बिजली निगम के कार्यालय में सीटों से नदारद मिले कर्मचारी

पिहोवा चौक स्थित राजीव गांधी विद्युत सदन में स्थापित बिजली निगम के कार्यालय में आने वाले लोगों की समस्या का समाधान नहीं हो पाता है। इसका कारण बिजली निगम की कार्यप्रणाली नहीं बल्कि यहां पर अधिकारियों के मौजूद न रहना भी है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 23 Sep 2021 08:26 AM (IST) Updated:Thu, 23 Sep 2021 08:26 AM (IST)
बिजली निगम के कार्यालय में सीटों से नदारद मिले कर्मचारी
बिजली निगम के कार्यालय में सीटों से नदारद मिले कर्मचारी

जागरण संवाददाता, कैथल : पिहोवा चौक स्थित राजीव गांधी विद्युत सदन में स्थापित बिजली निगम के कार्यालय में आने वाले लोगों की समस्या का समाधान नहीं हो पाता है। इसका कारण बिजली निगम की कार्यप्रणाली नहीं, बल्कि यहां पर अधिकारियों के मौजूद न रहना भी है। बुधवार को दैनिक जागरण ने विद्युत सदन में स्थित निगम के कार्यालयों का दौरा किया। समय दोपहर 12 बजे। बरसात का मौसम था। खराब मौसम के कारण यहां पर हलचल तो कम थी। इसके साथ ही यहां पर अधिकतर काउंटर खाली। एसडीओ कार्यालय में बने काउंटरों पर कर्मचारी अपना काम कर रहे थे, लेकिन परिसर में स्थित बिजली बिल से संबंधित यहां पर सभी काउंटर खाली थे और कोई भी कर्मचारी मौजूद नहीं था। यहां पर पहुंचने उपभोक्ताओं को काफी परेशानी हो रही थी। जिनका कहना था कि वह अपने कामों को करने के लिए पहुंचे थे, लेकिन सीटें खाली मिलने से कोई समाधान नहीं हो पाया है।

बुधवार को बुलाया गया था, लेकिन कोई भी कर्मचारी नहीं मिला : कृष्ण कुमार

यहां पर अंबाला रोड स्थित राधा स्वामी कालोनी से कृष्ण कुमार पहुंचे थे, लेकिन उन्हें कोई भी बिलिग काउंटर पर कर्मचारी नहीं मिला। कृष्ण कुमार ने बताया कि पांच साल पहले उसने बिजली निगम से घर का कनेक्शन लिया था, लेकिन निगम के घर के कनेक्शन को व्यापारिक प्रतिष्ठान का कनेक्शन बना दिया। जबकि बिल दोनों ही कनेक्शनों के दिए जा रहा है। खपत एक ही कनेक्शन पर हो रही थी। उन्होंने बताया कि इस प्रकार से बिजली निगम ने तीन सालों में कुल 21 हजार रुपये बिल बना दिया। बुधवार को उन्हें यहां पर समाधान के लिए बुलाया गया था, लेकिन यहां पर कोई भी कर्मचारी नहीं मिला। उन्होंने बताया कि इसके बाद वह एसई से मिले। एसई ने जल्द ही समस्या का समाधान करने का आश्वासन दिया है।

निगम के कार्यालय में लगातार बिजली उपभोक्ताओं की शिकायत का निवारण किया जाता है। ऐसा नहीं है कि सीट पर अधिकारी या कर्मचारी नहीं बैठते। उपभोक्ताओं की समस्याओं को ध्यानपूर्वक सुन उनका समाधान किया जाता है।

बीएस रंगा, एसई, उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम, कैथल।

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