कोई खुश हुआ कोई रो दिया, आसमां तूने यह कैसा कर्म किया

राष्ट्रीय कवि संगम की एक गोष्ठी करनाल रोड स्थित कार्यालय में हुई। अध्यक्षता योगी यशवीर आर्य ने की। इस गोष्ठी में वर्ष 2021-22 के लिए जिला कार्यकारिणी का गठन भी किया गया। कार्यक्रम का संचालन डा. प्रद्युम्न भल्ला ने किया।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 02 Aug 2021 05:54 AM (IST) Updated:Mon, 02 Aug 2021 05:54 AM (IST)
कोई खुश हुआ कोई रो दिया, आसमां तूने यह कैसा कर्म किया
कोई खुश हुआ कोई रो दिया, आसमां तूने यह कैसा कर्म किया

कैथल (वि) : राष्ट्रीय कवि संगम की एक गोष्ठी करनाल रोड स्थित कार्यालय में हुई। अध्यक्षता योगी यशवीर आर्य ने की। इस गोष्ठी में वर्ष 2021-22 के लिए जिला कार्यकारिणी का गठन भी किया गया। कार्यक्रम का संचालन डा. प्रद्युम्न भल्ला ने किया। बैठक में योगी यशवीर आर्य को सर्वसम्मति से इकाई का संरक्षक, श्याम सुंदर गौड को सह संरक्षक बनाया गया। इसके साथ ही सुशील बिदलिश को अध्यक्ष, सतपाल पाराशर को उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई। जबकि मोहित मित्तल को सचिव, राजेश भारती को सहसचिव और विरोचन गर्ग को कोषाध्यक्ष बनाया गया। इसी तरह महिला प्रतिनिधि की जिम्मेदारी डा. संध्या आर्य को दी। जबकि डा. तेजिद्र मान को प्रचारक नियुक्त किया। गोष्ठी में कवियों ने अपनी रचनात्मक प्रस्तुतियां दी। जिसकी शुरूआत करते हुए डा. प्रद्युम्न भल्ला ने कहा, बहुत दिनों के बाद लबो पर, प्यार का कोई नगमा आया, लगता जैसे युग बदला हो, परिवर्तित होना मन को भाया। मोहित मित्तल ने कहा, अबला नहीं मैं सबला हूं, अपनी रक्षा खुद कर सकती हूं। सतपाल पराशर ने कहा, राम तुम्हें बन जाना होगा, अपना फर्ज निभाना होगा। काकौत से आए राजेश भारती ने कहा, औरत रचती रहती है जीवन भर और रहती है फिक्रमंद उम्रभर। बलवान कुंडू ने कहा कि सूख गए आंखों से अशक, अब मैं मौत के गान लिखता हूं। नीरू मेहता ने अपने बानगी पेश करते हुए कहा, कोई खुश हुआ कोई रो दिया, आसमां तूने यह कैसा कर्म किया। इसी कड़ी में डा. संध्या आर्य ने कहा, कैसे सांस सांस को तरसती आज मानवता, सदियों से संचित पापों को धोती मानवता।

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