बिना लिपि वाली भाषाएं विलुप्त होने के कगार पर : द्विवेदी

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 समग्र चितन के संदर्भ में महर्षि वाल्मिकि संस्कृत विश्वविद्यालय में आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला के छठे दिन महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विवि उज्जैन के कुलपति डा. पंकज जानी मुख्यातिथि रहे।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 26 Sep 2020 06:43 AM (IST) Updated:Sat, 26 Sep 2020 06:43 AM (IST)
बिना लिपि वाली भाषाएं विलुप्त  होने के कगार पर : द्विवेदी
बिना लिपि वाली भाषाएं विलुप्त होने के कगार पर : द्विवेदी

जागरण संवाददाता, कैथल : राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 समग्र चितन के संदर्भ में महर्षि वाल्मिकि संस्कृत विश्वविद्यालय में आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला के छठे दिन महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विवि उज्जैन के कुलपति डा. पंकज जानी मुख्यातिथि रहे।

उन्होंने संबोधित करते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति के केंद्र छात्र हैं। हमें योग्य नागरिक निर्माण के लिए कार्य करना होगा। शिक्षक को यह सोचकर कार्य करना चाहिए कि यह कार्य ईश्वर द्वारा ही हमें प्रदान किया गया है। वक्ता जेएनयू दिल्ली के प्रो. संतोष शुक्ल ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मुख्य बिदुओं को प्रस्तुत करते हुए कृषि, व्यावसायिक शिक्षा, प्रौढ़ शिक्षा, भूमि तकनीकि, पशुचिकित्सा शिक्षा, लघु प्रौद्योगिकी शिक्षा से अवगत करवाया। उन्होंने साक्षरता के विषय में भी कहा संस्कृत मुख्यधारा में आए ऐसा नई शिक्षा नीति में निहित है।

जोधपुर के वक्ता प्रो. सत्यप्रकाश दूबे ने कहा कि इस समय शिक्षा व्यवसाय की बन कर रह गई है। विवि के कुलपति डा. श्रेयांश द्विवेदी ने अध्यक्षता करते हुए कहा बहुत सी बिना बोले जाने वाली या बिना लिपि वाली भाषा विलुप्त होने के कगार पर है। अगर उन्हें बचाना है तो उस भाषा को व्यवहार में लाना होगा।

उन्होंने कहा कि शनिवार को इस कार्यशाला के समापन अवसर पर हरियाणा के शिक्षामंत्री कंवरपाल गुर्जर राष्ट्रीय शिक्षानीति पर अपना उद्बोधन करेंगे। कार्यक्रम का संयोजन एवं संचालन डा. रामानंद मिश्र ने किया। इस मौके पर विवि के शैक्षणिक अधिष्ठाता प्रो. राजेश्वर प्रसाद मिश्र, कुलपति के विशेष अधिकारी डा. जगतनारायण कौशिक, आचार्य डा. नवीन शर्मा, डा. शीतांशु त्रिपाठी, डा. विनय गोपाल त्रिपाठी, उप-कुलसचिव रवि भूषण मौजूद रहे।

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