पौराणिक तीर्थ पर अस्थि विसर्जन घाट न होना बना परेशानी का सबब

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By JagranEdited By: Publish:Tue, 19 Nov 2019 08:30 AM (IST) Updated:Tue, 19 Nov 2019 08:30 AM (IST)
पौराणिक तीर्थ पर अस्थि विसर्जन घाट न होना बना परेशानी का सबब
पौराणिक तीर्थ पर अस्थि विसर्जन घाट न होना बना परेशानी का सबब

संवाद सहयोगी, कलायत :

कुरुक्षेत्र की 48 कोस की परिधि में आने वाला कलायत का पौराणिक कपिल तीर्थ अपना विशेष महत्व रखता है। इस पौराणिक तीर्थ को महाभारत कालीन तीर्थ भी कहा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जब महाभारत का युद्ध हुआ तो उस समय अनेक योद्धा वीरगति को प्राप्त हुए थे। इस दौरान वीरगति को प्राप्त हुए योद्धाओं की अस्थियां चुन उन्हें विसर्जित करने के लिए श्री गंगा जी नहीं ले जाया गया बल्कि उन्हें इसी पौराणिक तीर्थ में विसर्जित किया गया था जिसके साथ ही भगवान श्रीकृष्ण ने इसे भी देवभूमि के नाम की संज्ञा दी थी। इसके पश्चात से ही प्रथा है कि कलायत में जो भी व्यक्ति इस नश्वर संसार से विदा हो जाता है तो उसके परिजनों द्वारा कलायत की इस देवभूमि पर अंतिम संस्कार किया जाता है। परिवार से बिछुड़ी इस मृतक देह की अस्थियों को चुनने के बाद उन्हें गंगा जी नहीं ले जाया जाता बल्कि उन्हें पौराणिक तीर्थ में ही विसर्जित किया जाता है। शिवपुरी शमशान वेलफेयर सोसायटी के प्रधान राधेश्याम भट्ट ने बताया कि यहां से जब भी अस्थि विसर्जन की जाती है तो परिवार के अन्य सदस्यों ने एक दूसरे की बाजू पकड़ अस्थि विर्सजन करने वाले परिवार के सदस्य को पौराणिक तीर्थ में जाने दिया जाता है। उन्होंने बताया कि कई बार ऐसा भी समय आया है जब पोडियों में अधिक फिसलन होने के चलते व्यक्ति तीर्थ में भी गिरा गया हो। उन्होंने कहा कि क्षेत्र के लोगों द्वारा सरकार, प्रशासन के साथ कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड से भी कई बार गुहार लगाई जा चुकी है मगर आज तक भी अस्थि विसर्जन घाट का निर्माण नहीं करवाया गया।

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