विद्यार्थियों को ऑनलाइन शिक्षा मुहैया करा रही स्टूडेंट्स-पेरेंट्स एसोसिएशन

शहर की स्टूडेंट्स-पेरेंट्स एसोसिएशन द्वारा बुक बैंक स्थापित करने के बाद अब विद्यार्थियों को निशुल्क ऑनलाइन शिक्षा मुहैया करवाई जा रही है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 14 May 2021 06:37 AM (IST) Updated:Fri, 14 May 2021 06:37 AM (IST)
विद्यार्थियों को ऑनलाइन शिक्षा मुहैया  करा रही स्टूडेंट्स-पेरेंट्स एसोसिएशन
विद्यार्थियों को ऑनलाइन शिक्षा मुहैया करा रही स्टूडेंट्स-पेरेंट्स एसोसिएशन

जागरण संवाददाता, कैथल : शहर की स्टूडेंट्स-पेरेंट्स एसोसिएशन द्वारा बुक बैंक स्थापित करने के बाद अब विद्यार्थियों को निशुल्क ऑनलाइन शिक्षा मुहैया करवाई जा रही है। बता दें कि कोरोना महामारी के बीच अब दोबारा से स्कूल बंद हो गए हैं। ऐसे में कुछ अभिभावकों द्वारा फीस नहीं देने पर स्कूल संचालकों द्वारा उनके वाट्सएप नंबर ब्लाक कर दिए जाते हैं। इसको लेकर ही यह फैसला लिया गया था। यह अभियान पांच मई से शुरू हो चुका है।

एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने इस अभियान की पहल करते हुए निजी स्कूलों द्वारा अभिभावकों द्वारा दाखिला फीस न देने पर ऑनलाइन कक्षाएं बंद करने पर शुरू की है। इस अभियान के तहत कुल 20 अध्यापक विद्यार्थियों को ऑनलाइन माध्यम से पढ़ा रहे हैं। जो एक जिले से नहीं, बल्कि अलग-अलग जिलों से विद्यार्थियों के साथ जुड़कर उन्हें पढ़ाई करवा रहे हैं। विद्यार्थियों को जूम व गुगल मीट एप से पढ़ाया जा रहा :

स्टूडेंट्स-पेरेंट्स एसोसिएशन के जिला प्रधान मोनू बत्तरा ने बताया कि नौंवी से 12वीं कक्षा तक के विद्यार्थियों को जूम व गुगल मीट एप से पढ़ाया जा रहा है। इस दौरान जिले में दो हजार से अधिक विद्यार्थी ऑनलाइन माध्यम से शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। इसमें विद्यार्थियों को भी अन्य शुल्क नहीं लिया जा रहा है और एसोसिएशन की ओर से लगाए गए अध्यापक भी निशुल्क शिक्षा दे रहे हैं।

बॉक्स : निजी स्कूलों की मनमानी

से तंग आ लिया फैसला :

जिला प्रधान मोनू बत्तरा ने बताया कि कोरोना महामारी के बीच सरकार ने निजी स्कूलों द्वारा दाखिला फीस न लेने का फैसला दिया है। इस दौरान कुछ निजी स्कूल ट्यूशन फीस के अलावा दाखिला फीस की भी डिमांड कर रहे थे। ट्यूशन फीस तो दे दी गई, लेकिन दाखिला फीस नहीं देने पर स्कूलों द्वारा बच्चों की ऑनलाइन कक्षाएं लगानी बंद कर दी। इसके बाद निजी स्कूलों द्वारा की जा रही मनमानी के विरोध में यह फैसला लिया और सोशल मीडिया के माध्यम से इस मुहिम की शुरूआत की।

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