अब बसों की लोकेशन पर रहेगी निगरानी

किलोमीटर स्कीम के तहत चलने वाली बसों के किलोमीटर अब कम ज्यादा नहीं होंगे। कैथल डिपो की तरफ से शुक्रवार को बसों में जीपीएस सिस्टम लगा दिए गए हैं। इसके माध्यम से किलोमीटर बसों के संचालक एक महीने की रिकॉर्डिंग विभाग को देंगे।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 03 Apr 2021 06:16 AM (IST) Updated:Sat, 03 Apr 2021 06:16 AM (IST)
अब बसों की लोकेशन पर रहेगी निगरानी
अब बसों की लोकेशन पर रहेगी निगरानी

जागरण संवाददाता, कैथल:

किलोमीटर स्कीम के तहत चलने वाली बसों के किलोमीटर अब कम ज्यादा नहीं होंगे। कैथल डिपो की तरफ से शुक्रवार को बसों में जीपीएस सिस्टम लगा दिए गए हैं। इसके माध्यम से किलोमीटर बसों के संचालक एक महीने की रिकॉर्डिंग विभाग को देंगे। वहीं किलोमीटर लोकेशन की जानकारी मिलेगी। इससे डिपो व संचालकों दोनों को फायदा होगा। बता दे कि 2020 में किलोमीटर स्कीम के तहत डिपो को 15 बसें मिली थी वहीं आठ बसें 2021 के जनवरी माह में मिली है। इन सभी बसों में जीपीएस सिस्टम न होने से समय पर पेमेंट नहीं हो पाती थी संचालक व विभाग आपस में उलझते रहते थे। इनके लगने के बाद अब संचालकों व विभाग की परेशानी दूर हो जाएगी।

बस संचालकों को पेमेंट होगी समय पर-

बता दे कि जीपीएस सिस्टम के बाद बसों के रूट व कागज कार्रवाई समय पर मेंटेनेंस होगी। बस संचालकों के आठ तारीख तक किलोमीटर के हिसाब से खातों में पैसे डाल दिए जाएंगे। इससे पहले बस संचालकों द्वारा किलोमीटर कागजों पर लिखकर दिया जाता था, समय पर बसों को भुगतान नहीं पाता था। संचालकों को कई- कई बार विभाग के चक्कर काटने पड़ते थे। अब बस संचालकों का कहना है कि यह अच्छा सिस्टम है। बस की रोटेशन व किलोमीटर के बारे में महीना टू महीना जानकारी विभाग को मिलती रहेगी।

जीपीएस सिस्टम बसों में लगा दिए गए

सहकारी समिति की प्रधान अनिल ढूल ने बताया कि जीपीएस सिस्टम बसों में लगा दिए गए है। इससे पहले बसों के किलोमीटर को कॉपी पर लिखकर देना होता था, अब चीप के माध्यम से सारा रिकॉर्ड रोडवेज विभाग के पास होगा। पेमेंट भी बसों की समय पर हो जाएगी। एक किलोमीटर के 26 पैसे 70 रुपये के लगभग विभाग संचालक को अदा करता है। 23 बसें किलोमीटर के तहत डिपो से चलती हैं।

जीपीएस सिस्टम अनिवार्य कर दिया है।

रोडवेज के जीएम अजय गर्ग ने बताया कि किलोमीटर की बसों में जीपीएस सिस्टम अनिवार्य कर दिया है। कई बार चालक बीच रास्तों से गाड़ी वापस लेकर आ जाते थे, लोकेशन की जानकारी नहीं मिल पाती थी। अब ऐसा नहीं होगा। चीप के माध्यम से बस की पल- पल की जानकारी रहेगी। किलोमीटर के पैसे संचालकों के खाते में समय से पहुंच जाएंगे।

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