1993 में सात खिलाड़ियों से शुरू हुआ बाक्सिग खेल सेंटर, अब 200 खिलाड़ी करते हैं अभ्यास

पूर्व जिला खेल अधिकारी राजेंद्र सिंह को कैथल में बाक्सिग का पितामह माना जाता है। उन्होंने कैथल में सबसे पहले 1993 में आरकेएसडी कालेज में बाक्सिग का खेल सेंटर शुरू किया था। उस समय उनके पास मात्र सात खिलाड़ी ही थे। खेल सेंटर लगातार 29 सालों से चल रहा है और आज भी राजेंद्र सिंह सेंटर पर जाकर खिलाड़ियों को अभ्यास करवा रहे हैं। अब उनका साथ इंटरनेशनल बाक्सिग कोच गुरमीत सिंह और कोच विक्रम ढुल भी दे रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 23 Jul 2021 06:22 AM (IST) Updated:Fri, 23 Jul 2021 06:22 AM (IST)
1993 में सात खिलाड़ियों से शुरू हुआ बाक्सिग खेल सेंटर, अब 200 खिलाड़ी करते हैं अभ्यास
1993 में सात खिलाड़ियों से शुरू हुआ बाक्सिग खेल सेंटर, अब 200 खिलाड़ी करते हैं अभ्यास

सुनील जांगड़ा, कैथल : पूर्व जिला खेल अधिकारी राजेंद्र सिंह को कैथल में बाक्सिग का पितामह माना जाता है। उन्होंने कैथल में सबसे पहले 1993 में आरकेएसडी कालेज में बाक्सिग का खेल सेंटर शुरू किया था। उस समय उनके पास मात्र सात खिलाड़ी ही थे। खेल सेंटर लगातार 29 सालों से चल रहा है और आज भी राजेंद्र सिंह सेंटर पर जाकर खिलाड़ियों को अभ्यास करवा रहे हैं। अब उनका साथ इंटरनेशनल बाक्सिग कोच गुरमीत सिंह और कोच विक्रम ढुल भी दे रहे हैं। इन दोनों प्रशिक्षकों ने भी इसी सेंटर से अभ्यास शुरू किया था और अब सरकारी प्रशिक्षक लग कर यहीं पर खिलाड़ियों को अभ्यास करवा रहे हैं। सेंटर से अब तक दस अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी निकल चुके हैं। तीन अंतरराष्ट्रीय लड़कियां मौजूदा समय में भी सेंटर में अभ्यास करती हैं। सेंटर से अब तक 100 खिलाड़ी खेल कोटे में विभिन्न विभागों में सरकारी नौकरी हासिल कर चुके हैं। यह सब तीन कोचों की तिकड़ी से संभव हो पाया है। खिलाड़ियों की संख्या 200 तक पहुंच चुकी है। इनमें 90 लड़कियां और 110 लड़के शामिल हैं। कोच राजेंद्र सिंह, गुरमीत सिंह और विक्रम ढुल तीनों सुबह-शाम खिलाड़ियों को बाक्सिग का अभ्यास करवाते हैं। जरूरतमंद खिलाड़ियों को ये कोच ड्रेस, खेल का सामान और यहां तक कि खाने के लिए डाइट भी देते हैं।

'अपने' फिल्म में कर चुके हैं काम

कोच राजेंद्र सिंह अपने समय में नेशनल खिलाड़ी रहे हैं। उन्होंने धर्मेद्र की फिल्म अपने में भी रेफरी की भूमिका निभाई थी। 2013 में वे रिटायर्ड हो गए थे, लेकिन आज भी खिलाड़ियों को पहले जैसे अभ्यास करवाते हैं। 2014 में कोच गुरमीत सिंह ने सरकारी कोच के तौर पर सेंटर ज्वाइन किया। वे भी नेशनल खिलाड़ी रहे हैं और तीन बार इंटरनेशनल कैंप लगा चुके हैं। कोच विक्रम ढुल शिक्षा विभाग में डीपी के पद पर कार्यरत हैं। वे इंटरनेशनल खिलाड़ी रह चुके हैं और छह मेडल भी हासिल किए हैं। इन्होंने भी इसी सेंटर से बाक्सिग खेलना शुरू किया था।

लड़कियां भी मचा रही धमाल

खेल सेंटर में लड़कियां भी खूब धमाल मचा चुकी हैं। इंटरनेशनल बाक्सर मनीषा मौण कई बाद देश का नाम रोशन कर चुकी हैं। यहां अभ्यास करने वाले 100 खिलाड़ियों को विभिन्न सरकारी विभागों में नौकरी मिली है। ये खिलाड़ी रेलवे, सेना, पुलिस, खेल विभाग, शिक्षा विभाग में डीपी, वन विभाग सहित अन्य विभागों में नौकरी कर रहे हैं। खिलाड़ी इनाम राशि के तौर पर करोड़ों रुपये जीत चुके हैं। नेशनल स्तर पर ऐसी कोई प्रतियोगिता नहीं होती जहां इस सेंटर के खिलाड़ी मेडल ना हासिल करते हों।

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