बजट मिलने के बाद भी नर्सरियों में नहीं खरीदा जा सका खेल का सामान

सरकार की ओर से 2017 में खिलाड़ियों की प्रतिभा निखारने के लिए खेल नर्सरियां शुरू की थी। नर्सरी शुरू करने का उद्देश्य यह था कि बच्चे पढ़ाई के साथ ही खेलों में भी आगे बढ़ सकें।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 06 Jul 2020 09:54 AM (IST) Updated:Mon, 06 Jul 2020 09:54 AM (IST)
बजट मिलने के बाद भी नर्सरियों में  नहीं खरीदा जा सका खेल का सामान
बजट मिलने के बाद भी नर्सरियों में नहीं खरीदा जा सका खेल का सामान

सुनील जांगड़ा, कैथल : सरकार की ओर से 2017 में खिलाड़ियों की प्रतिभा निखारने के लिए खेल नर्सरियां शुरू की थी। नर्सरी शुरू करने का उद्देश्य यह था कि बच्चे पढ़ाई के साथ ही खेलों में भी आगे बढ़ सकें। दो सालों से खेल नर्सरियों में अभ्यास करने वाले खिलाड़ियों को खेलों का सामान नहीं मिल पाया है। ऐसा नहीं है कि खेल विभाग की ओर से बजट ना भेजा गया हो। बजट भी दो साल से लगातार भेजा जा रहा है, लेकिन सामान की खरीदारी न होने के कारण पैसे वापस जा रहे हैं।

साल 2018-19 में करीब 20 लाख रुपये भेजे गए थे। सामान नहीं खरीदा गया, जिस कारण पैसे वापस चले गए थे। अब 2019-20 में 14 लाख रुपये आए हुए हैं। इस बार भी सामान नहीं खरीदा गया है और खेल विभाग ने ये पैसे भी वापस मांग लिए हैं।

जिले में 14 खेल नर्सरियां चल रही थी, जिनमें दो सालों से खेल का सामान ही नहीं है। खेल प्रशिक्षक और खिलाड़ी स्वयं से ही पैसे खर्च कर सामान जुटा रहे हैं। हर खेल नर्सरी के लिए एक लाख रुपये का सामान खरीदा जाना था, जो नहीं खरीदा गया।

नहीं मिली नए सेशन की अनुमति

जिले भर के स्कूलों में विभिन्न खेलों की 14 खेल नर्सरियां चल रही थी। खेल नर्सरियों का सेशन 19 मार्च तक का ही था, जिसके बाद से नर्सरी बंद हैं। विभाग की ओर से हर साल सेशन आगे बढ़ाने की अनुमति दे दी जाती थी, लेकिन इस बार कोरोना के कारण अनुमति भी नहीं मिल पाई है। करीब चार महीनों से खिलाड़ी अभ्यास नहीं कर पा रहे हैं। स्कूलों में ही नर्सरी चलती हैं और अब स्कूल भी नहीं खुल रहे हैं।

खिलाड़ियों का खर्च उठाता है खेल विभाग

खेल नर्सरी में 25 खिलाड़ी प्रशिक्षण लेते हैं। नियमित रूप से नर्सरी में 20 खिलाड़ियों का होना जरूरी होता है। एक खेल नर्सरी पर महीने में करीब एक लाख रुपये खर्च किए जाते हैं। आठ से 14 साल के खिलाड़ियों को 1500 रुपये और 15 से 19 साल के खिलाड़ियों को दो हजार रुपये विभाग की ओर से हर महीने दिए जाते हैं। खेल प्रशिक्षकों को 20 से 25 हजार रुपये तक वेतन दिया जाता है। जिला खेल विभाग की ओर से जनवरी तक के पैसे ही खिलाड़ियों को दिए हुए हैं।

कोरोना के कारण नहीं खरीदा जा सका सामान : गिल

जिला खेल अधिकारी सतविद्र गिल ने बताया कि नर्सरी में सामान देने से पहले उनका निरीक्षण किया जाना था कि कौन सी सही चल रही है कौन सी नहीं। चेकिग अभियान जारी ही था, लेकिन कोरोना के कारण पूरा नहीं हो सका। इस बीच सामान भी नहीं खरीदा जा सका। अब विभाग ने पैसे वापस मांग लिए हैं।

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