14 हजार 18 बच्चों में से 3198 बच्चे मिले बीमार, 698 बच्चों में खून की कमी तो 13 बच्चों का दिल कमजोर
केंद्र सरकार की तरफ से वर्ष 2014 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत राष्ट्रीय
कैथल : केंद्र सरकार की तरफ से वर्ष 2014 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम शुरू किया था। इस कार्यक्रम के तहत स्कूल व आंगनबाड़ी केंद्रों पर सर्वे करते हुए बीमार बच्चों को चिन्हित किया जाता है। कोरोना महामारी के बाद पिछले डेढ साल से यह अभियान बंद था। सितंबर माह में योजना के तहत स्कूलों में स्क्रीनिग शुरू की गई। जिले के 54 स्कूलों में सर्वे किया गया। इसमें 14 हजार 18 बच्चों की जांच की। 3198 बच्चे विभिन्न बीमारियों से ग्रस्त पाए गए। इनमें 176 बच्चे सांस की बीमारी से पीड़ित मिले हैं, वहीं 698 बच्चों में खून की कमी, 12 बच्चों का दिल कमजोर, 519 बच्चों की आंखों की रोशनी कम, 719 बच्चों में दांत की बीमारी, छह बच्चों की हड्डी कमजोर, 01 बच्चा होट कटा हुआ मिला। इसी तरह से इस योजना के तहत कुल 30 बीमारियों की स्क्रीनिग की जाती है। बीमार बच्चों को इलाज के लिए सिविल अस्पताल में संपर्क करने के लिए कहा गया है। जिन बच्चों को दिल की बीमारी है, उनके अभिभावकों को इलाज के लिए हायर सेंटर में इलाज की सलाह दी गई है।
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स्कूलों में स्क्रीनिग के लिए 11 मोबाइल टीमें गठित
इस योजना के तहत स्कूलों में बच्चों के स्वास्थ्य की जांच को लेकर कुल 11 मोबाइल टीमों का गठन किया गया है। इसमें चिकित्सक सहित अन्य स्टाफ शामिल है। योजना के तहत सरकारी स्कूल व आंगनबाड़ी केंद्रों में दाखिल बच्चों के स्वास्थ्य की जांच की जाती है, लेकिन आंगनबाड़ी केंद्र बंद हैं, इसलिए स्कूलों में ही अब सर्वे चल रहा है। पहली से 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों के स्वास्थ्य की जांच की जाती है। बीमारी सामने के बाद जिला अस्पताल रेफर कर इलाज शुरू किया जाता है। जिला स्तर पर अगर इलाज संभव नहीं तो हायर सेंटर रेफर किया जाता है। इनमें पीजीआइ चंडीगढ़, रोहतक, फोर्टिस अस्पताल मोहाली, जयपुर के नारायण अस्पताल में बच्चों का इलाज करवाया जाता है। इस बीमारी के तहत इलाज लेने वाले बच्चों पर एक साल में करीब आठ से दस लाख रुपये का बजट खर्च हो रहा है। अब तक करीब पांच करोड़ रुपये की राशि बच्चों के इलाज पर खर्च हो चुकी है।
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जिले में कुल 600 के करीब सरकारी स्कूल हैं, इनमें एक लाख 30 हजार के करीब विद्यार्थी हैं, वहीं 1268 आंगनबाड़ी केंद्र में 63 हजार 738 बच्चे दाखिल हैं, जिन्हें राशन मिल रहा है। योजना के तहत अब तक 54 सरकारी स्कूलों के 14 हजार 18 बच्चों की स्क्रीनिग हुई है।
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नागरिक अस्पताल में अब योजना का बदला गया है कार्यालय
इस योजना का कार्यालय भी अब बदला गया है। पहले जहां कार्यालय था वहां आइसीयू बनाया जा रहा है। कोरोना महामारी की तीसरी लहर को देखते हुए विभाग तैयारियों में जुआ है। आइसीयू वार्ड बनने के कारण इस जगह से योजना के कार्यालय को हटा कर दूसरे स्थान पर शिफ्ट किया गया है। योजना के बारे में विभाग की तरफ से लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है, ताकि लोग इस योजना का ज्यादा से ज्यादा संख्या में लाभ उठा सकें।
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सिविल सर्जन डा. जयंत आहूजा ने बताया कि गरीब एवं जरूरतमंद परिवारों के बच्चों को इलाज की निशुल्क सुविधा मिले, इसे देखते हुए सरकार की तरफ से बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम चलाया जा रहा है। सरकारी स्कूलों व आंगनबाड़ी केंद्रों में पढ़ने वाले बच्चों की स्क्रीनिग की जाती है। बीमारी सामने आने के बाद बच्चों का इलाज शुरू किया जाता है।