जीवन में विवेक होना अति आवश्यक है, गीता विवेक का जागरण करवाती : इंद्रेश कुमार

जागरण संवाददाता कैथल महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय एवं श्री लवकुश महातीर्थ ट्रस्ट मूंदड़

By JagranEdited By: Publish:Tue, 07 Dec 2021 05:36 PM (IST) Updated:Tue, 07 Dec 2021 05:36 PM (IST)
जीवन में विवेक होना अति आवश्यक है, गीता विवेक का जागरण करवाती : इंद्रेश कुमार
जीवन में विवेक होना अति आवश्यक है, गीता विवेक का जागरण करवाती : इंद्रेश कुमार

जागरण संवाददाता, कैथल : महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय एवं श्री लवकुश महातीर्थ ट्रस्ट मूंदड़ी के संयुक्त तत्वावधान में अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव को लेकर कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य इंद्रेश कुमार मुख्यातिथि रहे। मुख्यातिथि ने दीप प्रज्वलित करके कार्यक्रम की शुरूआत की। कार्यक्रम में संस्कृत भारती अखिल भारतीय सह संगठन मंत्री मुख्य वक्ता व श्री लवकुश महातीर्थ ट्रस्ट के प्रधान महेंद्र सिंह विशिष्ट अतिथि रहे। सबसे पहले डा. रामानंद एवं डा. नवीन के मार्गदर्शन में विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने गीता के 12वें अध्याय का वाचन किया। उसके बाद डा. देवेंद्र के मार्गदर्शन में योग विभाग के विद्यार्थियों ने श्लोक ध्वनि के साथ योग की सुंदर प्रस्तुति दी। मुख्यातिथि इंद्रेश कुमार ने कहा कि जीवन में विवेक होना अति आवश्यक है। विवेकशील व्यक्ति सभी दोषों से मुक्त रहता है। गीता विवेक का जागरण करवाती है, गीता में समग्रता को समाहित किया गया है। गीता मुसीबतों में भी मुस्कराना सिखाती है। परिवर्तनों में भी विवेक विनम्रता होनी अति आवश्यक है। गीता की भाषा संस्कृत है और संस्कृत एक संपूर्ण भाषा है।

मुख्य वक्ता जयप्रकाश ने कहा कि बार-बार गीता पढ़ने से भी तृप्ति नहीं होती है, जो मनुष्य जैसा चाहता है वैसा कर्म करता है। जो गीता में लिखा है वह जीवन में होना चाहिए। जो गीता में लिखा है उसके अनुसार आचरण भी आवश्यक है। गीता हमें मान-सम्मान के साथ जीने का मार्ग दिखाती है। गीता की रचना संस्कृत में हुई है। कार्यक्रम के अध्यक्ष के रूप में विश्वविद्यालय के कुलपति रामकुमार मित्तल ने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि गीता में जीवन प्रबंधन के बारे में विस्तृत रूप से लिखा गया है। उन्होंने कहा कि गीता में जीवन के हर क्षण के बारे में मार्गदर्शन मिलता है। गीता जीवन का प्रबंधन भी सिखाती है। सभी में समग्रता, संपूर्णता की ²ष्टि प्रदान करती है, विवेक को बनाए रखती है। सभी के प्रति समभाव रखना आवश्यक है और सभी के लिए सोचने की ²ष्टि भी आवश्यक है। अंत में विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. यशवीर सिंह ने सभी अतिथियों का विश्वविद्यालय परिवार की तरफ से धन्यवाद किया। कार्यक्रम में मंच संचालन सहायक आचार्य डा. कृष्ण चंद्र पांडेय ने किया।

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