धान के अवशेष न जलाने वाले किसानों को दी जाने वाली 10 लाख रुपये की राशि वापस भेजी

धान के अवशेष न जलाने वाले किसानों को दी जाने वाली 10 लाख रुपये की राशि वापस भेजी

By JagranEdited By: Publish:Sat, 23 May 2020 04:35 PM (IST) Updated:Sat, 23 May 2020 04:35 PM (IST)
धान के अवशेष न जलाने वाले किसानों को दी जाने वाली 10 लाख रुपये की राशि वापस भेजी
धान के अवशेष न जलाने वाले किसानों को दी जाने वाली 10 लाख रुपये की राशि वापस भेजी

जागरण संवाददाता, कैथल :

गुहला व सीवन ब्लॉक में धान की बजाय अन्य फसल की पैदावार करने वाले किसानों को प्रति एकड़ 7000 रुपये दिए जाने की घोषणा पर किसान संशय में है। क्योंकि पिछले वर्ष हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद पराली न जलाने वाले किसानों को एक हजार रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि दिए जाने की बात कही थी। बहुत से किसानों ने सरकार की बात मानते हुए अपने खेत की पराली नहीं जलाते हुए पराली के गांठें बनवाई थी और खेत से पराली उठाने के लिए कई किसानों ने गांठ बनवाने के लिए सीएचसी (कस्टमर हायर सेंटर) चलाने वालों को प्रति एकड़ 700 से 1200 रुपये तक देने पड़े थे। ये पराली के गांठ सीएचसी सेंटर चलाने वालों ने बाद में इन गांठों को महंगे दाम पर बेचा, लेकिन किसान खाली हाथ रह गया, क्योंकि एक तो किसान को अपने खेत से पराली उठाने के लिए पैसे देने पड़े और दूसरी तरफ सरकार की घोषणा भी मात्र ढकोसला निकली। इसका खुलासा कृषि विभाग से मांगी गई आरटीआइ में हुआ। प्रति एकड़ 1000 रुपये की राशि किसानों को दी जानी थी

आरटीआइ कार्यकर्ता जयपाल रसुलपुर ने बताया कि उन्होंने कृषि विभाग से आरटीआइ मांगी थी कि जिले में अब तक कुल कितने किसानों को पराली न जलाने पर प्रोत्साहन राशि दी गई है। आरटीआइ के जवाब में कृषि विभाग ने बताया कि पूरे जिले के किसी भी किसान को कोई भी प्रोत्साहन राशि नहीं दी गई है। इसके अलावा आरटीआइ में पूछा था कि जिले में कितने किसानों पर पराली जलाने पर कार्रवाई की गई है। इसके जवाब में कृषि विभाग ने बताया कि जिले के 151 किसानों पर पराली जलाने पर एफआइआर हुई और इनमें से 148 किसानों से प्रति एकड़ 2500 रुपये के हिसाब से 3 लाख 75 हजार रुपये के हिसाब से वसूले गए हैं। आरटीआइ में बताया कि गुहला ब्लाक में किसी भी किसान से जुर्माना की राशि नहीं वसूली गई है। उधर जानकारी मिली है कि सरकार ने पराली न जलाने वाले किसानों को प्रति एकड़ 1000 रुपये प्रोत्साहन राशि देने के लिए जिले में 10 लाख रुपये की राशि भेजी गई थी, जो अधिकारियों के तालमेल न होने, किसानों को जागरूकता अभाव एवं सीएचसी सेंटर संचालकों की भेंट चढ़ गई और यह राशि वापस सरकार के पास भेज दी गई। आरटीआइ कार्यकर्ता ने कहा कि इस लापरवाही पर दोषी अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। कृषि उपनिदेशक कर्मचंद ने बताया कि किसानों को गैर-बासमती धान के अवशेष नहीं जलाने वाले किसानों को प्रोत्साहन राशि देने के लिए सरकार की तरफ से 10 लाख रुपये आए थे, लेकिन हमारे पास कोई भी आवेदन नहीं आया, जिस कारण यह राशि वापस चली गई। कर्मचंद ने बताया कि हमारे पास मार्केटिग बोर्ड की तरफ से केस की फाइल बनकर आनी थी और बोर्ड के पास किसानों को जे फार्म के साथ आवेदन करना था, जांच करने के बाद किसानों को भुगतान कर देते, लेकिन कोई केस नहीं आया।

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