ओपीडी में नहीं मिले तीन में से दो डॉक्टर, भटकते रहे मरीज

मौसम में लगातार फेरबदल हो रहा है। मौसम में आए बदलाव के कारण अस्पताल में आए दिन मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है। वर्तमान समय में ओपीडी में दो हजार से 2500 मरीज प्रतिदिन अस्पताल में इलाज कराने के लिए पहुंच रहे है

By JagranEdited By: Publish:Tue, 28 Jan 2020 08:30 AM (IST) Updated:Tue, 28 Jan 2020 08:30 AM (IST)
ओपीडी में नहीं मिले तीन में से दो डॉक्टर, भटकते रहे मरीज
ओपीडी में नहीं मिले तीन में से दो डॉक्टर, भटकते रहे मरीज

जागरण संवाददाता, कैथल : मौसम में लगातार फेरबदल हो रहा है। मौसम में आए बदलाव के कारण अस्पताल में आए दिन मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है। वर्तमान समय में ओपीडी में दो हजार से 2500 मरीज प्रतिदिन अस्पताल में इलाज कराने के लिए पहुंच रहे हैं, लेकिन जिला अस्पताल की व्यवस्था ठीक नहीं है। डॉक्टर अपने कमरे से गायब रहते हैं और मरीज ठंड में इधर-उधर भटकने को मजबूर हैं। सोमवार को दैनिक जागरण की टीम ने सुबह 11 बजकर 20 से 12 बजकर 30 मिनट तक अस्पताल में पहुंचकर मरीजों को मिलने वाली सुविधाओं की जानकारी हासिल की। अस्पताल में इलाज करवाने के लिए पहुंचे मरीज डॉक्टर न होने के कारण इधर उधर भटकते हुए दिखाई दिए। अस्पताल में ओपीडी के बाहर मरीजों की लंबी कतार लगी थी। ओपीडी करवाने के लिए लाइनों में लोगों दो से तीन घंटे से खड़े थे, इसमें तीन से चार लाइनें लगी हुई थी। उसके बाद हड्डी रोग विशेषज्ञ की ओपीडी पर पहुंचे तो वहां भी लोगों का काफी भीड़ देखी गई लोगों का कहना था कि ओपीडी में डॉक्टर कभी बाहर आ जाता है कभी अंदर चला जाता है। मरीजों को बाहर खड़े होकर दो घंटे से इंतजार कर रहे है। मरीज हड्डी रोग विशेषज्ञ की ओपीडी पर धक्का- मुक्की करते हुए भी देखे गए। ओपीडी के बाहर लोग एक दूसरे की सिफारिश लगवा रहे थे। सिफारिश वाले मरीजों को अंदर भेज जा रहा था। बॉक्स

आधे घंटे से गायब रहे डॉक्टर

ओपीडी नंबर 22 पर सबसे ज्यादा भीड़ देखी गई। 11 बजकर 44 मिनट पर ओपीडी मेडिकल जांच कमरे में गए वहां पर आधा घंटा से डॉक्टर गायब था। लोग डॉक्टर के इंतजार में खड़े थे 30 मिनट तक भी डॉक्टर ओपीडी नहीं पहुंचा। मरीजों का कहना था कि यहां दो डॉक्टरों की मरीजों के इलाज के लिए ड्यूटी लगवाई हुई है। डॉक्टर एक भी नहीं है। डॉक्टर से दवाई लिखवाने के लिए 15 से 20 मिनट से नहीं मिल रहा है। इसके बाद आयुष्मान बनाने वाले कमरे में गए तो वहां भी लंबी लंबी लाइन लगी हुई थी काफी देर से लोग अपने इंतजार में खड़े थे। इस तरह की स्थिति अस्पताल में अब हर रोज देखने को मिल रही है। अगर मरीज को अस्पताल में दवाई लेने के लिए आना हो तो तीन घंटों से पहले मरीज रजिस्ट्रेशन से लेकर दवाई तक समय गंवाना पड़ रहा है। बॉक्स

डॉक्टरों की है भारी कमी

इस समय अस्पताल में डॉक्टरों के 56 पद स्वीकृत है डॉक्टर 14 ही कार्यरत है। इस कारण मरीज समय पर इलाज नहीं करवा पा रहे है। लोगों को निजी अस्पतालों का सहारा लेना पड़ रहा है वहां अस्पताल अपनी मनमर्जी की फीस वसूलते है। जो डॉक्टर यहां कार्यरत रहते है उनको भी विभाग के कामों में इधर उधर जाना पड़ रहा है। बॉक्स-

दो घंटों से खड़ा हुआ लाइन में

पिलनी निवासी रामफल ने बताया कि वह सुबह 9 बजकर 30 मिनट पर अस्पताल में आया था सबसे पहले उसे 30 मिनट पर्ची वाली लाइन में लगना पड़ा उसके बाद एक घंटे से हड्डी रोग विशेषज्ञ ओपीडी के बाहर खड़ा हूं। डॉक्टर अपनी पहचान के लोगों का ही अंदर बुला रहा है। सरकार को इसकी तरफ ध्यान देने की आवश्यकता है। बॉक्स

दो घंटे में हुई दवाई उपलब्ध

सजूमा निवासी श्याम सिंह ने बताया कि वह सुबह 10 बजे अस्पताल में दवाई लेने के लिए पहुंच गया था लेकिन दो घंटों में मुझे दवाई उपलब्ध हुई है। कभी डॉक्टर बाहर चला जाता है कभी बैठता है तो लाइन में खड़ा होकर मशक्त करनी पड़ती है। सरकार को इसकी तरफ ध्यान देने की आवश्यकता है। बीमार व्यक्ति को इतने समय लाइन में खड़ा होना मुश्किल हो जाता है। बॉक्स

डॉक्टरों की नियुक्ति की जाए

लखन सिंह ने बताया कि वह एक घंटे से लाइन में आयुष्मान कार्ड बनवाने के लिए खड़ा है। अभी तक उसका कार्ड नहीं बना है। सरकार को कर्मचारियों की नियुक्ति करनी की आवश्यकता है। कम कर्मचारी होने के कारण ज्यादा समय देना पड़ता है। वर्जन

सिविल सर्जन डॉ. सुरेंद्र नैन बताया कि डॉक्टरों की कमी को विभाग के पास लिखकर भेजा हुआ है। उम्मीद है कि जल्द पदों को भर दिया जाएगा। अब जितने डॉक्टर है उनसे काम लिया जा रहा है। प्रयास रहता है कि सभी मरीजों का इलाज कराया जाए।

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