अधिकारियों की बेरुखी के चलते राष्ट्रीय धरोहर पर मंडराया खतरा

उत्तर भारत का अजूबा कहे जाने वाले कलायत में श्री कपिल मुनी धाम सरोवर पर स्थित पंचरथ शैली में निर्मित शिवालय पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। मंदिर परिसर में स्थित दीवारें भरभरा कर गिरने लगी हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि पुरातत्व विभाग की बेरुखी के चलते हालात बिगड़ रहे हैं। भारतीय पुरातत्व विभाग की तरफ से शिव मंदिर को राष्ट्रीय धरोहर का दर्जा देते हुए इसे 13 दिसंबर 1995 को संरक्षित धरोहर की घोषणा की थी।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 01 Aug 2021 07:50 AM (IST) Updated:Sun, 01 Aug 2021 07:50 AM (IST)
अधिकारियों की बेरुखी के चलते राष्ट्रीय धरोहर पर मंडराया खतरा
अधिकारियों की बेरुखी के चलते राष्ट्रीय धरोहर पर मंडराया खतरा

संवाद सहयोगी, कलायत : उत्तर भारत का अजूबा कहे जाने वाले कलायत में श्री कपिल मुनी धाम सरोवर पर स्थित पंचरथ शैली में निर्मित शिवालय पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। मंदिर परिसर में स्थित दीवारें भरभरा कर गिरने लगी हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि पुरातत्व विभाग की बेरुखी के चलते हालात बिगड़ रहे हैं। भारतीय पुरातत्व विभाग की तरफ से शिव मंदिर को राष्ट्रीय धरोहर का दर्जा देते हुए इसे 13 दिसंबर 1995 को संरक्षित धरोहर की घोषणा की थी।

विभाग द्वारा लगाए गए शिलालेख के अनुसार पंचरथ शैली में निर्मित इस राष्ट्रीय धरोहर का निर्माण काल सातवीं शताब्दी का माना गया है। इस शिव मंदिर का निर्माण बिना गारे के और फूल पत्तियों से महीन नक्काशी में तराशी गई ईटों से किया गया है। यह मंदिर प्रारंभिक शैली के गुर्जर प्रतिहार कला का उत्तम उदाहरण प्रस्तुत करता है। इस धरोहर का संबंध भगवान विष्णु के पांचवें अवतार भगवान कपिल से है। माना जाता है कि इस स्थान पर भगवान कपिल ने सांख्य शास्त्र की रचना कर अपनी मां देवहुति को ज्ञान दिया था। एक अनुश्रुति के अनुसार राजा शालिवाहन को इसी स्थान पर चर्म रोग से मुक्ति मिली थी। इसी लिए उन्होंने एक ही रात्रि में पवित्र कपिल सरोवर के किनारे पर पांच शिवालय बनवाए थे, जिनमें से एक शिवालय मूल रूप से मौजूद है जिसे राष्ट्रीय धरोहर का दर्जा मिला है।

पिछले 26 वर्षो से संभाल तो दूर, बिगड़ी धरोहर की स्थिति

विश्व हिदू परिषद जिला उपाध्यक्ष बीरभान निर्मल, जिला सहसंयोजक गोपाल भट्ट, प्रखंड अध्यक्ष राधेश्याम भट्ट, महामंत्री संजय सिगला, विशाल शांडिल्य ने बताया कि इस मंदिर को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किए 26 वर्ष हो चुके हैं। इन 26 वर्षो में इस स्मारक के दिन नहीं बहुरे। बीते सालों में इस धरोहर की संभाल पुरातत्व विभाग ने की ही नहीं। यह स्मारक लगातार जर्जर होकर गिर रहा है।

गिर रही ईटें बन सकती हैं दुर्घटना का कारण

बीरभान निर्मल ने बताया कि शिवालय के निचले हिस्से की हालात इतनी खराब हो चुकी है कि ईंटें अपने आप टूट कर गिरना आरंभ हो चुकी हैं। धरोहर की एक और की दीवार पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुकी है। श्रद्धालुओं का कहना है कि बिना संभाल के इस धरोहर का नीचे का हिस्सा बैठ जाने से यह कभी भी भरभरा कर गिर सकती है। एक अन्य मंदिर का गुंबद कभी भी गिर कर बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकता है। पिछले वर्ष मंदिर के इस गुंबद के गिर जाने के बाद पुरातत्व विभाग ने इसे दोबारा बनवाया था, लेकिन वह निर्माण एक साल भी नही चल पाया। इसी परिसर में शनिवार को एक दीवार बरसात के बाद गिर गई।

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