फसल की अदायगी न होने पर किसानों में रोष, भुगतान करने की मांग
किसानों ने सरकार पर गेहूं के सीजन के दौरान उनकी गेहूं की फसल की अदायगी न करने का आरोप लगाया है। अदायगी न होने के कारण आढ़ती किसानों का हिसाब नहीं कर रहे।
संवाद सहयोगी, पाई : किसानों ने सरकार पर गेहूं के सीजन के दौरान उनकी गेहूं की फसल की अदायगी न करने का आरोप लगाया है। अदायगी न होने के कारण आढ़ती किसानों का हिसाब नहीं कर रहे।
किसानों ने चेतावनी दी है कि यदि उनको जल्द ही उनकी फसल के पैसे नहीं दिए गए तो वे फिर से जाम लगाने का मजबूर होंगे किसान विरेंद्र, करतारा, धीरा, बलवान, महावीर, डीसी ढुल, दिलबाग ने बताया कि किसानों द्वारा पाई अनाज मंडी में एक माह पहले अपनी गेहूं की फसल सरकार को बेची थी। सरकार ने उसकी पेमेंट आज तक नहीं की। जबकि सरकार ने 72 घंटे में पेमेंट करने के लिए भाषण दिए थे। उन्होंने बताया कि यह भी नहीं खरीद करने के बाद उनकी फसल अनाज मंडी में पड़ी हो। अनाज मंडी में खरीद शुरू करवाने के लिए किसानों को जाम लगाना पड़ा था। सरकार किसानों की फसल पाई अनाज मंडी की बजाए सीधे तौर पर सोलू माजरा अदानी साइलो में ही खरीद करना चाहती थी। किसानों ने इसका विरोध कर जाम लगाकर पाई अनाज मंडी में ही अपनी फसल को बेचा था। इस समय उनको धान लगाने के लिए खाद बीज की अधिक जरूरत है और पिछला खाता क्लीयर न होने कारण आगे उनको पैसे नही मिल रहे। उधर, आढ़ती पूर्व प्रधान रणधीर सिंह फौजी ने बताया कि आढ़तियों के पास जो पैसे थे, वे पहले ही किसानों को बांट चुके है।
सरकार से गेहूं की खरीद शुरू करने की मांग की
संवाद सहयोगी, पाई : किसानों और आढ़तियों ने सरकार से गेहूं की खरीद सोमवार से दोबारा शुरू करने की मांग की है। किसान रणधीर, राजेश, सत्यवान, राम कुमार ने बताया कि सरकार ने मंडी में खराब मौसम व उठान के लिए 29 अप्रैल को गेहूं की खरीद चार दिनों के लिए बंद की थी। उसके बाद प्रदेश में लॉकडाउन के कारण खरीद शुरू नहीं हो सकी व इसको नौ मई तक बंद कर दिया था। किसानों के पास अब भी काफी गेहूं बाकी है और लंबे समय तक वे अपने पास नही रख सकते। वहीं आढ़ती रामकुमार, रणधीर फौजी ने बताया कि किसानों की कुछ फसल जो खरीद बंद होने से पहले बिकने से रह गई थी, उसको आढ़तियों ने बोरियों में तो किसानों की परेशानी देख भर दिया था। उसको दोबारा लिखवा कर तोलकर सरकारी खरीद एजेंसी को बेचना है। अब खरीद बंद हुए लगभग 15 दिन हो गए और सरकार को खरीद शुरू करनी चाहिए।