बेटियों की बदौलत दसवीं के नतीजों में टॉप टेन में कैथल

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By JagranEdited By: Publish:Sun, 12 Jul 2020 05:54 AM (IST) Updated:Sun, 12 Jul 2020 06:17 AM (IST)
बेटियों की बदौलत दसवीं के नतीजों में टॉप टेन में कैथल
बेटियों की बदौलत दसवीं के नतीजों में टॉप टेन में कैथल

जागरण संवाददाता, कैथल : हरियाणा विद्यालय भिवानी बोर्ड द्वारा शुक्रवार रात को दसवीं कक्षा का परीक्षा परिणाम जारी किया। कैथल जिले ने इस परीक्षा परिणाम में बेहतर प्रदर्शन करते हुए चार अंकों की उछाल लगाकर सातवां स्थान हासिल किया, जबकि पिछली बार कैथल 11वें स्थान पर था। सफल विद्यार्थियों ने परीक्षा परिणाम को लेकर खुशी जाहिर करते हुए मिठाई बांटी। जिले में गांव मटौर के टैगोर पब्लिक स्कूल की छात्रा सलोनी ने 500 में 498 अंक लेकर प्रदेश में तीसरा और जिले में पहला स्थान प्राप्त किया। शिक्षा भारती स्कूल कलायत की प्रीति ने 496 अंक लेकर प्रदेश की सूची में पांचवां और जिले में दूसरा स्थान हासिल किया। राजकीय स्कूल खरकां के कर्णपाल पाल ने 500 में से 495 अंक लेकर जिले में तीसरा स्थान प्राप्त किया। इसी प्रकार बीपीआर स्कूल पाडला की अंजिल भी तीसरे स्थान पर रही। परीक्षा परिणाम जारी होने के बाद विद्यार्थियों के चेहरे पर खुशी के भाव नजर आए। विद्यार्थियों ने एक दूसरे को फोन कर परीक्षा परिणाम को लेकर बधाई दी, वहीं शाम तक रिश्तेदारों और जान-पहचान के लोगों को भी विद्यार्थी फोन कर परीक्षा परिणाम के बारे में बताते हुए नजर आए।

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सलोनी का आइएएस बनने का सपना

कलायत खंड के गांव मटौर के टैगोर पब्लिक स्कूल की छात्रा सलोनी ने 500 में से 498 अंक हासिल कर प्रदेश में तीसरा स्थान हासिल किया जबकि जिले में प्रथम रही। सलोनी के पिता संजीव किसान हैं। सलोनी के प्रदेश में तीसरा स्थान हासिल करने के बाद उसके घर में खुशी की लहर है। सलोनी ने प्रतिदिन नौ घंटे तक पढ़ाई की। सलोनी ने बताया कि ग्रामीण आंचल में बेटियां आगे नहीं निकल पाती हैं, लेकिन उसे तीसरा स्थान उसके स्कूल के अध्यापकों और प्रबंधन के कारण मिला है। जिसमें उनका उसे पूरा सहयोग मिला। उसने बताया कि उसका सपना आइएएस बनकर देश की सेवा करना है। वह आर्ट संकाय में दाखिला लेगी और स्नातक करने के बाद सिविल सेवा सर्विस की तैयारी करेगी। बाक्स

प्रीति भी आइएएस बनेगी

कलायत खंड के स्कूल शिक्षा भारती कलायत की छात्रा प्रीति जिलेभर में दूसरे स्थान पर रही है। प्रीति ने 500 में से 496 अंक हासिल कर कामयाबी प्राप्त की है। उनके पिता पेशे से अध्यापक हैं। वह स्कूल से अलग आठ घंटे स्कूल के कार्य पर लगाती थी। जब स्कूल के कार्य के लिए बैठती थी तब उनका मन इधर-उधर की बातों में नहीं जाता था। केवल अपनी पढ़ाई पर फोकस करती थी। परिवार के सदस्यों ने अलग से कमरा दिया हुआ है। उनका कहना है कि ग्रामीण आंचल में इतनी सुविधा पढ़ने के लिए नहीं मिल पाती है। जितने शहर के बच्चों को मिलती है। गांव में लाइट की समस्या सबसे ज्यादा रहती है। परीक्षा के दौरान लगातार आठ से नौ घंटे तक पढ़ाई की। उनका कहना है कि उसका सपना आइएएस बनकर देश की सेवा करना है। जिससे व अपने माता पिता के साथ प्रदेश का नाम रोशन कर सके। कोरोना बीमारी में वह घर पर रहकर पहले ही अगली कक्षाओं की तैयारी कर रही है ताकि समय की खराब न हो। घर पर बैठकर जनरल किताबें भी पढ़ रही है। उन्होंने अन्य विद्यार्थियों से भी आग्रह किया है कि पढ़ाई के द्वारा देश व प्रदेश का नाम रोशन कर सकते है। बाक्स

कर्णपाल को अध्यापक बनना है

राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय खरकां के विद्यार्थी कर्णपाल ने जिलेभर में तीसरा स्थान हासिल किया है। इन्होंने 500 में से 495 अंक हासिल किए हैं। इनके पिता पेशे से मजदूर हैं। उनका कहना है कि इसलिए वे प्राइवेट स्कूल में नहीं पढ़ सकते थे। लेकिन मेहनत जरूर कर सकते थे। इसलिए उन्होंने स्कूल के साथ साथ घर पर पूरी मेहनत की। स्कूल के अध्यापकों ने स्कूल समय के बाद उनको फ्री ट्यूशन पढ़ाया है। उनकी कामयाबी ये फल लेकर आती है। वे दस घटे तक स्कूल की पढ़ाई करते थे। उसका सपना अध्यापक बनना है। इसके लिए वो जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं। घर के सदस्य इस काम में उनका सहयोग कर रहे हैं। उनका कहना है कि उसका सपना सरकारी स्कूल का प्रधानाचार्य बनने का है। ताकि सरकारी स्कूल में भी अच्छे विद्यार्थी तैयार हो। जिससे सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे भी कामयाबी प्राप्त कर सके।

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