शीशा तोड़ने से लेकर निगरानी तक कार चोरों ने बांट रखी थी जिम्मेदारियां

इंसान का दिमाग सही दिशा में काम करे तो वह उसे तरक्की के रास्ते पर ले जाता है लेकिन अगर यही गलत दिशा में चल पड़े तो अपराध की दलदल में धकेल देता है। कार चोरी में पकड़े गए बीटेक एमएससी और एमबीए तक की पढ़ाई करने वाले इन युवकों के साथ यही हुआ। यह गुनाह के रास्ते पर चल पड़े और महंगी कारों के चोर बन गए। कारों की चोरी का धंधा करने के आरोपितों ने अपना जाल हरियाणा ही नहीं बल्कि उत्तराखंड व दिल्ली तक फैलाया हुआ था। यह युवक यहां से गाड़ियों को चोरी कर चैसी नंबर बदलते हुए लोगों को बेचने का धंधा करते थे।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 23 Jul 2021 06:00 AM (IST) Updated:Fri, 23 Jul 2021 06:00 AM (IST)
शीशा तोड़ने से लेकर निगरानी तक कार चोरों ने बांट रखी थी जिम्मेदारियां
शीशा तोड़ने से लेकर निगरानी तक कार चोरों ने बांट रखी थी जिम्मेदारियां

सुरेंद्र सैनी, कैथल : इंसान का दिमाग सही दिशा में काम करे तो वह उसे तरक्की के रास्ते पर ले जाता है, लेकिन अगर यही गलत दिशा में चल पड़े तो अपराध की दलदल में धकेल देता है। कार चोरी में पकड़े गए बीटेक, एमएससी और एमबीए तक की पढ़ाई करने वाले इन युवकों के साथ यही हुआ। यह गुनाह के रास्ते पर चल पड़े और महंगी कारों के चोर बन गए। कारों की चोरी का धंधा करने के आरोपितों ने अपना जाल हरियाणा ही नहीं बल्कि उत्तराखंड व दिल्ली तक फैलाया हुआ था। यह युवक यहां से गाड़ियों को चोरी कर चैसी नंबर बदलते हुए लोगों को बेचने का धंधा करते थे।

कार चोरी करने का काम करनाल की शिव कालोनी निवासी शुभम, चेतन व बीरबड़ाला निवासी गुरमीत का था। देहरादून निवासी परणीत पाल सहित हिसार निवासी विशाल संदीप, कैथल निवासी कुलदीप व जींद निवासी नरेश का काम चोरी की गई गाड़ियों के चैसी नंबर बदलकर उन्हें बेचने का था। कार चोरी करने के लिए तीनों आरोपित रात को गाड़ी लेकर निकलते थे और क्षेत्र में घूम फिरकर बाहर खड़ी मिली गाड़ी को चोरी करने के लिए पहले रेकी करते और फिर मौका मिलते ही चोरी कर लेते थे। रेकी करने का काम शुभम व चेतन करते थे, जबकि गाड़ी चोरी करने का कार्य गुरमीत करता था। रातों-रात अमीर बनने की चाह में आरोपित गाड़ी चोरी करने की वारदातों को अंजाम देते थे। आरोपित चेतन अभी पुलिस की गिरफ्त से बाहर है। वहीं गिरोह से कई और अन्य लोग भी जुड़े हुए हैं, जिनकी तलाश पुलिस कर रही है। पुलिस ने गिरोह के सात आरोपितों को गिरफ्तार किया है, जिनसे एक करोड़ रुपये से ज्यादा कीमत की 18 कार बरामद हुई हैं।

इस तरह से चोरी की वारदात को देते थे अंजाम

गाड़ी चोरी करने के लिए आरोपितों के पास कोडिग मशीन थे, जिससे चाबी बनाते थे। पहले शुभम गाड़ी के पास जाता था और गुरमीत व चेतन दूर खड़े हो जाते थे। शुभम गाड़ी के शीशे को तेजाब या पेच कश से तोड़ देता था। इसके बाद गुरमीत वहां आता था जो शीशा तोड़कर गाड़ी का डैश बोर्ड खोलकर सेंटर लाक की डिब्बी को हटा देता था, जिससे गाड़ी की खिडकी खोलते समय सायरन की आवाज नहीं आती थी। फिर गाड़ी की खिड़की खोलकर स्टेयरिग के नीचे के प्लास्टिक कवर को खोल देते थे। गाड़ी चोरी के लिए तीनों चोर एक हैवी चुंबक साथ रखते थे, जिसे स्टेयरिग के नीचे चिपका देता थे। चुंबक से स्टेयरिग का लाक फ्री हो जाता था। इसके बाद स्टेयरिग स्विच को इग्निशन स्विच से निकाल देते थे। फिर गुरमीत कोडिग मशीन से चाबी के कोडिग करता था। स्टेयरिग स्विच में पेच कश लगाकर गाड़ी को स्टार्ट कर चोरी करने की वारदात को अंजाम देते थे।

चोरी की गाड़ियों को औने-पौने दामों में बेचकर कमा रहे थे पैसा

चोरी करने के बाद तीनों आरोपित इन कारों को शिव कालोनी करनाल में कोई खाली जगह देखकर कवर ढककर खड़ी कर देते थे। इसके बाद इंतजार करते थे कि कोई इस गाड़ी को लेने आता है या नहीं। बीच-बीच में शुभम व चेतन चोरी की गाड़ी को चैक करने भी आते थे। इसके कुछ दिनों के बाद अपने साथी देहरादून निवासी परणीतपाल को औने-पौने भाव में बेचकर अपने शौक पूरा करते थे। चोरी की ली गई गाड़ियों को परणीतपाल भी अपने साथी जींद के संडील निवासी नरेश कुमार उर्फ काला व देवबन निवासी कुलदीप उर्फ जेपी, हिसार निवासी विशाल व संदीप को बेच देता था। उक्त चोरों आरोपित स्क्रैप की गाड़ी खरीदने का धंधा करते हैं जो स्क्रैप वाली गाड़ियों के चैसी नंबर के पार्ट की कटिग कर चोरी की गई गाड़ियों के चैसी नंबर के पार्ट की जगह वेल्डिग कर उस पर पेंट करने के बाद अच्छे से सैट कर देते थे, ताकि किसी को पता न चले की यह गाड़ी चोरी की है। आरोपित इन गाड़ियों का इंजन नंबर नहीं बदलते थे, लेकिन चोरी की गई गाड़ियों के इंजन नंबरों पर ग्राइंडर मार देते थे और स्क्रैप वाली गाड़ियों की नंबर प्लेट लगा देते थे। इसके बाद मार्केट में बेचकर मोटा मुनाफा कमाते थे।

40 से कम आयु के हैं सभी आरोपित

कार चोरी के मामले में पकड़े गए आरोपितों की आयु 40 से कम है। आरोपितों में 38 वर्षीय नरेश कुमार दसवीं पास, 28 वर्षीय गुरमीत बीए, 22 वर्षीय शुभम आइटीआइ व बीए द्वितीय वर्ष, 37 वर्षीय कुलदीप बीटेक, 35 वर्षीय परणीतपाल एमएससी, 34 वर्षीय संदीप एमबीए तो 39 वर्षीय विशाल 12वीं पास है।

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