विकास की जगह होता रहा बवाल, विवादों में निकले पांच साल

नगर परिषद के मौजूदा हाउस का कार्यकाल सोमवार को खत्म हो गया। मंगलवार से एसडीएम डा.संजय कुमार नप प्रशासक के तौर पर कार्यभार संभाल लेंगे।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 22 Jun 2021 07:09 AM (IST) Updated:Tue, 22 Jun 2021 07:09 AM (IST)
विकास की जगह होता रहा बवाल, विवादों में निकले पांच साल
विकास की जगह होता रहा बवाल, विवादों में निकले पांच साल

सुनील जांगड़ा, कैथल

नगर परिषद के मौजूदा हाउस का कार्यकाल सोमवार को खत्म हो गया। मंगलवार से एसडीएम डा.संजय कुमार नप प्रशासक के तौर पर कार्यभार संभाल लेंगे। इन पांच सालों में नगर परिषद में कई बार विवाद हुए। कभी चेयरमैन की कुर्सी तो कभी पार्षदों की आपसी राजनीति हावी रही। इस कार्यकाल में दो चेयरमैन रहे और दो बार उपप्रधान ने कार्यकारी प्रधान के तौर पर कार्यभार संभाला। शहर के 31 पार्षद कांग्रेस और भाजपा दो गुटों में बंटे रहे। ऐसी कोई हाउस की बैठक नहीं रही होगी जब पार्षदों के बीच विवाद ना हुआ हो। पार्षदों की खींचतान के बीच कई बड़ी समस्याओं का समाधान नहीं हो पाया। कुल मिलाकर यह पांच साल विकास की बजाय विवाद की भेंट चढ़ गए। इस तरह से रहा कार्यकाल

- मई 2016 में शहर के लोगों ने 31 पार्षदों को चुन कर नगर परिषद में भेजा।

- नप चेयरमैन पद को लेकर खूब उठापटक हुई और चुनाव हुआ। भाजपा समर्थित यशपाल प्रजापति को चेयरमैन और कांग्रेस समर्थित डा. पवन थरेजा को उप प्रधान बनाया गया। - 22 जून 2016 को नप हाउस की पहली बैठक हुई और पार्षदों का कार्यकाल शुरू हुआ। - करीब एक साल बाद 2017 में भाजपा और कांग्रेस के पार्षद चेयरमैन की कार्यप्रणाली से खुश नहीं हुए। प्रधान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पास कर दिया गया और अपनों ने ही यशपाल को कुर्सी से हटा दिया। - उप प्रधान डा. पवन थरेजा को कार्यकारी प्रधान नियुक्त कर दिया गया और नए प्रधान को लेकर राजनीति शुरू हो गई। - पार्षद भाजपा और कांग्रेस दो गुटों में बंट गए और पार्षद सीमा कश्यप ने पार्षद पूजा अग्रवाल को हराकर जीत हासिल की। पूजा अग्रवाल यहां भीतरघात की शिकार हुईं। इसमें खास बात रही कि रणदीप सुरजेवाला और सांसद राजकुमार सैनी ने भी चुनाव के लिए वोट डाले थे। - 27 जुलाई 2018 को सीमा कश्यप को चेयरपर्सन की कुर्सी मिली। - 28 दिसंबर 2018 को पार्षद राकेश सरदाना की शिकायत पर सिटी बैंक स्क्वेयर विवाद शुरू हुआ। - 11 जनवरी 2019 को हाउस की बैठक हुई और पार्षदों ने सिटी स्क्वेयर को लेकर नप अधिकारियों की खिचाई की। - 14 फरवरी 2019 को पार्षदों ने सिटी बैंक स्क्वेयर मामले को लेकर नप कार्यालय में धरना शुरू कर दिया। - 25 मार्च 2019 को सिटी स्क्वेयर मामले में नप चेयरपर्सन सहित 11 अधिकारियों के खिलाफ सीएम फ्लाइंग के डीएसपी सिद्धार्थ ढांडा की शिकायत पर दर्ज किया गया। - 18 अप्रैल 2019 को पार्षद आरोपितों की गिरफ्तारी के लिए तत्कालीन डीसी प्रियंका सोनी से मिले। - 11 जून 2019 को सचिवालय में हाउस की बैठक बुलाई गई, लेकिन हंगामा हो गया। पार्षद नारेबाजी करते बाहर निकले। - 13 अगस्त 2019 को नप कार्यालय में बैठक हुई और जमकर हंगामा हुआ। - पांच सितंबर 2019 को हाउस की बैठक हुई। कांग्रेस और भाजपा समर्थित पार्षदों के बीच कहासुनी हुई। - छह दिसंबर 2019 और 27 फरवरी 2020 को हुई हाउस की बैठकों में विवाद हुआ। - 17 मार्च 2021 को हुई हाउस की बैठक हंगामे की भेंट चढ़ गई। - मई में नप चेयरपर्सन के पिता व भाई रिश्वत लेते गिरफ्तार हुए और चेयरपर्सन को सस्पेंड कर दिया गया। - 20 जून 2021 को अंतिम हाउस की बैठक को लेकर जमकर विवाद हुआ।

इन समस्याओं का नहीं हुआ समाधान

- शहर के सबसे बड़े प्रोजेक्ट करीब 54 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले सिटी और बैंक स्क्वेयर का निर्माण कार्य अधर में लटका हुआ है। केस दर्ज होने के बाद निर्माण कार्य बंद हो गया।

- सिटी थाने के पास बनने वाली पार्किंग का प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में चला गया।

- सीएम घोषणा के साढ़े दस करोड़ रुपये दो साल से मंजूर हैं, लेकिन पार्षदों की खींचतान के कारण आज तक भी वार्डों में खर्च नहीं हो पाए। - शहर के वार्डों और मुख्य डिवाइडरों पर स्ट्रीट लाइटें खराब पड़ी हैं। कई बार हाउस की बैठक में नई लाइटें लगाने का एजेंडा पास हुआ, लेकिन समस्या आज भी बरकरार है।

विवादों के बीच ही हुई विदाई

नगर परिषद के पार्षदों का कार्यकाल पूरी तरह से विवादों के बीच ही रहा। शहर के विकास को छोड़ कर पार्षद अपनी ही राजनीति में उलझे रहे। यहां तक कि पार्षदों की विदाई भी ठीक से नहीं हो सकी। रविवार को करीब 17 पार्षदों ने हाउस की बैठक बुलाई। वहां भी उनके साथ अजीब हुआ। नप अधिकारियों ने पार्षदों के लिए गेट नहीं खोला और सफाई कर्मचारियों ने नप कार्यालय के बाहर भी पार्षदों को खड़ा नहीं होने दिया।

नप कार्यकारी अधिकारी बलबीर सिंह ने बताया कि नियम के अनुसार 21 जून को पार्षदों का कार्यकाल खत्म हो गया। मंगलवार से एसडीएम प्रशासक के तौर पर कार्यभार संभाल लेंगे। नगर परिषद के कार्यकारी प्रधान डा. पवन थरेजा ने बताया कि पार्षदों के पांच साल पूरे हो चुके हैं। इन पांच सालों में जितना हो सका, उतना शहर के वार्डों में विकास करवाने का प्रयास किया गया। आगे भी शहर की समस्याओं को प्रमुखता से उठाया जाएगा ताकि शहर के लोगों को परेशानी ना हो।

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