कलायत खंड के तीन स्कूलों पर लटक सकता है ताला

विद्यार्थियों का नामांकन न बढ़ा पाने वाले सरकारी स्कूलों को लेकर सरकार ढील देने के पक्ष में नहीं है। जिन स्कूलों में छात्र संख्या 25 से कम है उन्हें नजदीक के ही स्कूल में विलय करने किया जा सकता है

By JagranEdited By: Publish:Sun, 31 May 2020 09:08 AM (IST) Updated:Sun, 31 May 2020 09:08 AM (IST)
कलायत खंड के तीन स्कूलों  पर लटक सकता है ताला
कलायत खंड के तीन स्कूलों पर लटक सकता है ताला

संवाद सहयोगी, कलायत: विद्यार्थियों का नामांकन न बढ़ा पाने वाले सरकारी स्कूलों को लेकर सरकार ढील देने के पक्ष में नहीं है। जिन स्कूलों में छात्र संख्या 25 से कम है, उन्हें नजदीक के ही स्कूल में विलय करने किया जा सकता है। फिलहाल जिस प्रकार की स्थिति कलायत खंड के स्कूलों की है, उसके अनुसार खंड में तीन स्कूल ऐसे हैं, जिनमें छात्र संख्या कम है।

इस संबंध में जब खंड शिक्षा अधिकारी परनीता मधोक से जानकारी ली तो उन्होंने बताया कि जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी द्वारा मांगी गई जानकारी प्रेषित कर दी गई है।

इसके तहत राजकीय प्राथमिक पाठशाला रत्नपुरा, भालंग व कलायत मंडी स्कूल में इस समय छात्र संख्या 25 से कम है। रत्नपुरा स्कूल में अभी तक केवल मात्र पांच, भालंग स्कूल में 20 और कलायत मंडी में छात्र संख्या 24 है। शिक्षा विभाग द्वारा जारी निर्देशों की पालना करते हुए शीर्ष अधिकारियों को रिपोर्ट भेजी गई है। इस संदर्भ में शिक्षा विभाग द्वारा जो भी निर्णय लिया जाएगा उसकी जमीनी स्तर पर पालना सुनिश्चित होगी।

स्कूल मुखियाओं की ली जाएगी बैठक:

खंड शिक्षा अधिकारी परनीता मधोक ने बताया कि कोरोना वायरस के चलते इस समय जहां शिक्षण संस्थान बंद हैं, वहीं ऑनलाइन प्रवेश प्रक्रिया जारी है। कलायत खंड के जिन तीन स्कूलों में छात्र संख्या फिलहाल कम है उनमें छात्र संख्या बढ़ाने का प्रयास किया जाएगा। इस संबंध में स्कूलों के मुखिया की मीटिग आयोजित कर उन्हें शारीरिक दूरी की पालना करते बच्चों के अभिभावकों से मिल बच्चों को स्कूल में प्रवेश दिलाने के प्रति प्रेरित किया जाएगा।

आखिर क्यों कम हो रही छात्र संख्या:

प्रदेश के सरकारी स्कूलों में सरकार द्वारा पूर्व की तुलना में आधुनिक सहूलियत प्रदान करने दावे निरंतर किए जाते रहे हैं। बावजूद इसके आखिरकार ऐसे कौन से कारक हैं जिनके कारण सरकारी स्कूलों में छात्राओं की संख्या बढ़ने की बजाए कम होती जा रही है? इस विषय पर शिक्षा विभाग द्वारा चितन-मंथन करने की जरूरत है।

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