कोरोना बढ़ा तो रोडवेज बसों में कम हुई यात्रियों की संख्या, रोजाना तीन लाख का घाटा
कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच लोग अब फिर दोबारा से रोडवेज बसों में सफर से परहेज करने लगे हैं। रोडवेज बसों में यात्रियों की संख्या कम हो गई है। कैथल डिपो को पिछले महीने से हर रोज करीब तीन लाख रुपये का घाटा हो रहा है। पहले की अपेक्षा रोडवेज बसों का संचालन भी प्रभावित हुआ है।
जागरण संवाददाता, कैथल: कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच लोग अब फिर दोबारा से रोडवेज बसों में सफर से परहेज करने लगे हैं। रोडवेज बसों में यात्रियों की संख्या कम हो गई है। कैथल डिपो को पिछले महीने से हर रोज करीब तीन लाख रुपये का घाटा हो रहा है। पहले की अपेक्षा रोडवेज बसों का संचालन भी प्रभावित हुआ है। इसका असर डिपो की आमदनी पर देखने को मिल रहा है। बता दें कि कैथल डिपो से एक महीना पहले तक प्रतिदिन लगभग 35 से 38 हजार यात्री सफर कर रहे थे, अब यह संख्या घटकर लगभग 25 से 30 हजार के करीब पहुंच गई है। प्रदेश में रात्रि कर्फ्यू भी लागू है। इस कारण लोग घरों से भी कम निकल रहे हैं। कर्फ्यू का असर रोडवेज की आमदनी पर पड़ रहा है। रोडवेज अधिकारियों की मानें तो उन्हें कर्फ्यू के कारण यात्रियों के अभाव में दूसरे राज्यों को जाने वाली बसें डिपो में खड़ी करना शुरू कर दी हैं। रोडवेज की 143 बसें है डिपो में
रोडवेज कैथल डिपो में वर्तमान में 143 बसें हैं। इनमें से वर्तमान में 120 रोडवेज व 23 बसें किलोमीटर स्कीम के तहत लोकल से लेकर लंबे रूट पर चलती हैं। पिछले चार महीनों से रोडवेज की आमदनी में सुधार हुआ था। 11 लाख रुपये तक रोजाना कमाई हो रही थी। प्रदेश में 17वें नंबर से डिपो आठवें नंबर पर भी पहुंचा था और डिपो को आमदनी में सुधार की काफी उम्मीद थी, लेकिन इससे पहले कोरोना का ग्राफ बढ़ने से उसकी उम्मीदों को झटका लगा दिया है। विभाग की आमदनी पर असर पड़ा है। यात्रियों की संख्या कम हुई है। पिछले महीने 11 लाख के करीब रोजाना आमदनी हुई थी, लेकिन अब यह आठ लाख रुपये हो गई है। यात्रियों के अभाव में शिमला रूट को बंद करना पड़ा। दिल्ली के लिए भी साढ़े तीन बजे के बाद यात्री नहीं मिल रहे है, उसे भी बंद करना पड़ रहा है।
- अजय गर्ग, रोडवेज जीएम, कैथल