्रों में अलर्ट, नियंत्रण से बाहर कोरोना

स्वास्थ्य विभाग और पुलिस की कागजी सतर्कता आमजन पर भारी पड़ रही है। एक साल बाद भी कोरोना का डर लोगों में कम होने की बजाए बढ़ा है। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि कोरोना के साथ अवसर तलाशने की जरूरत है लेकिन ग्रामीण आंचल में स्वास्थ्य विभाग की कमजोर इम्यूनिटी वाली व्यवस्था फिलहाल लोगों को राहत नहीं दे पा रही है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 08 May 2021 05:53 AM (IST) Updated:Sat, 08 May 2021 05:53 AM (IST)
संक्रमण का खतरा बढ़ने से ग्रामीण क्षेत्रों में अलर्ट, नियंत्रण से बाहर कोरोना
संक्रमण का खतरा बढ़ने से ग्रामीण क्षेत्रों में अलर्ट, नियंत्रण से बाहर कोरोना

जागरण संवाददाता, करनाल : स्वास्थ्य विभाग और पुलिस की कागजी सतर्कता आमजन पर भारी पड़ रही है। एक साल बाद भी कोरोना का डर लोगों में कम होने की बजाए बढ़ा है। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि कोरोना के साथ अवसर तलाशने की जरूरत है लेकिन ग्रामीण आंचल में स्वास्थ्य विभाग की कमजोर इम्यूनिटी वाली व्यवस्था फिलहाल लोगों को राहत नहीं दे पा रही है।

जिला प्रशासन की ओर से कोरोना के बढ़ते मामलों के मद्देनजर कुछ इलाकों में ड्यूटी मजिस्ट्रेट तैनात कर दिए गए हैं, लेकिन अभी तक आवश्यक संसाधनों की कमी को पूरा नहीं किया जा सका है। अधिकारियों के दावे और धरातल की हकीकत की खाई साफ देखी जा सकती है। हालात ये हैं कि इंद्री क्षेत्र में पिछले तीन दिन में ब्लॉक के अंदर लगभग 240 मामले कोरोना पॉजिटिव आ चुके हैं और कुंजपुरा गांव को स्वास्थ्य विभाग ने हाई अलर्ट पर रखा है। तरावड़ी, नीलोखेड़ी, असंध, घरौंडा , निसिग में रोजाना कोरोना मरीजों की संख्या में इजाफा और संक्रमण से मौतों ने प्रशासन और आमजन को चिता में डाल दिया है।

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प्रशासन के पास स्थाई योजना की दरकार

स्वास्थ्य विभाग के पास पीएचसी और सीएचसी में हेल्थ कर्मियों का अभाव है। चिकित्सकों की कमी किसी से छिपी नहीं है। कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कालेज में मरीज को भर्ती करने के लिए तीमारदारों को जलालत झेलनी पड़ती है और निजी अस्पतालों में इलाज के लिए गरीब आदमी एक बार सोचता है। कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कालेज में ऑक्सीजन स्टॉक बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है लेकिन उत्पादन पर स्थिति स्पष्ट नहीं हो पा रही है। विधायक शमशेर सिंह गोगी ने बताया कि प्रशासनिक अधिकारियों से लगातार ग्रामीण क्षेत्रों में सुविधाओं की मांग करते आ रहे हैं। लॉकडाउन के दौरान अधिकारी अभी तक दुकानें खोलने और बंद करवाने का फैसला ठीक से नहीं ले पा रहे हैं। पीएचसी और सीएचसी में चिकित्सकों की कमी को पूरा नहीं किया गया और ग्रामीण क्षेत्रों में संक्रमण बचाव के लिए एक साल में स्थाई योजना नहीं बनाई गई। जागरूकता की कमी के कारण गांव के भोले-भाले लोग बुखार व संक्रमण के वार को ठीक से नहीं समझ पाते और मौत का शिकार हो रहे हैं। ----बॉक्स-----

आदेश का पालन कर रहे, हमारे हाथ भी खाली..

कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए एक सप्ताह पहले बढ़ते कोरोना मरीजों वाले क्षेत्रों में जिले के अलग-अलग विभाग के अधिकारियों की प्रशासनिक स्तर पर तैनाती की गई थी। प्रशासन के आदेश पर इन अधिकारियों ने क्षेत्रों में तैनाती तो ले ली लेकिन कमजोर व्यवस्था से दो-चार होना पड़ रहा है। ऐसे ही एक अधिकारी ने बताया कि पुलिस और स्वास्थ्य विभाग के सभी प्रयासों के बावजूद संक्रमण पर नियंत्रण नहीं किया जा सका। उनके अनुसार यह भी सच है कि किसी तरह की इमरजेंसी पर वे एक मरीज को अस्पताल में ऑक्सीजन बेड व वेंटिलेटर उपलब्ध नहीं करवा सकते हैं। सुविधाओं का अभाव किसी से छिपा नहीं है और खुद को संक्रमण बचाव के लिए निजी संसाधनों पर निर्भर हैं। सिविल सर्जन योगेश शर्मा ने बताया कि अस्पतालों में मरीजों की सेवा में चिकित्सक दिन-रात तैनात हैं। सुविधाओं को लेकर उच्चाधिकारियों के संज्ञान में लाया गया है। संकट की घड़ी में आमजन का सहयोग अनिवार्य है तभी संक्रमण पर काबू पाया जा सकता है। गांवों में टेस्टिग और वैक्सीनेशन बढ़ाई गई है।

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जिले में 860 मरीज ठीक, 500 संक्रमित, 11 मौत

नाइट क‌र्फ्यू और लॉकडाउन के एक सप्ताह बाद आखिरकार कुछ अपेक्षित परिणाम आने लगे हैं। स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन की सतर्कता के चलते शुक्रवार को 860 कोरोना के संक्रमित मरीज स्वस्थ हुए हैं जबकि 500 नए पॉजिटिव पाए गए हैं। जिला में कोरोना वायरस से संक्रमित अब तक लिए गए 326311 में 293910 सैम्पलों की रिपोर्ट नेगटिव आ चुकी है। जिले में अब तक 31647 पॉजिटिव केस सामने आए थे जिनमें से 26048 मरीज ठीक होकर घर चले गए। जिला का पॉजिटिविटी रेट 7.9 है और रिकवरी रेट 82.30 था। मृत्यु दर 1.03 फीसद है।

उपायुक्त निशांत कुमार यादव ने सिविल सर्जन की रिपोर्ट के अनुसार बताया कि जिले में शुक्रवार को 860 मरीज ठीक होकर अपने घर चले गए है। स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के अनुसार 11 मौत हुई हैं। इसके साथ-साथ जिले में शुक्रवार को कोरोना से संक्रमित 500 नए केस सामने आए है। अब तक 326 कोरोना पॉजिटिव मरीजों की मृत्यु हो चुकी है। इस प्रकार जिला में कोरोना वायरस के 5273 एक्टिव केस है। डीसी ने कहा कि सभी नागरिक लॉकडाउन के नियमों का पालन करें तथा घर पर रहें तथा पैनिक न बनाएं। ---------------

--इंद्री, गुढा, खेड़ी मानसिंह, कलसौरा, बड़ा गांव, ऊंचा समाना में पसरा कोरोना

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संवाद सहयोगी, इंद्री : कुंजपुरा में 100 से ज्यादा कोरोना पॉजिटिव केस मिल चुके हैं। सीएचसी इंद्री की ओर से इंद्री, गुढा, खेड़ी मानसिंह, कलसौरा, बड़ा गांव, ऊंचा समाना व नन्दी आदि गांवों को भी अलर्ट पर रखा गया है। क्षेत्र के इन गांवों में सबसे ज्यादा केस कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। विभाग के अनुसार इंद्री में दो व रंबा पीएचसी के एरिया में दो मौत हो चुकी हैं। विभाग लगातार लोगों को आगाह करने के साथ ही कोरोना से बचाव को लेकर सरकार की हिदायतों को पालन करने की अपील कर रहा है।

एसएमओ संदीप अबरोल ने कहा कि इंद्री के गुढा, खेड़ीमानसिंह, कलसौरा, नन्दी आदि गांवों में अब तक कोरोना पॉजिटिव केस ज्यादा मिले हैं यदि सिर्फ इंद्री की बात करें तो 25-30 केस रोज पॉजिटिव आ ही रहे हैं और इनते ही लोग आइसोलेशन पूरा कर ठीक हो रहे हैं। सीएचसी के अधीन सभी पीएचसी को मिलाएं तो रोजाना 30 के करीब पॉजिटिव केस आ जाते हैं। इंद्री में दो व रंबा पीएचसी के एरिया में दो मौतें हो चुकी हैं। हमें अभी चार मौतों की जानकारी है।

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स्वास्थ्य विभाग की तरफ से कुंजपुरा संवेदनशील घोषित

एसएमओ संदीप अबरोल के अनुसार कई गांवों को हाई अलर्ट पर रखा गया है और 10-12 गांव ऐसे चुन रखे हैं जिनमें जल्द से जल्द सैंपलिग की जा रही है। विभाग की ओर से हाई अलर्ट पर अभी सिर्फ कुंजपुरा का नाम आया है। इंद्री सीएचसी की तरफ से इंद्री, गुढा, ऊंचा समाना, कुंजपुरा, बड़ा गांव, खेड़ी मानसिंह, कलसौरा, नन्दी आदि गांवों ऐसे हैं जिनमें कोरोना पॉजिटिव केस ज्यादा मिले हैं। हम रोज देखते हैं कि इन गांवों में से किस सब-सेंटर पर केस ज्यादा आ रहे हैं। शुक्रवार को बड़ा गांव में सैंपलिग की जा रही है और इसके बाद मानसिंह में सेंपलिग करवाई जाएगी।

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अस्थाई व्यवस्था के भरोसे सीएचसी : एसएमओ

एसएमओ ने कहा कि इंद्री सीएचसी में 24 बेड की व्यवस्था है और मरीजों की संख्या बढ़ने पर इमरजेंसी स्पॉट के लिए चार बेड रखे हैं ताकि एमरजेंसी में ऐसे मरीजों को आक्सीजन दी जा सके। यहां लंबे समय तक भर्ती नहीं किया जा सकता है, लेकिन प्राथमिक उपचार कर सकते हैं ताकि उसके बाद मरीज को करनाल भेजा जा सके। जब तक मरीज को बेड अरेंज नहीं होता है तो हम दो-चार घंटे मरीज को इलाज दे सकते हैं। एसएमओ के अनुसार हमारे पास इस समय सीएचसी में तीन डाक्टर कार्यरत हैं और चौथा डाक्टर क्वांरनटीन है। यदि हमारे पास यहां स्पेलिस्ट हो तो हम बेहतर ट्रीटमेंट दे सकें। स्पेलिस्ट हो, सर्जन हों। कोरोना के मामलों में सॉल्यूशेन की ज्यादा इंपोरटेंस है। हम जो सेंपलिग कर रहे हैं, उसके रिजल्ट 24 घंटे में आ रहे हैं। हमने यहां आक्सीजन के कोंसंट्रेटर रखे हुए हैं, ये हवा में से खींचकर ऑक्सीजन बनाते रहते हैं। आक्सीजन देने के लिए चार बेड रखे हैं, गंभीर हालत में करनाल भेजा जाता है।

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