20 जनवरी को महिलाओं ने ट्रैक्टर-ट्रालियों के साथ दिल्ली कूच का किया ऐलान

तीन पंचायतों वाले जिले के गांव बालू में किसान आंदोलन को लेकर सर्वजातीय खाप पंचायत का आयोजन किया गया। इसमें गांव बालू गुलियाणा तारागढ़ नीमवाला किछाना जुलानीखेड़ा वजीरखेड़ा व चौशाला गांव की पंचायतों ने हिस्सा लिया।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 16 Jan 2021 06:09 AM (IST) Updated:Sat, 16 Jan 2021 06:09 AM (IST)
20 जनवरी को महिलाओं ने ट्रैक्टर-ट्रालियों के साथ दिल्ली कूच का किया ऐलान
20 जनवरी को महिलाओं ने ट्रैक्टर-ट्रालियों के साथ दिल्ली कूच का किया ऐलान

संवाद सहयोगी, कलायत: तीन पंचायतों वाले जिले के गांव बालू में किसान आंदोलन को लेकर सर्वजातीय खाप पंचायत का आयोजन किया गया। इसमें गांव बालू, गुलियाणा, तारागढ़, नीमवाला, किछाना, जुलानीखेड़ा, वजीरखेड़ा व चौशाला गांव की पंचायतों ने हिस्सा लिया।

महापंचायत में निर्णय लिया गया कि किसानों के समर्थन में 20 जनवरी को ट्रैक्टर-ट्रालियों के साथ 26 जनवरी पर होने वाली परेड में गांव के प्रत्येक घर से एक आदमी व महिला हिस्सा लेने के लिए दिल्ली के लिए कूच करेंगे।

खाप प्रतिनिधि रामचंद्र, बलदेव सिंह चौशाला, नफे सिंह, गजे सिंह, प्रवीण किच्छाना, जगता, शमशेर, सतबीर, दलीपा, दीप बालू, राजेश गुलियाणा, चूहड़िया नंबरदार, मनफूल, बलराज, राजेश बिढ़ाण, बलवान, रामफल सहारण, राजेंद्र सरपंच, रामफल, ओमप्रकाश, प्रकाश वजीरखेड़ा, कर्मवीर, बलदेव वजीरखेड़ा व अन्य ग्रामीणों ने किसानों को तन, मन और धन से सहयोग करने का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि जब तक सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती, तब तक सभी खाप पंचायतें किसानों के हक में खड़ी रहेंगी। बड़ी संख्या में ट्रैक्टरों के साथ किसानों ने आंदोलन के लिए कूच करने का निर्णय लिया है। किसानों के साथ-साथ महिलाएं भी इस आंदोलन में शामिल होने जा रही है। 20 जनवरी को महिलाओं का एक बड़ा कारवां पूरी तैयारी के साथ ट्रैक्टरों के साथ दिल्ली के लिए रवाना होगा।

खाप पंचायतों का कहना है कि हाड़ कंपा देने वाली सर्दी में देश का अन्नदाता सड़कों पर है। किसान दिन-रात जी तोड़ मेहनत कर देश के लिए अन्न उगाता है। इन सबके बावजूद केंद्र सरकार की ओर से किसानों के खिलाफ कानून बनाया गया। कृषि कानूनों के विरोध में किसान लड़ाई लड़ रहा है, जबकि सरकार उनकी आवाज को दबाना चाहती है। सरकार जितना किसानों को दबाने का प्रयास करेगी किसान उतना ही मजबूत होगा।

आंदोलन खेती से जुड़े हर व्यक्ति के लिए है। उससे सरकार समझ सकती है कि किसानों का यह मसला कितना गंभीर है। इसकी गंभीरता को समझकर सरकार को किसानों की सभी मांग मान लेनी चाहिए।

chat bot
आपका साथी