कोरोना के चलते करनाल जेल से 250 कैदियों को 31 अगस्त तक दी जाएगी पैरोल

पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के तत्वावधान में गठित हाई पावर कमेटी ने अब 14 मई से जेल में सात साल या इससे अधिक सजा काट रहे कैदियों को पैरोल पर छोड़ने के बारे में दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इसके चलते करनाल जेल से 250 कैदियों को पैरोल दी जाएगी।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 14 May 2021 05:30 AM (IST) Updated:Fri, 14 May 2021 05:30 AM (IST)
कोरोना के चलते करनाल जेल से 250 कैदियों को 31 अगस्त तक दी जाएगी पैरोल
कोरोना के चलते करनाल जेल से 250 कैदियों को 31 अगस्त तक दी जाएगी पैरोल

जागरण संवाददाता, करनाल : पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के तत्वावधान में गठित हाई पावर कमेटी ने अब 14 मई से जेल में सात साल या इससे अधिक सजा काट रहे कैदियों को पैरोल पर छोड़ने के बारे में दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इसके चलते करनाल जेल से 250 कैदियों को पैरोल दी जाएगी।

पहले छोड़े गए 30 कैदी शुक्रवार को आने थे, जिन्हें भी इंकार कर दिया गया है। कमेटी द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार किसी भी कैदी को छोड़ने का फैसला जेल अधिकारियों, पुलिस विभाग व न्यायिक अधिकारियों के विवेक पर छोड़ा गया है। बता दें कि करनाल जेल से कोरोना महामारी के चलते पिछले साल भी पैरोल पर छोड़े गए कैदियों में से पांच वापस नहीं लौटे थे और उन्हें भगोड़ा घोषित किया गया था। वहीं चार कैदियों की पैरोल के दौरान अलग-अलग समय पर मौत हो गई थी।

जेल अधीक्षक अमित कुमार भादों ने बताया कि उच्च स्तर से मिले आदेशानुसार प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। वहीं जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण की सचिव एवं सीजेएम जसबीर ने बताया कि हाईकोर्ट की हाई पावर्ड कमेटी ने 11 मई को आयोजित हुई बैठक में कैदियों की रिहाई के बारे में कई फैसले लिए हैं। प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष एवं न्यायमूर्ति राजन गुप्ता ने इस संबंध में निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने कहा है कि हाई पावर कमेटी ने पिछले आठ चरणों में सात साल व इससे अधिक वर्ष की सजा काट रहे 2580 कैदियों को जेल से रिहा किया था। इनमें 2170 कैदी अब तक जेल प्रशासन के समक्ष आत्मसमर्पण कर चुके हैं। 280 कैदियों के आत्मसमर्पण की प्रक्रिया 14 मई से आरंभ होगी। इस बीच कमेटी ने पूर्व में रिहा किए गए सभी बंदियों को 31 अगस्त तक पैरोल देने का फैसला लिया है। जो कैदी जेल से बाहर आने के लिए मना करते हैं तो उनसे लिखित में यह सहमति ले ली जाए। उन्होंने बताया कि कोरोना की दूसरी लहर को देखते हुए समिति ने फिलहाल अदालतों में विचाराधीन कैदियों के आने पर रोक संबंधी फैसला किया है। यह निर्देश भी दिया गया है कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्देशों को ध्यान में रखते हुए अदालती कार्रवाई के दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंसिग के माध्यम से आरोपितों को पेश किया जाए।

समिति ने कैदियों और जेल कर्मचारियों के बीच कोविड संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए उनके परिवारिक सदस्यों के साथ कैदियों के मेल-मिलाप पर भी रोक लगा दी है। लेकिन, जेल प्रशासन को पारदर्शी और व्यवस्थित तरीके से वीडियो कॉन्फ्रेंसिग या अन्य किसी माध्यम से बातचीत आयोजित करने की अनुमति दी है।

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