मुंह-खुर व गलघोंटू को लेकर विभाग ने एक साल में पशुओं को लगाए छह लाख 90 हजार टीके

पशुपालन विभाग मुंह-खुर व गलघोंटू बीमारी को लेकर सतर्क है। इन दोनों बीमारियों से पशुओं को बचाने के लिए कैथल में पशुपालन विभाग की तरफ से अगस्त 2020 से लेकर अब तक छह लाख 90 हजार पशुओं को टीके लगाए गए हैं। इस वर्ष विभाग ने सात लाख 30 हजार का लक्ष्य रखा था। बता दें कि पशुपालन विभाग की तरफ से पशुओं को बीमारी से बचाने के लिए साल में दो बार टीकाकरण अभियान चलाया जाता है। छह महीने में एक बार पशु को टीका लगाया जाता है। पशु चिकित्सक इस अभियान के तहत दुधारू पशु गाय व भैंस को टीका लगाते हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 13 Jun 2021 06:58 AM (IST) Updated:Sun, 13 Jun 2021 06:58 AM (IST)
मुंह-खुर व गलघोंटू को लेकर विभाग ने एक साल  में पशुओं को लगाए छह लाख 90 हजार टीके
मुंह-खुर व गलघोंटू को लेकर विभाग ने एक साल में पशुओं को लगाए छह लाख 90 हजार टीके

सोनू थुआ, कैथल:

पशुपालन विभाग मुंह-खुर व गलघोंटू बीमारी को लेकर सतर्क है। इन दोनों बीमारियों से पशुओं को बचाने के लिए कैथल में पशुपालन विभाग की तरफ से अगस्त 2020 से लेकर अब तक छह लाख 90 हजार पशुओं को टीके लगाए गए हैं। इस वर्ष विभाग ने सात लाख 30 हजार का लक्ष्य रखा था।

बता दें कि पशुपालन विभाग की तरफ से पशुओं को बीमारी से बचाने के लिए साल में दो बार टीकाकरण अभियान चलाया जाता है। छह महीने में एक बार पशु को टीका लगाया जाता है। पशु चिकित्सक इस अभियान के तहत दुधारू पशु गाय व भैंस को टीका लगाते हैं।

पहला अभियान अगस्त से दिसंबर तक व दूसरा अभियान जनवरी से लेकर अप्रैल तक होता है। इस टीकाकरण के माध्यम से पशुओं को जानलेवा बीमारियों से बचाना है।

बाक्स-कैथल में दोनों बीमारियों का पहली बार लगा एक ही टीका-

पशुओं में आने वाली मुंह-खुर व गलघोंटू जैसी बीमारी के लिए कैथल में इस वर्ष पहली बार एक ही टीका लगाया गया है। इससे पहले इन रोगों के लिए अलग-अलग समय में चार बार टीकाकरण किया जाता था। अब एक ही टीका होने के कारण बार-बार टीकाकरण की जरूरत नहीं पड़ती। इन टीकों के बाद बीमारियां भी पशुओं में कम आ रही है।

तीन लाख 45 हजार पशुओं को लगाया है टीका

जिले भर में एक वर्ष में तीन लाख 45 हजार हजार पशुओं को टीका लगाया गया। गलघोंटू व मुंह-खुर एक जानलेवा बीमारी है। अगर समय रहते इस बीमारी का रोकथाम न हो, तो इससे पशु की जान भी जा सकती है। इस बीमारी वाले पशु की 24 घंटों में ही मौत हो जाती है। इसलिए इस बीमारी के प्रति पशुपालकों को सचेत रहना बहुत आवश्यक है। पशु पालकों में धारणा बनी रहती है कि टीके लगवाने से पशुओं का दूध कम हो जाता है। वायरस के कारण पशु मुंहखुर का शिकार हो जाते हैं। इस बीमारी की वजह से पशुओं के गले में सूजन भी होता है और समय पर उपचार नहीं किया जाए तो पशु की मौत भी हो जाती है। पशुओं को रोगों से बचाने के लिए टीके अवश्य लगवाने चाहिए। इससे पशु का स्वास्थ्य ठीक रहता है।।

घर- घर जाकर पशुओं को टीके लगाते हैं

मुंहखुर व गलघोंटू जानलेवा बीमारी है। इससे बचाने के लिए विभाग के डाक्टर घर- घर जाकर पशुओं को टीके लगाते हैं। ताकि पशुओं को बीमारी से बचाया जा सके। 20 टीमें काम कर रही थी। वेटनरी सर्जन व वीएलडीए डाक्टर को इन टीमों का प्रमुख बनाया हुआ था। मुंहखुर बीमारी की वजह बैक्टीरिया है। पशु वायरस की वजह से मुंहखुर का शिकार हो जाते हैं। मंगल सिंह, पशु पालन उपनिदेशक, कैथल

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