प्रकृति की अमूल्य देन जल को होगा बचाना : मनोहर लाल

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि किसान धान की फसल लगाने की बजाए भूजल संरक्षण के दृष्टिगत मक्का तिलहन इत्यादि फसलों को लगाकर आने वाली पीढि़यों के लिए विरासत में जलयुक्त भूमि देने का मार्ग प्रशस्त करें।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 01 Jun 2020 09:02 AM (IST) Updated:Mon, 01 Jun 2020 09:02 AM (IST)
प्रकृति की अमूल्य देन जल को होगा बचाना : मनोहर लाल
प्रकृति की अमूल्य देन जल को होगा बचाना : मनोहर लाल

जागरण संवाददाता, कैथल : मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि किसान धान की फसल लगाने की बजाए भूजल संरक्षण के दृष्टिगत मक्का, तिलहन इत्यादि फसलों को लगाकर आने वाली पीढि़यों के लिए विरासत में जलयुक्त भूमि देने का मार्ग प्रशस्त करें।

मेरा पानी, मेरी विरासत योजना हरियाणा सरकार द्वारा इसी बारे में उठाया गया महत्वपूर्ण कदम है। इसमें आम किसान स्वेच्छा से धान को त्यागकर दूसरी फसलें लेने के साथ हरियाणा सरकार से 7000 रुपये प्रति एकड़ की प्रोत्साहन राशि लेने का हकदार भी होगा।

मुख्यमंत्री रविवार कोयल कम्पलेक्स में तीन विकास खंडों गुहला, सीवन तथा कुरुक्षेत्र जिला के ईस्माइलाबाद से आए किसानों से इस योजना के क्रियान्वयन को लेकर रूबरू थे।

इस मौके पर राज्य मंत्री कमलेश ढांडा, खेल राज्य मंत्री संदीप सिंह, सांसद नायब सैनी, पर्यटन निगम के चेयरमैन रणधीर गोलन, विधायक लीला राम, विधायक ईश्वर सिंह, जिला अध्यक्ष अशोक गुर्जर मौजूद रहे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कैथल जिला के 2033 किसानों ने अब तक करीब 4500 एकड़ भूमि में धान की बजाए, वैकल्पिक फसलें लगाने की सहमति व्यक्त की है। शारीरिक दूरी बनाकर मास्क लगाकर बैठे हुए इन किसानों ने जहां मेरा पानी मेरी विरासत योजना को एक महत्वपूर्ण कदम बताया, वहीं मुख्यमंत्री से इस योजना से जुड़ी कुछ शंकाओं को भी दूर किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश की ये सरकार राजनीतिक तौर पर न सोचकर इससे आगे की बात सोचती है ताकि आने वाले समय में प्राकृतिक वातावरण किसानों के लिए लम्बे समय तक बना रहे। उन्होंने कहा कि पानी का संकट गहरा है, कहीं पानी कम है तो कहीं ज्यादा है, कहीं सूखा है तो कहीं बाढ़ की स्थिति बनी रहती है। वातावरण के संतुलन व पेयजल के साथ सिचाई के लिए भी पानी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार कम पानी के प्रबंधन के लिए कार्यरत है।

उन्होंने कहा कि सतलुज यमुना लिक नहर की न्यायिक लड़ाई चल रही है और रेणुका डैम तथा कुछ शिवालिक की पहाड़ियों, सरस्वती नदी इत्यादि पानी लाने की प्रयास भी फलीभूत हो रहे हैं। गुमथला गढू में शुरू की गई एक परियोजना से फव्वारा सिचाई के माध्यम से जो धान पैदा हुआ है, वह आम तौर पर लगाए जाने वाले धान से कम नहीं है। इस बात पर पिहोवा क्षेत्र से आए किसानों ने भी सहमति व्यक्त की।

अप्रैल माह में कार्य रूप देना प्रारंभ किया

मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले वर्ष जल ही जीवन योजना शुरू करने में कुछ विलंब हुआ, फिर भी 5 से 7 हजार एकड़ भूमि में इस योजना के अन्तर्गत बदलाव देखा गया। इस वर्ष मेरा पानी मेरी विरासत योजना के बारे में अप्रैल माह में ही इसे कार्य रूप देना प्रारम्भ कर दिया गया था ताकि किसान अपनी आने वाली पीढि़यों के लिए सूखी जमीन छोड़कर न जाए। उन्होंने कहा कि वर्ष 2008 से भूजल स्तर निरन्तर नीचे जा रहा है और किसान को हर वर्ष बोर में नई पाइप डालनी पड़ती है। इस प्रकार पिछले दस साल में पानी 100 फुट नीचे चला गया है। संकट और न गहराए इसलिए मेरा पानी मेरी विरासत योजना के माध्यम से किसानों से अपील की गई है वे स्वेच्छा से जल बचाने की तरफ कदम बढ़ाए।

किसान बोले धान की फसल नहीं लगाएंगे तो खेती कैसे करेंगे

सीएम मनोहर लाल से मिलने पहुंचे कवारतन गांव के किसान पूर्व सरपंच सुरेंद्र सिंह, कुलदीप सिंह, सतनाम सिंह ने कहा कि सीएम मनोहर लाल के मेरा पानी मेरी विरासत कार्यक्रम में भाग लेने के लिए आए थे, लेकिन उन्हें अंदर नहीं जाने दिया। वे मीडिया के माध्यम से सीएम साहब से पूछना चाहते हैं कि अगर वे धान की फसल नहीं लगाएंगे तो खेती कैसे करेंगे। धान की खेती कर ही अपने बच्चों का पेट पाल रहे हैं। इसलिए उनके पास दूसरा कोई विकल्प नहीं है। इसलिए सरकार धान की खेती पर लगाए गए प्रतिबंध को हटाए।

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