मारपीट मामले में दोषी महिला सहित तीन को दो साल की सजा

मामूली रंजिशन के चलते लाठी व डंडों से हमला कर चोट मारने के मामले में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश पूनम सुनेजा की अदालत ने महिला सहित तीन को दोषी करार देते हुए दो साल की सजा व 4500-4500 रुपये जुर्माना की सजा सुनाई है। जुर्माना न भरने पर अतिरिक्त सजा काटनी होगी।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 30 Jul 2021 07:51 AM (IST) Updated:Fri, 30 Jul 2021 07:51 AM (IST)
मारपीट मामले में दोषी महिला सहित तीन को दो साल की सजा
मारपीट मामले में दोषी महिला सहित तीन को दो साल की सजा

जागरण संवाददाता, कैथल : मामूली रंजिशन के चलते लाठी व डंडों से हमला कर चोट मारने के मामले में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश पूनम सुनेजा की अदालत ने महिला सहित तीन को दोषी करार देते हुए दो साल की सजा व 4500-4500 रुपये जुर्माना की सजा सुनाई है। जुर्माना न भरने पर अतिरिक्त सजा काटनी होगी।

एसपी लोकेंद्र सिंह ने बताया कि चिनाई मिस्त्री का काम करने वाले खुराना रोड निवासी किताब सिंह की शिकायत पर 19 अप्रैल 2018 को थाना शहर पुलिस में केस दर्ज किया था। शिकायत अनुसार उनकी कालोनी में रहने वाला गुरमेल सिंह, उसका बेटा बलजिद्र सिंह पुराने खिड़की दरवाजे खरीदकर व बेचने का काम करता है। बलजिद्र सिहं ने किताब सिंह से तीन दरवाजे व एक शोकेस खरीदा था। जिसके पैसे मांगने पर बलजिद्र सिंह उसके साथ गाली-गलौच करने लगा। 19 अप्रैल 2018 को सुबह गली से से जा रहे किताब सिंह पर बलजिद्र सिंह, उसके पिता गुरमेल सिंह व बलजिद्र की पत्नी सुरजीत कौर ने लाठी व डंडों से हमला कर दिया। इसमें उसे काफी चोट आई थी। एसपी ने बताया कि थाना शहर में एससी-एसटी एक्ट की विभिन्न धाराओं तहत दर्ज मामले में दोषी गुरमेल सिंह, बलजिद्र सिंह व महिला सुरजीत कौर को शामिल अनुसंधान कर मामले का चालान तैयार करके न्यायालय के सुपुर्द कर दिया। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश, विशेष न्यायालय एससी-एसटी व पोक्सो एवं क्राइम अगेंस्ट वुमन कैथल की अदालत ने दोषी गुरमेल सिंह, बलजिद्र सिंह व महिला सुरजीत कौर को दो-दो साल की कैद व 4500-4500 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई।

एसपी ने बताया कि न्यायालय ने अपने निर्णय में साफ तौर पर लिखा एससी-एसटी एक्ट 1989 समाज के कमजोर वर्ग के उत्थान के लिए बनाया गया है। इस एक्ट का उद्देश्य स्वर्ण जाति के लोगों द्वारा अनुसूचित जातियों व जनजातीय लोगों के साथ किए गए अत्याचार व उत्पीड़न के कृत्यों को धारा तीन के तहत दंडित करने का है। इस प्रकार के निर्णय से दोषियों को दंडित करने से गरीब आदमी का न्याय व्यवस्था में विश्वास बढ़ेगा।

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