लॉकडाउन में तहसीलदार सुदेश मेहरा ने अधिकारी नहीं, समाजसेवी बनकर किया काम

तहसील कैथल में कार्यरत तहसीलदार सुदेश मेहरा ने कोरोना महामारी के कारण लगे लॉकडाउन में लगातार कार्य किया था। उस समय तहसीलदार को कोरोना संकट के दौरान शहर में बनाए शेल्टर होम का इंचार्ज बनाया गया था।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 21 Apr 2021 06:15 AM (IST) Updated:Wed, 21 Apr 2021 06:15 AM (IST)
लॉकडाउन में तहसीलदार सुदेश मेहरा ने अधिकारी नहीं, समाजसेवी बनकर किया काम
लॉकडाउन में तहसीलदार सुदेश मेहरा ने अधिकारी नहीं, समाजसेवी बनकर किया काम

जागरण संवाददाता, कैथल : तहसील कैथल में कार्यरत तहसीलदार सुदेश मेहरा ने कोरोना महामारी के कारण लगे लॉकडाउन में लगातार कार्य किया था। उस समय तहसीलदार को कोरोना संकट के दौरान शहर में बनाए शेल्टर होम का इंचार्ज बनाया गया था। इस दौरान उन्होंने शेल्टर होम में रहने वाले प्रवासी मजदूरों की जानकारी जिला प्रशासन के अधिकारियों को देकर उनकी सहायता की थी। तहसीलदार सुदेश मेहरा ने बताया कि लॉकडाउन में उनकी ड्यूटी सुबह आठ बजे की शुरू हो जाती थी जो देर रात 10 से 11 बजे तक जारी रहती थी। शेल्टर होम के साथ सब्जी मंडी में भी व्यवस्था बनाने का कार्य वह ही देखती थी। मेहरा ने बताया कि एक तरफ जहां प्रवासी मजदूरों को सभी सुविधाएं मुहैया करवाने का जिम्मा उन्हें दिया गया था, वहीं कार्यालय का कार्य भी लगातार करती थी। तीन महीने तक नहीं गई थी घर :

तहसीलदार सुदेश मेहरा ने बताया कि उन्होंने पिछले वर्ष फरवरी में ही कैथल तहसीलदार का पद संभाला था। उस दौरान वह एक बार ही रोहतक स्थित अपने घर गई थी, लेकिन महज एक महीने बाद ही कोरोना महामारी के कारण सरकार ने लॉकडाउन लगा दिया था। उसके बाद वह लगातार तीन महीने तक घर नहीं गई थी। लॉकडाउन में कार्य करना था नया अनुभव :

तहसीलदार ने बताया कि लॉकडाउन में कार्य करना उनका एक नया अनुभव था। उस समय उन्होंने एक अधिकारी के तौर पर समाजसेवा का कार्य भी बढ़-चढ़कर किया था। जिसे वह कभी भी नहीं भूल पाएंगी। उन्होंने बताया कि जब लॉकडाउन लगा तो पंजाब की तरफ से भी सैकड़ों मजदूर यूपी और बिहार जाने के लिए पैदल निकल पड़े थे। उस समय कुछ प्रवासी मजदूर ऐसे भी थे, जो मानसिक रूप से काफी परेशान हुए थे। जब वह शेल्टर होम में रूके तो उन्हें काफी मोटिवेट किया और इस परेशानी से निजात दिलाने का पूरा प्रयास किया गया। जिसका नतीजा यह रहा था कि कुछ मजदूरों ने स्थिति को समझा और जिला प्रशासन के फैसले के बाद ही वह अपने घरों की ओर वापस लौटे।

chat bot
आपका साथी