फसल अवशेषों को मिट्टी में मिलाकर किसान प्राप्त कर सकते पेस्टीसाइड से छुटकारा
फसल अवशेषों को किसानों ने जलाना बंद कर दिया है। इससे उनकी जमीन की उर्वरता शक्ति बढ़ रही है। किसानों का कहना है कि फसल अवशेषों को मिट्टी में मिलाकर ही फसल संबंधी 90 प्रतिशत समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। वर्तमान में केमिकल और पेस्टीसाइड के उपयोग से भूमि की उपजाऊ शक्ति खत्म हो रही है। इसलिए खेती की जमीन को हमें अनावश्यक केमिकल व पेस्टीसाइड से बचाना होगा।
जागरण संवाददाता, कैथल:
फसल अवशेषों को किसानों ने जलाना बंद कर दिया है। इससे उनकी जमीन की उर्वरता शक्ति बढ़ रही है। किसानों का कहना है कि फसल अवशेषों को मिट्टी में मिलाकर ही फसल संबंधी 90 प्रतिशत समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। वर्तमान में केमिकल और पेस्टीसाइड के उपयोग से भूमि की उपजाऊ शक्ति खत्म हो रही है। इसलिए खेती की जमीन को हमें अनावश्यक केमिकल व पेस्टीसाइड से बचाना होगा। इसके लिए सबसे पहले फसल अवशेषों को मिट्टी में मिलाएं। इससे मिलाकर खाद तैयार कर रहे है। किसानों को कृषि यंत्र दिए जा रहे है। इसके माध्यम से आप फसल अवशेष प्रबंधन कर सकते हैं।
बाक्स- वातावरण में काफी हद तक सुधार हुआ
किसान बिशू चौधरी ने बताया कि अवशेष नहीं जलाने से वातावरण में भी काफी हद तक सुधार हुआ है। अवशेष जलाने से धुआं निकलता था। अवशेष को आग लगाने के साथ जहां जमीन की सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ता है, वहीं वातावरण भी प्रदूषित होता है। धान के अवशेष को आग न लगाकर इसको जमीन में मिला देना चाहिए। इससे जमीन की उर्वरता शक्ति में भी बढ़ोतरी होती है।
पराली ना जलाने से कम हुई खाद की जरूरत
किसान पुरुषोत्तम सिंह ने बताया कि अवशेष ना जलाने से खेतों की उपजाऊ क्षमता बढ़ गई है। अब उनके खेतों में 60 प्रतिशत कम खाद का इस्तेमाल होता है। उन्हें देखकर गांव के और किसानों को हौसला मिला है। उन्होंने भी अवशेषों को जलाना बंद कर दिया है। अवशेष जलाना बंद करने से गांव के लोगों को भी काफी फायदा हुआ है और उन्हें बेहतर उत्पादन भी मिल रहा है।
खेत की मिट्टी में दबाने से फायदा
किसान दर्शन सिंह ने बताया कि खेत में अवशेष जलाने से मिट्टी में मौजूद मित्र कीट नष्ट हो जाते हैं। साथ ही जमीन की ऊपरी सतह पर उपलब्ध उर्वरा शक्ति भी क्षीण हो जाती है। इससे अगली फसल में किसानों को ज्यादा खाद और सिचाई करनी पड़ती है। उससे फसल की लागत बढ़ जाती है। ऐसे में अवशेष खेत में जलाने की बजाय मिट्टी में दबा देना चाहिए। इससे वे अवशेष मिट्टी में सड़ कर कार्बनिक खाद का काम करती है। जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ जाती है।