प्राकृतिक खेती अपनाने को 48 गांवों में की धरती माता की पूजा
भूमि पोषण एवं संवर्धन राष्ट्रीय अभियान के तहत जिले के 48 गांवों में होगी।
जागरण संवाददाता, जींद: भूमि पोषण एवं संवर्धन राष्ट्रीय अभियान के तहत जिले के 48 गांवों में हवन करके धरती माता व गोमाता की पूजा की गई। किसानों ने संकल्प लिया कि वे जहरमुक्त खेती को छोड़कर जैविक खेती को बढ़ावा देंगे।
राष्ट्रव्यापारी अभियान के जिला संयोजक सुनील कंडेला व पालक जितेंद्र चहल ने कंडेला के खेतों में हवन में आहुति डाली। घिमाना, राजपुरा भैण, रधाना, ढाठरथ, करसिधु, निडानी, उझाना सहित सभी गांवों में किसानों को हवन के बाद जहर मुक्त खेती के फायदे बताया। किसानों को बताया कि कैंसर, हार्ट फेल, हार्ट अटैक, बीपी, शुगर, किडनी जैसी बीमारियों से बचा जा सकता है। ऑर्गेनिक खेती के जरिए ही इम्युनिटी पावर मजबूत की जा सकती है। भूमि माता का रूप है और बीज पिता का। उन दोनों का स्वास्थ्य खराब होगा तो वनस्पति रूपी संतान भी स्वस्थ नहीं होगी। बीते कुछ सालों में रासायनिक खेती और पेस्टीसाइड की वजह से धरती माता का स्वास्थ्य खराब हुआ है। अब उसको सुधारने की जिम्मेदारी भी किसानों की है। सुनील कंडेला ने कहा कि प्राकृतिक खेती करने वाला किसान ही धरती माता का असली पुत्र है, जो सभी व्यक्तियों के स्वास्थ्य के साथ धरती माता के स्वास्थ्य का भी ख्याल रख रहा है। जहर मुक्त खेती करके काफी किसान लाखों रुपए कमा रहे हैं और अधिक लाभ ले रहे हैं। -दो महीने तक पांच चरणों में चलेगा अभियान
जिला पालक जितेंद्र चहल ने बताया कि भूमि सुपोषण एवं संवर्धन अभियान दो महीने चलेगा। दूसरे चरण में सफीदों, जींद, नरवाना, जुलाना, उचाना, पिल्लूखेड़ा में समाजसेवी संस्थाएं प्राकृतिक जहर मुक्त खेती करने वाले किसानों को सम्मानित करेंगी और उनका जहर मुक्त अनाज खरीदने के लिए संकल्प लेंगी। तीसरे चरण में स्कूलों में अभिभावकों व छात्रों के साथ विद्यार्थियों का पालन पोषण और जहर मुक्त खेती के बारे में चर्चा बैठकर होगी। चौथे चरण में जहर मुक्त प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों की कार्यशाला होगी और कृषि वैज्ञानिकों के साथ उनकी चर्चाएं होंगी। पांचवें चरण में साइकिल यात्रा द्वारा किसानों और आम लोगों को जहर मुक्त जैविक खेती और पर्यावरण की रक्षा के लिए जागरूक किया जाएगा।