अब प्रत्येक पशु का डाटा तैयार करेगा विभाग

पशु पालकों के लिए एक अच्छी खबर है। पशु पालन विभाग ने पशुओं के स्वास्थ्य का ध्यान रखने के लिए पशु ध्यान एप शुरू की है। इस एप पर अब पशु चिकित्सक उनके कार्य क्षेत्र के तहत आने वाले प्रत्येक पशुपालक का डाटा को तैयार करेगा।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 23 Dec 2019 09:11 AM (IST) Updated:Mon, 23 Dec 2019 09:11 AM (IST)
अब प्रत्येक पशु का डाटा तैयार करेगा विभाग
अब प्रत्येक पशु का डाटा तैयार करेगा विभाग

सोनू थुआ, कैथल : पशु पालकों के लिए एक अच्छी खबर है। पशु पालन विभाग ने पशुओं के स्वास्थ्य का ध्यान रखने के लिए पशु ध्यान एप शुरू की है। इस एप पर अब पशु चिकित्सक उनके कार्य क्षेत्र के तहत आने वाले प्रत्येक पशुपालक का डाटा को तैयार करेगा। एप को पशुपालक के आधार कार्ड से जोड़ा जाएगा, जिससे पशुपालकों को पशुओं का इलाज कराने में कोई परेशानी न हो। इससे पशुपालन विभाग को जिले के पालतू पशुओं की संख्या व स्थिति की जानकारी मिल सकेगी। विभाग हर पशु के स्वास्थ्य का ठीक से ध्यान रख सकेगा।

इसके साथ ही एप पर सूचना देने पर केस की स्थिति के अनुसार चिकित्सक पशु पालक के घर पहुंचकर उपचार मुहैया करवाया जाएगा। एप से पशु पालकों को भरपूर लाभ मिलेगा।

दवाइयों का देना होगा सरकारी शुल्क

घर पहुंच कर पशुओं का इलाज करने के दौरान पशुपालक को सरकार की ओर से निर्धारित फीस अदा करनी होगी। इस फीस की चिकित्सक सरकारी रसीद देगा। चिकित्सक को पशु स्वास्थ्य कल्याण समिति के खजाने में जमा करवाने होगे। उन पैसों से पशुओं के लिए दवाई खरीदी जाएगी।

पशु ध्यान एप के पंजीकृत पशु पालक को टोल फ्री नंबर उपलब्ध

उस चिकित्सक को एरिया का टोल फ्री नंबर उपलब्ध करवाया जाएगा। पशु बीमार होने की स्थिति में पशु पालक टोल फ्री नंबर चिकित्सक को सूचित करेगा तो पशु पालक के घर पहुंचकर उपचार देगा। पशु चिकित्सक को ओपीडी छोड़ कर पशु पालक के घर पहुंचना होगा।

टीकाकरण सही समय पर होगा

डॉ. सुखदेव राठी ने बताया कि पशु पालन व डेयरी विभाग के अनुसार सरकार को प्रदेश में पशुओं को सही संख्या का आकलन नहीं होने के कारण टीकाकरण के कार्यक्रम में दिक्कतें आ रही थी। पशुओं का समय पर टीकाकरण नहीं होने तथा पशुओं की बीमारी का समय पर उपचार उपलब्ध होगा। हर साल हजारों की संख्या में पालतू पशुओं की मौत हो जाती है। इससे पशुपालकों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता था देखभाल के अभाव में पशुओं की मौत होना एक गंभीर समस्या थी।

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