सीता के विलाप में वन में भटके श्रीराम तो साधु वेश में मिले हनुमान

श्री ग्यारह रूद्री शिव मंदिर व श्री सनातन धर्म मंदिर में रामलीला का मंचन चल रहा है। मंग

By JagranEdited By: Publish:Wed, 13 Oct 2021 10:18 PM (IST) Updated:Wed, 13 Oct 2021 10:18 PM (IST)
सीता के विलाप में वन में भटके श्रीराम तो साधु वेश में मिले हनुमान
सीता के विलाप में वन में भटके श्रीराम तो साधु वेश में मिले हनुमान

कैथल : श्री ग्यारह रूद्री शिव मंदिर व श्री सनातन धर्म मंदिर में रामलीला का मंचन चल रहा है। मंगलवार की रात में हनुमान का श्रीराम से मिलाप, श्रीराम की सुग्रीव से मित्रता और बाल वध का मंचन किया गया। रामलीला के मंचन को लेकर इस बार लोगों में उत्साह दिखाई दे रहा है। काफी लोग रामलीला को देखने के लिए पहुंच रहे हैं। श्री ग्यारह शिव रूद्री मंदिर में श्री गणेश ड्रामाटिक क्लब द्वारा किए जा रहे रामलीला मंचन की शुरूआत भगवान हनुमान की झांकी से हुई। मंगलवार रात के कार्यक्रम में रामलीला के कार्यक्रम में भाजपा नेता पाला राम सैनी ने मुख्यातिथि के रूप में शिरकत की। क्लब के निर्देशक धर्मबीर असीजा व रमेश चंद जांगड़ा ने बताया कि मंचन के दौरान कुल नौ सीन दिखाए गए। असीजा ने बताया कि पहले सीन में हनुमान की झांकी दिखाई जाती है। इसके बाद दूसरे सीन में पंचवटी में श्रीराम -लक्ष्मण की माता सीता को ढूंढने की चर्चा। तीसरे सीन में भिलनी की कुटिया में श्रीराम-लक्ष्मण का पहुंचना। चौथे सीन में सुग्रीव दरबार और भगवान राम से हनुमान का साधु वेश में मिलना। पांचवें सीन में बाली का दरबार। छठे सीन में राम-सुग्रीव की मित्रता व बाल वध को लेकर चर्चा। सांतवें सीन में बाली महल में सुग्रीव का पहुंचना। आठवें सीन में बाली वध और नौवें सीन में सुग्रीव का राजतिलक दिखाया जाता है। असीजा ने मंचन में बताया कि सीता हरण के बाद श्रीराम सीता के विलाप में वन में भटकते हुए ऋषि गुम पर्वत के पास पहुंचते हैं। वहां सुग्रीव हनुमान को श्रीराम-लक्ष्मण के बारे जानकारी लेने के वेश बदलकर पहुंचने के लिए कहता है। परंतु जैसे ही हनुमान को यह जानकारी मिलती है कि वह श्रीराम है तो वह धन्य हो जाते हैं। हनुमान श्रीराम को सुग्रीव के पास ले जाते हैं। सुग्रीव भी अपनी व्यथा श्रीराम को सुनाते हैं। जिसके बाद बाल वध और सीता हरण का रावण से बदला लेने के तहत दोनों में मित्रता हो जाती है। श्रीराम धोखे से बाली का वध कर देते हैं। इसके बाद सुग्रीव का राजतिलक हो जाता है। वानर सेना लंका पर चढ़ाई करने के तहत श्रीराम हनुमान को माता सीता का पता लगाने के भेजते हैं।

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