निर्जला एकादशी का पर्व आज : भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना कर रखा जाएगा उपवास
जागरण संवाददाता कैथल निर्जला एकादशी का पर्व आज मनाया जाएगा। इस दौरान लोग उपवास रखकर भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करते हैं। इसे भीम एकादशी भी कहते हैं। धर्म शास्त्रों के अनुसार जो भक्त सूर्योदय से अगले दिन सूर्योदय तक बिना खाए जल ग्रहण किए निर्जल रहकर व्रत करते हैं। उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और यश वैभव सुख की प्राप्ति होती है। दान-पुण्य से पापों से मुक्ति मिलती है।
जागरण संवाददाता, कैथल : निर्जला एकादशी का पर्व आज मनाया जाएगा। इस दौरान लोग उपवास रखकर भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करते हैं। इसे भीम एकादशी भी कहते हैं। धर्म शास्त्रों के अनुसार जो भक्त सूर्योदय से अगले दिन सूर्योदय तक बिना खाए, जल ग्रहण किए निर्जल रहकर व्रत करते हैं। उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और यश, वैभव, सुख की प्राप्ति होती है। दान-पुण्य से पापों से मुक्ति मिलती है। हनुमान वाटिका के मुख्य पुजारी पंडित विशाल शर्मा ने बताया कि वर्ष में 24 एकादशी होती हैं, लेकिन जब अधिकमास मलमास आता है तब इनकी संख्या 26 हो जाती है। ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहा जाता है। रविवार शाम 4.22 बजे से शुरू हुई ज्येष्ठ मास शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि सोमवार 21 जून दोपहर 01:32 बजे समाप्त होगी। सूर्योदय व्यापनी एकादशी तिथि 21 जून सोमवार को होगी, इसलिए निर्जला एकादशी व्रत सोमवार को होगा।
यह कथा है प्रचलित :
शर्मा ने बताया कि निर्जला एकादशी का पौराणिक महत्व और आख्यान कम रोचक नहीं है। जब सर्वज्ञ वेदव्यास ने पांडवों को चारों पुरुषार्थ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष देने वाले एकादशी व्रत का संकल्प कराया तो महाबली भीम ने पितामह से निवेदन किया, आपने तो प्रति पक्ष एक दिन के उपवास की बात कही है। मैं तो एक दिन क्या एक समय भी भोजन के बगैर नहीं रह सकता। मेरे पेट में वृक नाम की जो अग्नि है। उसे शांत रखने के लिए मुझे कई लोगों के बराबर और कई बार भोजन करना पड़ता है। तो क्या अपनी उस भूख के कारण मैं एकादशी जैसे पुण्यव्रत से वंचित रह जाउंगा।