माडल संस्कृति प्राइमरी स्कूल के प्रति बढ़ा रुझान, दाखिला ले रहे बच्चे

स्मार्ट क्लास रूम सीसीटीवी लैस प्रांगण डिजिटल ब्लैक बोर्ड मैप एंड साइंस कार्नर एलईडी सीटिग एरेंजमेंट और आनलाइन क्लासे जैसी सुविधाओं ने अभिभावकों को माडल संस्कृति स्कूलों की तरफ आकर्षित किया है। ग्रामीण विद्यार्थियों को सीबीएसई बोर्ड की अंग्रेजी व हिदी माध्यम की शिक्षा मुहैया करवाने के लिए इन स्कूलों की नींव रखी गई थी। कुटेल गांव के प्राइमरी स्कूल को भी माडल संस्कृति स्कूल का दर्जा मिल चुका है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 24 Jul 2021 07:07 AM (IST) Updated:Sat, 24 Jul 2021 07:07 AM (IST)
माडल संस्कृति प्राइमरी स्कूल के प्रति बढ़ा रुझान, दाखिला ले रहे बच्चे
माडल संस्कृति प्राइमरी स्कूल के प्रति बढ़ा रुझान, दाखिला ले रहे बच्चे

संवाद सहयोगी, घरौंडा : स्मार्ट क्लास रूम, सीसीटीवी लैस प्रांगण, डिजिटल ब्लैक बोर्ड, मैप एंड साइंस कार्नर, एलईडी, सीटिग एरेंजमेंट और आनलाइन क्लासे जैसी सुविधाओं ने अभिभावकों को माडल संस्कृति स्कूलों की तरफ आकर्षित किया है। ग्रामीण विद्यार्थियों को सीबीएसई बोर्ड की अंग्रेजी व हिदी माध्यम की शिक्षा मुहैया करवाने के लिए इन स्कूलों की नींव रखी गई थी। कुटेल गांव के प्राइमरी स्कूल को भी माडल संस्कृति स्कूल का दर्जा मिल चुका है। 2018-19 में सुंदरीकरण प्रतियोगिता में प्रथम उपलब्धि हासिल करने वाले स्कूल में पहले से ही अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाई होती आ रही है। अब स्कूल को सीबीएसई से मान्यता मिल चुकी है।

कुटेल प्राइमरी स्कूल के अध्यापकों ने छात्रों को इस काबिल बनाया कि वे अंग्रेजी माध्यम में एडमिशन ले सकें। प्राइवेट स्कूलों के बच्चे भी एडमिशन लेने स्कूल आ रहे हैं। स्कूल प्रबंधन से प्राप्त जानकारी के मुताबिक, पहली कक्षा में 91 बच्चें, दूसरी में 100, तीसरी में 80, चौथी कक्षा में 96 और पांचवीं कक्षा में 114 बच्चों ने एडमिशन लिया है। जिनमें से 60 बच्चें प्राइवेट स्कूलों से आए है। पहली से चौथी कक्षा तक 30-30 बच्चों का अलग सेक्शन बनाया गया है, जिसमें सिर्फ अंग्रेजी माध्यम के बच्चे ही पढ़ सकते हैं। अभी तक 481 बच्चों के एडमिशन हो चुके हैं, जबकि पिछले वर्ष बच्चों की संख्या 439 थी। अभिभावक अभी भी अपने बच्चों के दाखिले के लिए पहुंच रहे हैं।

दीपक गोस्वामी ने बताया कि उनके स्कूल में पहले 17 अध्यापक कार्यरत थे, लेकिन सात का तबादला हो गया है। उनके स्थान पर कोई दूसरा टीचर नहीं आया है। ऐसे में व्यवस्था बनाए रखने के लिए अंग्रेजी माध्यम की कक्षाओं के लिए एक-एक स्पेशल टीचर नियुक्त किया गया है। अन्य टीचर बाकी बच्चों को पढ़ाएंगे। हालांकि टीचरों की संख्या पूरी करने के लिए शिक्षा विभाग को लिखा भी गया है। अभी तक स्कूल नहीं खुले हैं यदि स्कूल खुल जाते हैं तो टीचरों की कमी रहेगी। इसके अतिरिक्त बच्चों की संख्या के हिसाब से कमरे भी कम है, तो बच्चों को बरामदों में बैठाना पड़ता है। उन्होंने बताया कि स्कूल को स्मार्ट क्लास रूम, डिजिटल ब्लैक बोर्ड, सुंदर चित्रकारियों से सुसज्जित है। आनलाइन कक्षाओं के साथ होम विजिट का विकल्प

कोरोना के कारण बच्चों की पढ़ाई बाधित ना हो, इसके लिए स्टाफ सदस्य बच्चों को आनलाइन पढ़ाई करवा रहे है। बच्चों के होम वर्क को भी चैक किया जाता है और फोन करके भी बच्चों से बातचीत की जाती है। महीने में तीन या चार बार टीचर बच्चों के घर जाकर उनसे मुलाकात भी करते है और जिज्ञासा होने पर समाधान करते हैं। हाईटेंशन तार का नहीं हुआ समाधान

कुटेल के प्राइमरी स्कूल की बिल्डिग के ऊपर से 11 हजार वोल्टेज की हाईटेंशन केबल क्रास हो रही है। इसमें आग लगी तो बड़ा नुकसान कर सकती है। इस केबल को हटवाने के लिए कई बार पत्र व्यवहार भी किया गया है लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ है। बच्चों को इससे खतरा है। घरौंडाखंड शिक्षा अधिकारी सुदेश ठकराल ने बताया कि कुटेल के प्राइमरी स्कूल में सीबीएसई हिदी और अंग्रेजी मीडियम की पढ़ाई होगी। स्टाफ की पूर्ति के लिए दूसरे स्कूलों के टीचरों की ड्यूटी लगाई जाएगी। हाईटेंशन तार का मामला उनके संज्ञान में आया है। इसके बारे में स्कूल हेड से पूरी जानकारी ली जाएगी।

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