आरटीआइ की सूचना न देने पर एक्सईएन और एसडीओ पर 25 हजार का जुर्माना

जागरण संवाददाता कैथल आरटीआइ कार्यकर्ता सतीश आरटीआइ कार्यकर्ता सतीश ¨सघल की शिकायत पर बिजली निगम कैथल के तत्कालीन एक्सईएन एमएस धीमान और वर्तमान में एसडीओ मनोज कुंडू पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया। दोनों की मार्च महीने की सैलरी में से साढे 12-12 हजार रुपये काटने के आदेश भी राज्य सूचना आयुक्त डॉ. रेखा ने दिए हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 23 Feb 2019 10:27 AM (IST) Updated:Sat, 23 Feb 2019 10:27 AM (IST)
आरटीआइ की सूचना न देने पर एक्सईएन  और एसडीओ पर 25 हजार का जुर्माना
आरटीआइ की सूचना न देने पर एक्सईएन और एसडीओ पर 25 हजार का जुर्माना

जागरण संवाददाता, कैथल : आरटीआइ कार्यकर्ता सतीश ¨सघल की शिकायत पर बिजली निगम कैथल के तत्कालीन एक्सईएन एमएस धीमान और वर्तमान में एसडीओ मनोज कुंडू पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया। दोनों की मार्च महीने की सैलरी में से साढे 12-12 हजार रुपये काटने के आदेश भी राज्य सूचना आयुक्त डॉ. रेखा ने दिए हैं।

बता दें कि मार्च 2017 में बिजली निगम की टीम ने जीटीबी कॉलोनी निवासी कपिल के घर छापामारी करते हुए चोरी का केस बनाया था और उन्हें 17 हजार 614 रुपये जुर्माना किया गया था। कपिल ने निगम के अधिकारियों के दबाव में यह जुर्माना राशि तो भर दी थी, लेकिन उन्होंने आरटीआइ से छापेमारी के बारे में सूचना मांगी, लेकिन उनकी आरटीआइ का पहले कोई जवाब नहीं दिया गया और बाद में उसे कैंसल कर दिया गया।

मामले में आरटीआइ कार्यकर्ता सतीश ¨सघल ने कई आरटीआइ लगाई, लेकिन जब उन्हें भी आरटीआइ से संबंधित सूचना नहीं दी गई तो उन्होंने प्रथम अपील अधिकारी और राज्य सूचना आयुक्त को भी लिखा। इसके बावजूद उन्हें सूचना नहीं दी गई। 2017 से ही सतीश ¨सघल रेड से पीड़ित कपिल को न्याय दिलाने के लिए लड़ रहे थे।

सतीश ¨सघल का कहना है कि पूर्व में मामला राज्य सूचना आयुक्त चंदप्रकाश के संज्ञान में भी था, लेकिन उन्होंने कार्रवाई करने की बजाय आरटीआइ को ही कैंसल कर दिया था। उन्होंने पहले उनका केस ट्रांसफर किए जाने की मांग की थी जिसके बाद यह सफलता मिली है।

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ये है छापेमारी की कहानी

- सतीश ¨सघल का कहना है कपिल के घर के बाहर पंचायती बोर लगा हुआ है। यहां से कपिल व अन्य पड़ोसी भी पानी भरते हैं, लेकिन बिजली निगम ने छापेमारी में कपिल के घर की चोरी दिखाया। बिजली निगम के पास इसके संबंध में कोई सबूत भी नहीं था। उन्होंने वीडियो फुटेज व तस्वीरें मांगी तो उन्हें नहीं दी गई। आरटीआइ के तहत सूचना मांगने के बाद निगम ने सबूत जुटाने के प्रयास भी किए जो कि नहीं किया जा सकता है। निगम पूर्व में भी ऐसी कई फर्जी छापेमारी कर लोगों को परेशान करने का काम करता है। ऐसे अधिकारियों को जुर्माना ही नहीं जेल भी होनी चाहिए।

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