कपास की फसल पर गुलाबी सुंडी का प्रकोप, किसानों हो रहा आर्थिक नुकसान
क्षेत्र के कपास उत्पादक रकबे पर इस बार गुलाबी सुंडी का प्रकोप है। इस बीमारी से प्रति एकड़ 30 से 35 प्रतिशत अनुमानित नुकसान उत्पादन में हो रहा है।
संवाद सहयोगी, कलायत : क्षेत्र के कपास उत्पादक रकबे पर इस बार गुलाबी सुंडी का प्रकोप है। इस बीमारी से प्रति एकड़ 30 से 35 प्रतिशत अनुमानित नुकसान उत्पादन में हो रहा है। इससे चलते किसानों को उम्मीद के अनुरूप उत्पादन मिलने की बजाय भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। सुंडी का हमला कपास के टींडे पर इस कदर होता है कि फूल खिल नहीं पाता।
यह कहना है किसानों का
गांव बात्ता के किसान चंद्रपाल राणा, बलदेव सैनी, रामचंद्र सैनी का कहना है कि पहले कृषकों को बे-मौसमी बरसात ने नुकसान पहुंचाया और अब कपास फसल पर मंडरा रहे बीमारी के साए ने उनके सपनों को तार-तार करके रख दिया। उन्हें समझ नहीं आ रहा कि आखिरकार वे कैसे कृषि को मुनाफे का सौदा बनाएं। मेहनत का पसीना बहाने के बाद भी उन्हें लाभ नहीं मिल रहा। सूखा, बाढ़, बीमारी और दूसरे संकट फसलों को चक्रव्यूह में उलझाकर रखते हैं। सरकार से विशेष नीति बनाकर उनके नुकसान की भरपाई की मांग की है।
कम रहेगी मंडी में आवक
कृषि विभाग रिकार्ड अनुसार कलायत क्षेत्र में 3550 हेक्टेयर कपास एरिया है। अधिकांश क्षेत्र में चुगाई हो चुकी है। वर्तमान में अनुमानित एक हजार हेक्टेयर रकबा शेष रहता है। बीमारी के प्रभाव के कारण अनाज मंडी में कपास की आवक पर विपरीत असर देखने को मिल रहा है।
वर्जन
बे-मौसमी बरसात के कारण कपास की फसल पर गुलाबी सुंडी का प्रभाव आया है। बीमारी की रोकथाम के लिए किसानों को निरंतर जागरूक किया गया। कपास की फसल पर सुंडी का प्रकोप न रहे इसके लिए टींडों को पशुओं को खिला दें, ताकि भविष्य में इस प्रकार की बीमारी नुकसान ना पहुंचा सके।
डा. रामेश्वर श्योकंद, खंड कृषि अधिकारी।