कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में सुविधाओं का टोटा, छात्राएं परेशान

कलायत आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों की बेटियों को शिक्षा के प्रति प्रेरित करने के लिए खोले गए कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय समस्याओं के चक्रव्यूह में फंसा है। कलायत के गांव सजूमा में इसकी झलक देखी जा सकती है। छठी से आठवीं कक्षा तक के इस आवासीय शिक्षण संस्थान में बेटियां कदम-कदम पर असुविधाओं से पंजा लड़ा रही हैं।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 25 Feb 2021 06:42 AM (IST) Updated:Thu, 25 Feb 2021 06:42 AM (IST)
कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में सुविधाओं का टोटा, छात्राएं परेशान
कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में सुविधाओं का टोटा, छात्राएं परेशान

संवाद सहयोगी, कलायत : आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों की बेटियों को शिक्षा के प्रति प्रेरित करने के लिए खोले गए कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय समस्याओं के चक्रव्यूह में फंसा है। कलायत के गांव सजूमा में इसकी झलक देखी जा सकती है। छठी से आठवीं कक्षा तक के इस आवासीय शिक्षण संस्थान में बेटियां कदम-कदम पर असुविधाओं से पंजा लड़ा रही हैं। संस्थान की नाजुक स्थिति को लेकर खुद प्राचार्य रामकुमार रोहिला ने सीएम विडो के माध्यम से सुविधाएं जुटाने की फरियाद लगाई है। उन्होंने स्कूल की स्थिति सुधारने की मांग की।

प्राचार्य ने उल्लेख किया है कि सरकार ने बेटियों को शिक्षा देने के लिए कस्तूरबा गांधी स्कूल के माध्यम से प्रभावी कदम उठाने का कार्य किया है, लेकिन बेटियों को शिक्षा के प्रति प्रेरित करने के लिए शिक्षण संस्थान में संसाधनों का अभाव है। छात्रावास भवन, रसोईघर, शौचालय बदहाल स्थिति में है। जब से स्कूल को शुरू किया गया है तब से भवन को पेंट की सुविधा नहीं मिली। ऐसे में बेटियों को दाखिले के प्रति प्रेरित करना बेहद मुश्किल कार्य बना है। वर्ष 2016 में इस शिक्षण संस्थान की शुरूआत हुई थी। कमजोर परिवारों की बेटियों के लिए शिक्षण संस्थान वरदान साबित होगा, लेकिन उम्मीदें धरी की धरी रह गई।

हर रोज हो रहा हादसे से सामना

स्कूल प्राचार्य रामकुमार रोहिला ने बताया कि भवन की जर्जर हालात के कारण अक्सर लेंटर की परतें गिरती रहती हैं। 20 फरवरी को लेंटर की परतें गिरने से छात्राएं हादसे से बाल-बाल बची। बरसात के दिनों में लेंटर और दीवारों से पानी का रिसाव होता है। फर्श धंस चुका है। चारदीवारी जर्जर हो चुकी है। सीवरेज प्रणाली और पेयजल का संकट है। न सुविधाजनक खेल मैदान है और न ऑनलाइन सेवा के लिए इंटरनेट की सहूलियत।

सरपंच ने किया कायाकल्प का प्रयास

गांव सजूमा के सरपंच जसविद्र सिंह बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कस्तूरबा गांधी स्कूल में पंचायत के माध्यम से सुविधाएं जुटाने में आगे रहे हैं। उन्होंने संस्थान में खेल का सामान, ब्लाक्स और दूसरी सुविधाएं प्रदान की। साथ ही प्रदेश सरकार से स्कूल को बेहतर सुविधाएं प्रदान करने की मांग की गई।

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