साहित्य पुनरावलोकन और पैरामीट्रिक परीक्षण पर कार्यशाला

चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय के प्रबंधन विभाग द्वारा भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद के सहयोग से शनिवार को कार्यशाला का आयोजन किया गया।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 07 Mar 2021 07:25 AM (IST) Updated:Sun, 07 Mar 2021 07:25 AM (IST)
साहित्य पुनरावलोकन और पैरामीट्रिक परीक्षण पर कार्यशाला
साहित्य पुनरावलोकन और पैरामीट्रिक परीक्षण पर कार्यशाला

जागरण संवाददाता, जींद : चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय के प्रबंधन विभाग द्वारा भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद के सहयोग से शनिवार को कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में साहित्य पुनरावलोकन और पैरामीट्रिक परीक्षण के महत्व के बारे में जानकारी दी गई। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से प्रोफेसर तजेंद्रा शर्मा मुख्य वक्ता रहे। शोध विशेषज्ञ प्रोफेसर तजेंद्र शर्मा ने कहा कि साहित्य पुनरावलोकन में पुनरावलोकन दो शब्द से मिलकर बना है, पुन: और अवलोकन करना। अवलोकन का अर्थ है जांच-पड़ताल करना। साहित्य पुनरावलोकन के अंतर्गत हम अपने शोध विषय से संबंधित पहले से मौजूद किसी साहित्य या शोध पत्रिका का अध्ययन करते हैं। वहीं, विशेषज्ञ शोध प्रोफेसर एसएम खान ने बताया कि पैरामीट्रिक परीक्षण के माध्यम से शोध के उद्देश्य, उपकल्पना पूरा करती है। शोधार्थी पैरामीट्रिक परीक्षण ओनवा, टी टेस्ट का प्रयोग करके अपने निष्कर्ष तक पहुंच पाता है। प्रोफेसर एसके सिंहा ने कहा कि भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद हमारे विश्वविद्यालय को चयन किया खुशी की बात है। मौके पर डा. रचना, डा. संदीप पूर्वा, डा. अरुण कुमार, डा. राजेश उपस्थित रहे। गांवों में बसे परिवार देश की ताकत : आहूजा

संवाद सूत्र, जुलाना : स्वदेशी वस्तुओं को बढ़ावा देने के लिए शनिवार को अंतरराष्ट्रीय संगठन हमारा परिवार द्वारा जुलाना की ब्राह्माण धर्मशाला में वार्षिकोत्सव का आयोजन किया। कार्यक्रम का शुभारंभ स्वदेशी जागरण मंच के प्रणेता दत्तोपंत ठेंगड़ी के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। इसमें मुख्य वक्ता के तौर पर गुरुग्राम विश्वविद्यालय के कुलपति डा. मार्कंडेय आहूजा ने कहा कि भारत गांवों का देश है। गांवों में बसे परिवार देश की ताकत हैं। बिना गांव के देश की कल्पना नहीं की जा सकती। भारत की अर्थव्यवस्था के विकास में कुटीर उद्योग, पशुधन, मौसमी फल एवं सब्जियां इत्यादि इन के योगदान की अनदेखी नहीं की जा सकती। आदि मानव जंगलों व गुफाओं में रहता था। जैसे-जैसे आदि मानव ने अपने जीवन क्षेत्र में उन्नति की, वैसे-वैसे गांवों का स्वरूप सामने आने लगा। यहीं से गांवों की सभ्यता का विकास हुआ। सामाजिक कार्यकर्ता दीपक जांगड़ा ने ग्रामीण क्षेत्रों में किए जा रहे विकास को लेकर सरकार के कार्यो की प्रशंसा की। मौके पर संजीत कौशिक, राजबीर भारद्वाज, त्रिलोकी राम, बलविद्र उपस्थित रहे।

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