निजी स्कूलों से नहीं नाता, गांव नैना को सरकारी सिस्टम ही भाता

गांव नैना शिक्षा में मामले में जिले का सबसे अधिक पढ़ा-लिखा गांव माना जाता है। इस गांव की आबादी के आधार पर यहां पर 70 प्रतिशत लोग पूरी तरह से शिक्षित हैं। इस छोटे से गांव से एक एचसीएस अधिकारी भी बने हैं। यहीं नहीं गांव में अधिकतर परिवार अपने बच्चों को सिर्फ सरकारी स्कूल में पढ़ाना पसंद करते हैं।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 21 Apr 2021 05:38 AM (IST) Updated:Wed, 21 Apr 2021 05:38 AM (IST)
निजी स्कूलों से नहीं नाता, गांव नैना को सरकारी सिस्टम ही भाता
निजी स्कूलों से नहीं नाता, गांव नैना को सरकारी सिस्टम ही भाता

कमल बहल, कैथल : गांव नैना शिक्षा में मामले में जिले का सबसे अधिक पढ़ा-लिखा गांव माना जाता है। इस गांव की आबादी के आधार पर यहां पर 70 प्रतिशत लोग पूरी तरह से शिक्षित हैं। इस छोटे से गांव से एक एचसीएस अधिकारी भी बने हैं। यहीं नहीं, गांव में अधिकतर परिवार अपने बच्चों को सिर्फ सरकारी स्कूल में पढ़ाना पसंद करते हैं। इस गांव में कोई भी निजी स्कूल नहीं है। यहां महज 10 से 15 फीसदी अभिभावक ही अपने बच्चों को शहर या दूसरे गांव के निजी स्कूल में भेजते हैं। गांव में एक राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल है और एक राजकीय प्राइमरी स्कूल है। यहां कोई भी निजी स्कूल नहीं है। अभिभावकों द्वारा राजकीय स्कूल पर भरोसा जताने का नतीजा यह है कि वर्ष 2019 में इस गांव से कई विद्यार्थी सरकारी नौकरी हासिल कर चुके हैं। इसमें से एक एचसीएस अधिकारी भी हैं। गांव के सरकारी स्कूल में निजी स्कूल जैसी सुविधाएं मिल रही हैं। गांव में 12वीं कक्षा तक का विद्यालय है और इस स्कूल से पढ़कर ही 100 से अधिक युवा शिक्षण के क्षेत्र में हैं। इस गांव की आबादी करीब साढ़े चार हजार है। बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाने का रुझान ऐसा बना कि पिछले सात वर्षाें में 250 से अधिक युवाओं ने सरकारी नौकरियां हासिल की हैं। वर्ष 2019 में हुए एचसीएस की परीक्षा में युवा रजत गर्ग ने बाजी मारी तो वहीं, सतीश नहरी विभाग में एसडीओ बना। गांव नैना की आबादी करीब चार हजार है, जबकि इसमें 2300 मतदाता हैं। गांव से वर्ष 2019 में दो युवाओं ने हरियाणा पब्लिक सर्विस में नौकरी प्राप्त की है। गांव का सरकारी स्कूल है बेहतर :

एक्साइज विभाग में सहायक अधिकारी बने रजत गर्ग ने बताया कि गांव के राजकीय स्कूल का हमेशा ही प्रदर्शन काफी उत्कृष्ट रहा है। वर्ष 2012 में इस स्कूल ने बोर्ड की परीक्षाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर पूरे प्रदेश में पहला स्थान हासिल किया था। यहां के स्कूल की हर तरफ प्रशंसा होती है। विभाग ने संवारा स्कूल

जिला शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थान में कार्यरत शारीरिक शिक्षा के प्राध्यापक दलबीर सिंह ने बताया कि गांव के सरकारी स्कूल की लोकप्रियता बढ़ने के बाद से अब विद्यार्थी नौकरी के आयोजित होने वाली परीक्षाओं की तैयारी करने में जुट जाते हैं। यहां पर अध्यापकों ने मिलकर स्कूल में सुधार के कुछ कार्य किए। यहां पर कक्षाएं निजी स्कूलों की तरह की संवारा गया है। जिसमें दो स्मार्ट क्लास रूम बनाए गए हैं। यहां पर ऑटोमोबाइल की लैब बनाई गई है। खेल का मैदान है। यह स्कूल वर्ष 2015 में राज्य स्तर पर बोर्ड की कक्षा के परीक्षा परिणाम में पहला स्थान प्राप्त कर चुका है। स्कूल शिक्षा के साथ खेलों में भी काफी उत्कृष्ट रहा है। वर्ष 2014 के बाद से लेकर 2019 तक 15 खिलाड़ी नेशनल स्तर पर पदक हासिल कर चुके हैं। स्वच्छता में भी है अव्वल :

गांव के सरपंच प्रतिनिधि सुरेंद्र ने बताया कि गांव की आबादी केवल साढ़े चार हजार ही है, लेकिन यहां पर ग्रामीणों सहयोग से स्वच्छता और शिक्षा के मामले में काफी सुधार हुए हैं। गांव के युवाओं के इस रुझान ने गांव का पूरे जिले सहित प्रदेश में अपना परचम लहराया है। आने वाले समय में भी इस सम्मान को कायम रखा जाएगा।

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