40 में से मात्र सात संचालकों ने दिया प्रदूषण बोर्ड के नोटिस का जवाब

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से 15 दिन पहले जिले भर के 40 अस्पताल और लैब संचालकों को नोटिस जारी किए गए थे। इन अस्पतालों में बायोमेडिकल वेस्ट का उचित निपटान नहीं किया जा रहा था। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड रीजनल ऑफिसर राजेंद्र शर्मा की ओर से नोटिस जारी किए गए थे।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 31 Oct 2020 06:51 AM (IST) Updated:Sat, 31 Oct 2020 06:51 AM (IST)
40 में से मात्र सात संचालकों ने दिया  प्रदूषण बोर्ड के नोटिस का जवाब
40 में से मात्र सात संचालकों ने दिया प्रदूषण बोर्ड के नोटिस का जवाब

सुनील जांगड़ा, कैथल : प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से 15 दिन पहले जिले भर के 40 अस्पताल और लैब संचालकों को नोटिस जारी किए गए थे।

इन अस्पतालों में बायोमेडिकल वेस्ट का उचित निपटान नहीं किया जा रहा था। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड रीजनल ऑफिसर राजेंद्र शर्मा की ओर से नोटिस जारी किए गए थे। 15 दिन होने के बाद 40 में से मात्र सात संचालकों ने ही एग्रीमेंट लेने के लिए आवेदन किया है। बायो मेडिकल वेस्ट के निपटान को लेकर लैब और अस्पताल संचालक गंभीर नहीं है। अब प्रदूषण बोर्ड की ओर से अप्लाई ना करने वाले संचालकों की मीटिग बुलाई जाएगी और साथ में नोटिस का रिमाइंडर भेजा जाएगा। अगर उसके बाद भी संचालक आवेदन नहीं करते हैं तो बोर्ड की ओर से अस्पताल और लैब को सील कर दिया जाएगा। संचालकों को बायोमेडिकल वेस्ट के लिए सरकार की ओर से अधिकृत सर्विस प्रोवाइडर को हायर करना होता है। कैथल के लिए हिसार की एजेंसी सूर्या वेस्ट मैनेजमेंट को अधिकृत किया गया है। एजेंसी अस्पताल से वेस्ट उठाने की व्यवस्था करती है।

पांच प्रकार के रखने होते हैं डस्टबिन

अस्पतालों में बायोमेडिकल वेस्ट के निपटान के लिए पांच डस्टबिन रखे जाते हैं। काले डस्टबिन में कार्यालय सामग्री, डिस्पोजेबल पेपर, रसोई का कचरा डालना होता है। लाल रंग के डस्टबिन में प्लास्टिक का सामान, रबर का सामान, दस्ताने डालने होते हैं। नीले रंग के डस्टबिन में कांच की बोतल, इंजेक्शन की शीशी डालनी होती है। पीले रंग के डस्टबिन में संक्रामक अपशिष्ट जैसे शरीर के कटे हुए अंग, व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण डालने होते हैं। सफेद रंग के डस्टबिन में प्रयुक्त की गई सुईयां, ब्लेड या अन्य वेस्ट सामान डालना होता है। बता दें कि अस्पतालों से निकलने वाला बायोमेडिकल वेस्ट लोगों के लिए हानिकारक साबित हो सकता है।

303 तक पहुंच चुका है एयर क्वालिटी इंडेक्स

वायु में प्रदूषण का स्तर भी लगातार बढ़ रहा है। दो दिन पहले एयर क्वालिटी इंडेक्स 270 था, लेकिन शुक्रवार को यह बढ़कर 303 तक पहुंच चुका है। किसान लगातार धान के अवशेषों में आग लगा रहे हैं, जिस कारण वायु दूषित हो रही है। इसके अलावा शहर के लोग भी कचरे में आग लगा देते हैं। लगातार बढ़ रहा इंडेक्स लोगों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। सांस लेने में तकलीफ, आंखों में जलन, खांसी और जुकाम की समस्या भी हो सकती है।

बायोमेडिकल वेस्ट का निपटान करना अनिवार्य

अस्पतालों में बायोमेडिकल वेस्ट का उचित निपटान करना अनिवार्य है। ऐसा ना पाए जाने पर कैथल के 40 लैब और अस्पताल संचालकों को नोटिस जारी किए गए थे। 15 दिन का समय खत्म होने के बाद 40 में से मात्र सात ने ही अप्लाई किया है। जिन्होंने आवेदन नहीं किया, उनकी मीटिग बुलाई जाएगी और नोटिस का रिमांइडर भेजा जाएगा। उसके बाद भी अप्लाई ना करने वाले संचालकों पर कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी।

- राजेंद्र शर्मा, रीजनल ऑफिसर हरियाणा स्टेट प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कैथल।

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