रणधीर सिंह को चुना ढुल खाप का कार्यवाहक प्रधान

पाई ढुल खाप की कार्यकारिणी की बैठक मंगलवार को गांव भाणा में हुई। सबसे पहले ढुल खाप के कृषि कानून विरोधी आंदोलन में जान गंवाने वाले किसानों और ढुल खाप के प्रधान इंद्र सिंह ढुल के निधन पर श्रद्धांजलि दी गई। उसके बाद कार्यकारिणी ने सर्वसम्मति से रणधीर सिंह ढुल इक्कस को कार्यवाहक प्रधान चुना।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 24 Feb 2021 07:57 AM (IST) Updated:Wed, 24 Feb 2021 07:57 AM (IST)
रणधीर सिंह को चुना ढुल खाप का कार्यवाहक प्रधान
रणधीर सिंह को चुना ढुल खाप का कार्यवाहक प्रधान

संवाद सहयोगी, पाई : ढुल खाप की कार्यकारिणी की बैठक मंगलवार को गांव भाणा में हुई। सबसे पहले ढुल खाप के कृषि कानून विरोधी आंदोलन में जान गंवाने वाले किसानों और ढुल खाप के प्रधान इंद्र सिंह ढुल के निधन पर श्रद्धांजलि दी गई। उसके बाद कार्यकारिणी ने सर्वसम्मति से रणधीर सिंह ढुल इक्कस को कार्यवाहक प्रधान चुना। युवा ढुल खाप के प्रधान राजेंद्र ढुल ने बताया कि खाप की हर साल 23 सितंबर को विशाल महा पंचायत होती है। इस बार भी यह बैठक 23 सितंबर 2021 को होगी, जिसका स्थान बाद में तय किया जाएगा। उस समय खाप का स्थाई प्रधान चुना जाएगा। तब तक रणधीर सिंह इक्कस ही कार्यकारी प्रधान रहेंगे। बैठक में बलजीत भाणा, मास्टर धर्म सिंह, मास्टर रामफल, रणधीर फौजी पाई, मास्टर चंद्र भान पाई, पूर्व सरपंच ओमप्रकाश सेरधा, कृष्ण सरपंच रमाना, दलीप सिंह खावा, धर्मबीर, सुरजीत हरसौला मौजूद रहे।

किसानों ने पगड़ी संभाल दिवस मना जताया रोष

संवाद सहयोगी, ढांड : संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर आज देश में किसानों ने पगड़ी संभाल दिवस मनाया। ढांड में भी ऑल इंडिया किसान खेत मजदूर संगठन ने जिला कमेटी के सदस्य कामरेड कृष्ण चंद के नेतृत्व में यह कार्यक्रम किया। जिला कमेटी सदस्य दर्शन सिंह, जेठूराम, भजना राम, जगरूप, सोमाराम ने कहा कि आज सारे देश में पगड़ी संभाल दिवस पंजाब में शहीद भगत सिंह के चाचा अजीत सिंह की जयंती पर मनाया गया। उन्होंने सन 1907 में किसानों के आंदोलन का नेतृत्व किया था। उस समय की अंग्रेज सरकार किसानों के साथ बहुत ज्यादा अत्याचार करती थी, जिसके खिलाफ पंजाब के किसानों ने जबरदस्त आंदोलन चलाया था और अंग्रेज सरकार को किसानों की मांगों के आगे झुकना पड़ा था। आज 74 साल की आजादी के बाद भी किसानों पर अत्याचार बढ़ रहे हैं। उनके ऊपर कृषि कानून थोपे जा रहे हैं। इसलिए किसानों ने विरोध का यह तरीका अपनाते हुए सरकार के खिलाफ रोष जताया है।

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