गांव बाबा लदाना स्थित डेरा बाबा राजपुरी पर तीन दिवसीय विशाल मेला कल से

गांव बाबा लदाना स्थित डेरा बाबा राजपुरी पर तीन दिवसीय मेला शुक्रवार से शुरू हो रहा

By JagranEdited By: Publish:Wed, 13 Oct 2021 10:27 PM (IST) Updated:Wed, 13 Oct 2021 10:27 PM (IST)
गांव बाबा लदाना स्थित डेरा बाबा राजपुरी पर तीन दिवसीय विशाल मेला कल से
गांव बाबा लदाना स्थित डेरा बाबा राजपुरी पर तीन दिवसीय विशाल मेला कल से

कैथल : गांव बाबा लदाना स्थित डेरा बाबा राजपुरी पर तीन दिवसीय मेला शुक्रवार से शुरू हो रहा है। दशहरे के दिन रात को ही श्रद्धालु मेले में पहुंचना शुरू हो जाते हैं। हर वर्ष दशहरा, एकादशी और द्वादशी पर मेला लगता है। बाबा की धूनी पर प्रसाद और ध्वजा चढ़ाई जाती है। दो दिनों तक प्रदेशभर से लोग पूजा करने के लिए जाते हैं और तीसरे दिन गांव की महिलाएं पूजा करती हैं। विशाल मेले में बच्चे और महिलाएं जमकर खरीदारी करते हैं। मंदिर को सजाया जा रहा है। यहां आने वाले लोगों के लिए प्रसाद तैयार किया जाता है। तीन दिनों तक भंडारा लगाया जाता है। बता दें कि बाबा राजपुरी पशु धन में लाभ के लिए प्रसिद्ध है। इन तीन दिनों में सैकड़ों क्विटल दूध यहां चढ़ाया जाता है। इस दूध से लोगों के लिए प्रसाद बना दिया जाता है। रोडवेज और पुलिस विभाग की तरफ से पुख्ता प्रबंध किए जाते हैं। सुरक्षा को लेकर भारी पुलिस बल तैनात रहता है। ------------

550 वर्ष पुराना है बाबा राजपुरी डेरे का इतिहास :

डेरे के महंत दूजपुरी महाराज ने बताया कि डेरे का इतिहास करीब 550 साल पुराना है। मान्यता है कि 550 साल पहले गांव में एक बच्चे का जन्म हुआ था, जो शैशव काल से ही महान योगी की तरह थे। बाद में वे बाबा राजपुरी के नाम से प्रसिद्ध हुए। यह डेरा स्वामी विवेकानंद के गुरु रामकृष्ण परमहंस और उनके गुरु महंत तोतापुरी महाराज की तपोस्थली रहा है। यहां महंत तोतापुरी की समाधि है। महंत ने बताया कि माता हिगलाज अष्टमी की रात को डेरे में बने मंदिर में आती हैं और वर्षों पुराने जाल के पेड़ पर धागा बांधकर जाती हैं। दशहरा के दिन जाल के पेड़ पर बाबा राजपुरी और माता हिगलाज की पूजा कर ध्वजा चढ़ाई जाती है। बाबा राजपुरी के देश भर में करीब 365 मठ हैं।

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जरूरत के हिसाब से चलेंगी रोडवेज बसें :

बाबा लदाना मेले को लेकर रोडवेज विभाग की तरफ से बसें चलाई जाती हैं। ये बसें मेले के तीन दिनों तक चलती हैं। इस बार भी जरूरत के हिसाब से बसों का संचालन किया जाएगा। बस स्टैंड से ज्यादा बसें मेले के लिए जाएंगी। इससे पहले चंदाना गेट से ज्यादा बसें जाती थी। पहले चंदाना गेट पर रावण दहन किया जाता था और वहां आस-पास के गांव से लोग आते थे। रावण दहन के बाद लोग रात को ही बाबा लदाना पहुंचना शुरू हो जाते थे। अब वहां रावण दहन नहीं किया जाता है।

- कमलजीत, टीएम, रोडवेज, कैथल

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